पसंदीदा टी वी कार्यक्रम और शिक्षा
पसंदीदा टी वी कार्यक्रम और शिक्षा
नीतू मैडम आज हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के पीरियड में बच्चों से उनके पसंदीदा टीवी कार्यक्रम का नाम पूछ रही थीं। अपनी बारी आने पर प्रत्येक बच्चा अपने पसंदीदा टीवी कार्यक्रम का नाम बताता था और उसे यह कार्यक्रम क्यों पसंद है ? यह भी बताता था।
इसी प्रक्रिया में अपनी बारी आने पर अपने पसंदीदा शो का नाम बताने के क्रम में अरविंद ने 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' को अपना सबसे अधिक पसंदीदा कार्यक्रम बताया । उसने पसंदीदा कार्यक्रम होने की वजह यह बताई कि यह कार्यक्रम मनोरंजक होने के कारण मन तो बहलाता ही है। इसके साथ ही इसमें सामाजिकता निभाने की भी शिक्षा साथ ही साथ मिल जाती है। गोकुलधाम नामक काल्पनिक सोसाइटी में अलग-अलग परिवार हैं जो अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े हैं लेकिन उनमें जो आपसी संबंध है वे हमें सामाजिकता का सही अर्थों में एहसास भी कराते हैं। सोसाइटी के लोग सोसाइटी के परिवारों से संबंधित सामान्य समस्याओं को आपस में मिलजुल कर हम करते हैं इसी समाधान के क्रम में हास्य व्यंग बिखेरते हुए उस समस्या का समाधान पा लिया जाता है। समाज से जुड़े ऐसे धारावाहिक मनोरंजन के साथ शिक्षाप्रद कार्यक्रम उत्कृष्ट तरीके से प्रस्तुत कर एक साथ कई उद्देश्यों को पूर्ण करते हैं।
'तारक मेहता का उल्टा चश्मा ' नामक धारावाहिक के बारे में कुछ विशिष्ट जानकारी दें सकते हैं।
अरविंद ने कहा -"मैं तो केवल समय से कार्यक्रम देख लेता हूं इसके बारे में मुझे विशिष्ट जानकारी नहीं है।"
अपना हाथ खड़ा करके साधना ने कुछ कहने की अनुमति मांगी और अनुमति मिलने पर साधना ने कहा -"तारक मेहता के बारे में बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन मुझे थोड़ी सी विशेष जानकारी है कि 'सोनी सब टीवी 'पर इस धारावाहिक का पहला एपिसोड 8 जुलाई 2008 को आया था हर्षद जोशी धर्मेश मेहता धीरज पाल सेट कर मालव सुरेश राजदा इसके निदेशक हैं। इसकी स्क्रिप्ट लिखने वाले लेखकों में राजू ओडेड्रा ,अब्बास हीरापुरवाला, राजन उपाध्याय ,जितेंद्र परमार और नितिन भट्ट हैं।अपनी विशिष्ट शैली, प्रस्तुतीकरण और सामाजिकता से भरपूर होने के कारण यह धारावाहिक केवल बच्चों में ही नहीं बल्कि बच्चों के साथ- साथ बड़ों में भी लोकप्रिय है। कई परिवारों में पूरे परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर कर भी इस धारावाहिक का आनंद लेते हैं। कुछ टीवी कलाकार जो इस धारावाहिक में काल्पनिक नाम के साथ अपनी भूमिका निभाते हैं उनमें दिलीप जोशी जेठालाल की, गुरचरण सिंह रोशन सोढ़ी की, शैलेश लोढ़ा तारक मेहता की, नेहा मेहता अंजली मेहता की मुनमुन दत्ता बबीता अय्यर की ,अमित भट्ट चंपकलाल की, तनुज महा शब्द कृष्णन अय्यर की निधि भानुशाली सोनू भिड़े की ,श्याम पाठक पत्रकार पोपटलाल की,घनश्याम नायक नटू काका की इसके अलावा दूसरे बहुत से कलाकार अपनी अपनी बड़ी ही दिलचस्प और सजीव भूमिका निभाते हैं।अलग-अलग कड़ियों में फिल्मों के भी जाने-माने सितारे अतिथि रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं।
नीतू मैडम ने बताया ,-"मनोरंजन के साथ शिक्षा को जोड़ने का बड़ा ही अनूठा प्रयोग है ।इसमें खेल खेल में सीखने का अवसर मिलता है ।शिक्षा व्यवस्था में ऐसे कार्यक्रमों की बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर क्षेत्र में ऐसे नए- नए प्रयोग होते रहते हैं ।समय-समय पर अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ अपनी राय साझा करते हैं ।सरकारें भी उनकी इस प्रतिभा का उपयोग करके उन्हें समाज के निर्माण में उनकी क्षमता का उपयोग समाज हित में करने के लिए आमंत्रित करती हैं।"
