Atul Agarwal

Abstract

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Atul Agarwal

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प्रोफेसर S P Singh

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मुज़फ्फरनगर / Muzaffarnagar (U.P.) के रत्न (unsung Heroes / गुमनाम नायक)

             4.

     

 श्री S P Singh - जनम स्थान गोरखपुर। बहुत तेज दिमाग, बहुत मेहनती व जमीन से जुड़े हुए (down to earth)। अच्छी कद काठी, 5’ 10”, श्याम वर्ण। 

 यूनिवर्सिटी के M.Com. टापर, पहले से कह के / बता के टॉप किया था। 

 

श्री S P Singh (PhD. वाले डाक्टर) S.D. College of Commerce, भोपा रोड, Muzaffarnagar में अध्यापक / प्रोफेसर हो गए। B.Com. व M.Com. को पढ़ाते थे। He taught all the three subjects of Commerce, these are: Accountancy, Business Studies & Business Law and Economics.   

 

नई मण्डी में मुख्य डाक घर के सामने वाली रोड पर रहते थे। 

 

पत्नी व बच्चों के अलावा दो छोटे भाई भी साथ रहते थे, बिल्कुल पुत्रवत। अपने दोनों छोटे भाइयों को कह के गारंटी से यूनिवर्सिटी में टॉप कराया।

 

छात्र कभी भी उनका क्लास मिस नहीं करते थे। पढ़ाने का ऐसा तरीका कि हर छात्र को interest आए और कुछ नया सीखने को मिले। कॉलेज में यह मशहूर था कि क्लास में उनका पढ़ाया हुआ छात्र उनके पढ़ाए विषय में कभी फेल नहीं होता।

 

साइकिल से ही चलते थे। ट्यूशन भी लेते थे। 

 

ट्यूशन के छात्रों से संबंधित गुप्त डायरियां रखते थे, घर में, ट्यूशन रूम से अलग। हर डायरी, एक batch के लिए दो साल के लिए होती थी। उसमें ट्यूशन के हर छात्र का address, परिवार व पिता जी का संक्षिप्त विवरण व उनसे भेंट की तारीख व स्थान, joining date, फीस मिलने की तारीख, किस दिन ट्यूशन में नहीं आए व किस वजह से नहीं आए उसका ब्योरा, आदि नियमित रूप से लिखते थे। 

 

एक लाल डायरी और थी, बिल्कुल personal। उसमें कुछ पेजों पर क्रमवार अनुपस्थित छात्र द्वारा बताई हुई नई वजह लिखते थे, जैसे की कुत्ता मर गया, पिता जी की दुकान पर बैठना पड़ा, पड़ोस में कोई गुजर गया, आदि।  

 

उपरोक्त के संबंध में बहुत वाकये हैं। लेकिन दो ही लिख रहें हैं। 

 

एक बार एक छात्र ने ट्यूशन में पिछले दिन अनुपस्थित रहने का कारण बताया की उसकी दादी मर गई थी। आप ने औपचारिक अफसोस जताया। फिर कुछ दिन बाद जब छात्र के पिता जी से कहीं भेंट हुई तो उनसे भी उनकी माँ के मरने का अफसोस जाहिर किया । लगभग एक साल बाद उसी छात्र ने छुट्टी का वही कारण दोहराया कि दादी मर गई। ट्यूशन के बाद जब डायरी में लिखने बैठे तो देखा की छात्र ने यह कारण तो पहले भी बताया था, लेकिन इस बार यह एक झूठ था, बहाना था। फिर कुछ दिन बाद जब छात्र के पिता जी से कहीं भेंट हुई तो उनसे उनकी दूसरी माँ के मरने का अफसोस जाहिर किया। पिता जी को पहले तो कुछ समझ नहीं आया, सोचा की मास्टर साहब सटक गए हैं। फिर उन्होंने संवेदना प्रकट करने का कारण पूछा। तब असलियत सामने या गई। पिता जी ने घर पहुँच कर छात्र की जमकर क्लास ली।

 

एक बार एक छात्र ने बताया की कुत्ता मर गया था। उसी दिन उस छात्र के पिता जी से भेंट हुई। मास्टर साहब ने पिछले दिन (बीता हुआ कल) कुत्ते के मरने के बारे में जिक्र किया। पिता जी ने बताया कि वह तो कुत्ता पालते नहीं, हाँ, कल गली में जरूर एक सड़क का कुत्ता मर गया था। फिर वही हुआ, जो पिछले केस में या अक्सर होता रहता था।  

 

एक बार एक वरिष्ठ छात्र ललित भाई को ट्यूशन से छुट्टी के समय डाक टिकट लगा एक लिफाफा दिया कि रास्ते में डाक घर में registry लगा देना। अगले दिन ललित भाई से registry की रसीद मांगी, तो ललित भाई बोले काहे की रसीद, लिफाफा तो लाल डिब्बे में डाल दिया था। प्रोफेसर S P Singh (मास्टर) साहब ने अपना सर पकड़ लिया।        

 

एक वरिष्ठ छात्र ने उनके under में 1976 में B.Com. किया। उसको पता लगा कि मास्टर साहब तो कह कर गारंटी से यूनिवर्सिटी में टॉप करा सकते हैं। उसने मास्टर साहब से M. Com. में टॉप कराने की request की। मास्टर साहब व उस छात्र की कड़ी मेहनत व मात्र एक गुरु मंत्र से उसने यूनिवर्सिटी टॉप किया। वह गुरु मंत्र था, यू. पी. बोर्ड के हिन्दी में पढ़े हुए छात्र को इंग्लिश में M. Com. कराना।    

  

हम उनके 1975 से 1977 तक B. Com. में छात्र रहे। सभी वर्गों व तबके के उनकी क्लास के छात्र थे, पिता जी के साथ दुकान पर बैठने वाले, व्यापारी, आदि। सब्जेक्ट पढ़ाने के अतिरिक्त कुछ गुरु मंत्र क्लास में देते थे, जैसे की exams में ज्यादा कापी भरना, उसके लिए बताते थे कि दो शब्द लिखने के बीच कम से कम डेढ़ शब्द की दूरी, अगली लाइन में शब्द वहाँ लिखो जहां पिछली लाइन में जगह छोड़ी हो। दुकान पर तराजू से कुछ भी अनाज आदि तोलते हुए, बाँट रखने के बाद तराजू में सामान इतने सधे हुए हाथों से डालें की तराजू से सामान निकालना ना पड़े। इससे ग्राहक पर अच्छा psychological असर पड़ता है। आदि, आदि।  


इससे ज्यादा उनके बारे में लेखक को नहीं पता। 

त्रुटियों के लिए क्षमा याचना सहित,

 प्रोफेसर S P Singh (मास्टर) साहब व उनके परिवार की सभी आगे की पीढ़ियों को नमन व प्रणाम। 

   


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