Atul Agarwal

Inspirational

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श्री कैलाश प्रसाद ...एक गुमनाम स्वंत्रता सेनानी

श्री कैलाश प्रसाद ...एक गुमनाम स्वंत्रता सेनानी

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15.08.2020


जेल की अंधेरी कोठरी में रहे थे कैलाश प्रकाश


उनका शिक्षा और खेल के क्षेत्र में है काफी योगदान


मेरठ । 80 के दशक में मेरठ के पॉश इलाके साकेत के अपने मकान के दालान में कैलाश प्रकाश आराम से कुर्सी पर अकेले बैठे रहते थे । कभी कभार ही कोई उनसे मिलने आता था । ज्यादातार पड़ोसियों का अंदाज नहीं था कि उनके पड़ोस में रहने वाले ये शख्स कुछ खास है । वह न केवल इस शहर के पहले विधायक रहे, बल्कि कई बार विधानसभा सीट से जीत की इबारत लिखते रहे हैं ।


बेहद साधारण मकान


उनमें मंत्रियों वाली हनक नहीं थी । पॉश इलाके में होने के बावजूद तब भी उनका मकान उस इलाके के सबसे साधारण मकानों में एक था, आज भी यहीं स्थिति है । उनके निधन को हुए करीब तीस साल हो चुके हैं । उनके मकान को कुछ साल पहले कैलाश प्रकाश ट्रस्ट में तब्दील कर दिया गया था । इस शहर के लोगों ने कुछ साल पहले उनका नाम तब जाना, जब यहां के स्पो‌र्ट्स स्टेडियम का नाम उनके नाम पर किया गया । इस शहर में यह इकलौती जगह है, जो उनके नाम पर है । वह अक्सर शाम को अपने घर पर अकेले बैठे दिखते थे । मेरठ में 1987 के दंगों के बाद वह और अकेले पड़ गए । वह उन लोगों में थे, जो मेरठ की शांति बहाली प्रक्रिया में असरदार हो सकते थे, लेकिन सियासी दल उन्हें हाशिए पर डाल चुके थे । बीमारी भी उन्हें घेरने लगी थी ।


आपातकाल के खिलाफ


इतिहासकार डॉ। अमित पाठक ने बताया कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपतकाल लगाया तो उन्होंने कांग्रेंस छोड़ दी। वह जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में चुनाव लड़े, तब उन्होनें मेरठ के दिग्गज सांसद व आजाद हिंद फौज के शाहनबाज खान को हराया । जनता पार्टी का कारवां तीन साल में ही बिखर गया । उसके बाद सियासत को जो नया उत्तरकाल शुरु हुआ, उसमें वह अलग थलग हो गए । 1988 में उनका निधान हो गया।


पहली बार 52 में जीते


1952 में जब उत्तर प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो मेरठ नगर पालिका सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीते । इसके बाद इस सीट पर वह लगातार जीतते रहे। बाद में वह विधान परिषद के भी सदस्य रहे। कैलाश प्रकाश यूपी के संपूर्णानंद मंत्रीमंडल में उपमंत्री भी रहे तो चंद्रभान गुप्त मंत्रीमंडल में स्वायत्त शासन मंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री, फिर सुचेता कृपालनी सरकार में भी वह शिक्षा तथा वित्त जैसे महत्पूर्ण विभाग के मंत्री रहे, लेकिन कभी उनके ऊपर कोई आरोप नहीं लगा ।


परीक्षितगढ़ में जन्मे


डॉ. अमित पाठक ने बताया कि कैलाश प्रकाश का जन्म मेरठ के परीक्षितगढ़ में हुआ । आगरा यूनिवíसटी से पहले बीएससी व फिर गोल्ड मेडल के साथ एमएससी की । गांधी जी से प्रभावित होकर पढ़ाई पूरी होते ही क्रांतिकारी बन गए। जेल गए, यातनाएं सहीं । मेरठ यूनिवर्सिटी की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था । ये अच्छा हुआ कि इस शहर ने अपनी एक गलती सुधारते हुए स्पो‌र्ट्स स्टेडियम का नाम उनके नाम पर कर दिया । जीवन के अंतिम दिनों में उन्हें डीलिट मानद उपाधि से सम्मानित किया गया । मेरठ के स्वाधीनता संग्राम सेनानी कैलाश प्रकाश एक तरफ जहां अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गांधी जी के साथ आंदोलन में सक्रिय थे, तो दूसरी तरफ अपनी पढ़ाई भी जारी रखे हुए थे । 1942 में जब आंदोलन तेज हुआ तो कैलाश प्रकाश ने भी अपनी सक्रियता तेज कर दी । उस समय कैलाश प्रकाश बीएससी उत्तीर्ण कर चुके थे। आंदोलन के दौरान कैलाश प्रकाश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया। जेल में उन्हें तमाम यातनाएं दी गईं और अंधेरी कोठरी में डाल दिया गया ।