कक्षा कि मॉनिटर जिज्ञासा ने नीतू मैडम से ऐसे किसी प्रयास के बारे में थोड़ा अधिक जानने की इच्छा व्यक्त की।तो मैडम ने बताया-"वन 992 भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सलाहकार समिति बनाई थी। इस समिति को इस बात पर विचार करना था कि शिक्षा के सभी स्तरों पर विशेषकर छोटी कक्षा के विद्यार्थियों पर पढ़ाई के दौरान पढ़ने वाले बोझ को कैसे कम किया जाए। इस समिति में देशभर के आठ शिक्षाविदों को भी इसमें शामिल किया गया था। इस समिति ने देशभर में नवाचारों में लगे स्वैच्छिक संगठनों ,पाठ्यक्रम निर्माताओं, निजी प्रकाशकों से बातचीत करने के साथ-साथ अभिभावकों ,शिक्षकों, विद्यार्थियों और शिक्षा के क्षेत्र में रुचि रखने वाले दूसरे लोगों से विभिन्न माध्यमों से संपर्क किया था। उन्होंने बच्चों के ऊपर बस्ते के बोझ से भी ज्यादा हानिकारक अपनी पढ़ी जाने वाली विषय वस्तु को ठीक ढंग से ना समझ पाने का का बोझ बताया। उनके अनुसार बच्चों को जो विषय वस्तु समझने के लिए दी गई है । अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति हेतु उनकी जो सीखने की प्रक्रिया या माध्यम है उसमें वे उस विषय वस्तु का ठीक ढंग से बोध करने में सफल नहीं हो पाते हैं।"
थोड़ा रुकते हुए नीतू मैडम ने फिर बताना शुरू किया-" यशपाल समिति ने सिफारिश की थी की सहयोग शील शिक्षा प्राप्ति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सामूहिक गतिविधियां और सामूहिक सफलता को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करना चाहिए न कि निजी सफलता को पुरस्कृत करने वाली प्रतियोगिताओं को,। क्योंकि यह बच्चों को आनंददायक शिक्षा प्राप्ति से दूर रखती हैं।"
पाठ्यक्रम बनाने और पाठ्य पुस्तक के लेखक के बारे उनके काम को विकेंद्रित किए जाने की व्यवस्था पर समिति की सिफारिश के बारे में बताते हुए नीतू मैडम ने बताया-"समिति ने सुझाव दिया था कि पाठ्यक्रम बनाने और पाठ्य पुस्तकों को लिखने के कार्य में शिक्षकों की भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए। अधिक स्वायत्तता और स्थानीय जरूरतों के हिसाब से शैक्षिक सामग्री विकसित की जानी चाहिए। नवाचार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ।शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को पाठ्यक्रम के विकास और शिक्षक प्रशिक्षण के काम में सहायता और स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।"
मनोरंजन करने वाले और शिक्षा देने वाले टी वी के कार्यक्रमों की तरह शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या कैसी हो इसके बारे में नीतू मैडम ने बच्चों के सामने अपने विचार रखते हुए कहा-"जिस प्रकार टीवी के कार्यक्रम मनोरंजक और शिक्षाप्रद होने के साथ-साथ स्थानीय समस्याओं के समाधान सुझाने वाले होने चाहिए ठीक इसी प्रकार पूरे देश में जिला, ब्लाक ,गांव के स्तर पर ऐसी समितियां बनाई जाएं जो अपने अपने क्षेत्र के स्कूलों के लिए योजना बनाएं और उनके देखने का काम करें।स्कूल में आवश्यक सामान खरीदने और उसके अनुरक्षण लिए आकस्मिक निधि की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि धनाभाव सीखने की प्रक्रिया में कोई बाधा न हो।"
नीतू मैडम ने बच्चों की किताबों में एक विशेष विषय की ओर उनका ध्यान आकर्षित करते हुए बताया -"अब तुम्हारी अधिकतर पुस्तकों में किसी भी विषय की शुरुआत एक छोटी सी कहानी के माध्यम से की जाती है जिसमें कुछ पात्र होते हैं। उनकी बातचीत के माध्यम से ही उस विषय-वस्तु को समझने -समझाने का प्रयास किया जाता है ।कहानी की वजह से बच्चों की पढ़ने में रुचि जागृत रहेगी जिससे कि वह बेहतर तरीके से विषय वस्तु को समझ पाए।"
अरविन्द ने मैडम बोलने की अनुमति प्राप्त करने के बाद कहना प्रारंभ किया-"मैडम ,पढ़ाई मैं सीखने की प्रक्रिया को भी ठीक तरीके से मनोरंजक बनाने का प्रयास किया गया जिस तरीके से टीवी सीरियल में किसी समस्या के समाधान को ढूंढते समय उसमें कुछ हास्य व्यंग का समावेश कर दिया जाता है जिससे कि उस कार्यक्रम को देखने में लोगों की लगातार रुचि बनी रहे और इस रुचि के सहारे गंभीर विषय को भी समझने में सफल हो सकें।
इतने घंटी बज गई और नीतू मैडम ने यह कहते हुए अपनी दूसरी कक्षा की ओर प्रस्थान किया -" इस संबंध में और अधिक बातें हम हैप्पीनेस के अगले पीरियड में अगले दिन करेंगे।
तब तक के सभी बच्चों को शुभ आशीर्वाद।"