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Atul Agarwal

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Atul Agarwal

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श्री राम लला (बालक राम), अयोध्या जी की दर्शन यात्रा

श्री राम लला (बालक राम), अयोध्या जी की दर्शन यात्रा

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30 मार्च 2024 को एक मेरे हम उम्र मित्र, मेरी ही तरह रिटायर्ड, आगरा के श्री राजू विश्वास ने अपनी यात्रा की कहानी मोबाईल पर सुनाई।

  एक देश के भूतपूर्व प्रधान मंत्री (जो अब जेल  में हैं) की पत्नी मुर्गे को कबूतर बनाने जैसे कई जादू जानती हैं। लेकिन राजू की पत्नी अनायास ही उसे चूहा बना कर रखती है।

 राजू की पत्नी आगरा शहर के एक बड़े प्रतिष्ठान में काम करती हैं। मार्च माह सन 2024 का अंतिम हफ्ता महिला कर्मियों की छुट्टी थी, Annual Closing की वजह से, जिसमें उनका कोई काम नहीं था।  

25 – 26 मार्च को राजू की पत्नी ने रट लगा ली की उनकी 4 सह कर्मियों के साथ 28 तारीख को दो दिन के लिए पिकनिक पर ओरछा चलो। पत्नी अड़ गई कि राजू उन सबके बाउन्सर की तरह चलें। राजू 64 वर्षीय कमजोर लेकिन तोंदू बूढ़ा और वो सब महिलायें। उसका उनका कोई मेल नहीं। लेकिन बंधुआ मजदूर के पास ना करने का कोई भी ऑप्शन नहीं था।

राजू का दिमाग उसके प्रिय भांजे के चाचा चौधरी की तरह दौड़ने लगा। राजू ने कहा ओरछा में कुछ नहीं है, और गरमी भी बढ़ती जा रही है, अगर चलना ही है तो अयोध्या चलो जहां एक आक्रांता ने 496 वर्ष पूर्व श्री राम जी का मन्दिर तोड़ दिया था और अभी कुछ ही दिन पहले 22 जनवरी को श्री राम लला के बाल रूप की नई मूर्ति की उसी जगह नए भव्य निर्माणाधीन मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई है। जहां तब से रोज लगभग 4 लाख दर्शनार्थी पहुँच रहा है। 

उनकी आपस में Call Conferencing हुई, और एक ही बार में ध्वनिमत से प्रस्ताव मंजूर हो गया।

27 तारीख का पूरा दिन वहाँ ठहरने व जाने की व्यवस्था में लग गया। 28 तारीख को प्रातः 8 बजे इनोवा कैब में अपने निवास से ड्राइवर प्रेमनाथ जी, पत्नी और उनकी 2 सहकर्मीयों (जो राजू के निवास पर आ गई थी) के साथ बाकी 2 सवारियाँ बटोरने चल पड़े। राजू बाउन्सर के रोल में आगे बैठे। और वो 3 पीछे। राजू को Seat Belt में बंध कर जाना – आना पड़ा। थोड़ी दूर से दोनों सवारियाँ भी ली। उनकी चारों सहकर्मी पहले से देखी हुई थी। पत्नी समेत सब के नाम के आखिर में ता या ति था। 2 ता पहले से ही भईया कहती हैं और सब से गोरी ता व ति Sir कहने लगी।  

आगरा - लखनऊ Expressway पकड़ लिया। Expressway पर 101 Km. चलने पर पहला Rest Area Cum Restaurant आया, वहाँ रुक कर चाय पी गई और साथ में घर से लाया हुआ थोड़ा - थोड़ा नाश्ता किया गया। सब से गोरी ता का Origin जापान व चीन देशों के बीच वियतनाम का लगता है। उसने ढाई किलो की Black Silver Artificial Jewellery पहन रक्खी थी, जैसे बंजारने पहनती हैं। उसकी व ति में दांत काटी रोटी वाली दोस्ती है। सब से गोरी ता अपने पति के हाथ के बने हुए गोरे sandwich लाई थी। ति के पति का food व snacks cooking व supply का काम है, उन्होंने spring roll बना कर दिए थे। सब ने share किया। हालाँकि गोरी ता व ति एक दूसरे को ज्यादा offer कर रहीं थी।