अंग्रेज जेलर भी थे प्रभावित


उस दौरान अंग्रेज जेलर जो कैलाश प्रकाश से काफी प्रभावित था, उसने उनसे पढ़ाई के बारे में पूछा । जिस पर कैलाश प्रकाश ने कहा कि वह पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं । लेकिन जेल में होने के कारण पढ़ाई अधूरी रह गई । इस पर जेलर के प्रयासों से उनका एमएससी में प्रवेश करा दिया गया ।


स्वर्ण पदक मिला


जेल में रह कर कैलाश प्रकाश ने अपनी पढ़ाई की, लेकिन अंधेरी कोठरी में सिर्फ एक डिबिया की रोशनी में लगातार पढ़ने से उनकी आंखों की रोशनी बहुत कमजोर हो गईं । इस बीच जब परीक्षाएं हुईं तो आंखों से पूरी तरह दिखाई न देने के कारण उन्हें लिखने के लिए सहायक दे दिया गया । इस सहायक लेखक की मदद से कैलाश प्रकाश ने परीक्षा दी और आगरा विश्वविद्यालय टॉप कर उस समय स्वर्ण पदक प्राप्त किया।


शिक्षा व खेल में योगदान


डॉ। कैलाश प्रकाश मेरठ के कस्बा परीक्षितगढ़ से निकलकर बाद में प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे । वित्त और शिक्षा मंत्री रहते उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय (वर्तमान में सीसीएसयू), मेडिकल कॉलेज और स्पो‌र्ट्स स्टेडियम बनवाया । बाद में जिसका नाम बदलकर कैलाश प्रकाश स्टेडियम रखा गया ।


मेरठी किस्सा: जब कैलाश प्रकाश ने जेल की अंधेरी कोठरी में पढ़ाई करके प्राप्त किया स्वर्ण पदक


मेरठ के स्वाधीनता संग्राम सेनानी कैलाश प्रकाश एक तरफ जहां अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गांधी जी के साथ आंदोलन में सक्रिय थे, तो दूसरी तरफ अपनी पढ़ाई भी जारी रखे हुए थे । 1942 में जब आंदोलन तेज हुआ तो कैलाश प्रकाश ने अपने साथियों के साथ सक्रियता तेज कर दी । उस समय कैलाश प्रकाश बीएससी उत्तीर्ण कर चुके थे । आंदोलन के दौरान कैलाश प्रकाश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया। जेल में उन्हें तमाम यातनाएं दी गईं और अंधेरी कोठरी में डाल दिया गया ।


उस दौरान अंग्रेज जेलर जो कैलाश प्रकाश से काफी प्रभावित था, उसने उनसे पढ़ाई के बारे में पूछा। जिस पर कैलाश प्रकाश ने कहा कि वह पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं । लेकिन जेल में होने के कारण पढ़ाई अधूरी रह गयी । इस पर जेलर के प्रयासों से उनका एमएससी में प्रवेश करा दिया गया।


जेल में रह कर कैलाश प्रकाश ने अपनी पढ़ाई की। लेकिन अंधेरी कोठरी में सिर्फ एक डिबिया की रोशनी में लगातार पढ़ने से उनकी आंखों की रोशनी बहुत कमजोर हो गईं । इस बीच जब परीक्षाएं हुईं तो आंखों से पूरी तरह दिखाई न देने के कारण उन्हें लिखने के लिए सहायक दे दिया गया । इस सहायक लेखक की मदद से कैलाश प्रकाश ने परीक्षा दी और आगरा विश्वविद्यालय टॉप कर उस समय स्वर्ण पदक प्राप्त किया।


डॉ. कैलाश प्रकाश मेरठ के कस्बे परीक्षितगढ़ से निकलकर बाद में प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे । वित्त और शिक्षा मंत्री रहते उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय जिसका वर्तमान नाम चौधरी चरण सिंह विवि कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज और स्पोर्ट्स स्टेडियम बनवाया बाद में जिसका नाम बदलकर कैलाश प्रकाश स्टेडियम रखा गया ।


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Sun, 17 Jul 2022


स्वतंत्रता सेनानी कैलाश प्रकाश को नमन


महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् स्वर्गीय कैलाश प्रकाश की 113वीं जयंती पर रविवार को मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित...


मेरठ। महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् स्वर्गीय कैलाश प्रकाश की 113वीं जयंती पर रविवार को मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा । कैलाश प्रकाश गायत्री देवी सेवा संस्थान के सचिव सुभाष चंद्रा ने बताया कि अपने संघर्षों से कैलाश प्रकाश कस्बा परीक्षितगढ़ से निकलकर राष्ट्रीय स्तर के नेता बने । वह ईमानदारी के प्रतीक थे । वित्त और शिक्षा मंत्री बनने के बाद मेरठ विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज और स्पोर्ट्स स्टेडियम बनवाए । रविवार को उनके सम्मान में प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है।


 



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