फिर चल पड़े। एक नया highway बना है। उस पर चलने से लखनऊ के अंदर नहीं जाना पड़ा, भीड़ भाड़ से बच गए और अयोध्या जी पहुंचने में 45 मिनट कम लगे, फिर भी अयोध्या enter करने में दिन का 1 बज गया। उसके बाद कई पुलिस barricading पार करनी पड़ी, कोई पार्क (पार्क का नाम याद नहीं) होते हुए, छोटी छावनी से पोस्ट ऑफिस रोड पर काफी आगे जाने पर अशर्फी भवन से पहले यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सामने वाली गली में राम कोट एरिया में उनका रुकने का प्रबंध हुआ था, एक होम स्टे में । वहाँ पहुंचते – पहुंचते सवा दो बज गए। वो 6 (एक मर्द ताँगेवाला व 5 महिलाओं) लोगों के लिए 2 AC कमरे मिल गए। दोनों कमरों में तीन – तीन पलंग थे। सब को जोर की भूख लगी थी। वहाँ होम स्टे में भी खाना तैयार था, लेकिन उन लोगों ने यह सोच कर की घर से लाई हुई पूड़ी सब्जी का फिर क्या होगा, वही खाई। एक कमरे में 3 महिलाएं (गोरी ता व ति समेत) और दूसरे में राजू सपत्नी व 1 महिला ने जगह बना ली। होम स्टे के केयर टेकर ने कहा कि 5 बजे तक आराम कर लो, फिर श्री राम लला के दर्शनों के लिए साथ में किसी को भेजेगा। वहाँ मन्दिर में प्रसाद ले जाना प्रतिबंधित था।       उन पांचों महिलाओं की शैतान पंचकड़ी, यानिकि चौकड़ी और, जैसे जंगल का राजा सिंह (शेर) होता है, वैसे ही पाँचवी उस चौकड़ी की सिंहनी। 

5 बजे होम स्टे वाले ने एक आदमी के साथ उन लोगों को वहाँ से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित श्री राम मन्दिर भेजा। जिसने उन्हें एक काउन्टर पर चप्पलें जमा करा कर जल्दी दर्शन वाले जुगाड़ के जत्थे (VIP) में ले जाकर छोड़ दिया। 500 – 600 आदमी झुंड में बिना लाइन के आगे बढ़ रहे थे। वो 6 भी आगे पीछे थे। धीरे – धीरे आगे बढ़ते रहे और थोडी धक्का मुक्की व अव्यवस्था में उन 6 का साथ छूटता गया। राजू सब से पीछे छूट गया था। खैर करीब 45 मिनट इसी तरह घसिटने के बाद श्री राम लला दिखने लगे और झुंड भी सकरा होते – होते एक के पीछे एक में तबदील हो गया। अंत में सभी को करीब 50 फुट दूर से दर्शन मिल रहे थे। राजू ने भी श्री राम के श्री चरणों में शीश नवाया। लाइन के बहार निकलते ही देखा कि यह पांचों राजू की राह देख रही हैं। इस तरह लगभग सवा घंटे में श्री राम लला के अर्जन्ट दर्शन हुए। जनरल लाइन वालों को लगभग 5 किलोमीटर एक के पीछे एक चलना पड़ रहा था जिसमें 5 घंटे का समय लग रहा था। फिर भी भीड़ कम नहीं हो रही थी। 

अयोध्या का प्रशासन बहुत अच्छा कार्य कर रहा है। 

हमने देखा कि एक खास सुविधा वहाँ उपलब्ध है कि Wheel Chair पर बैठे वालों और Wheel Chair को ले जाने वालों को कोई रोक टोक नहीं है। 

चप्पलें लेकर वहाँ से वापस होम स्टे आए और फिर e-rickshaw करके सरयू नदी (सरयू नहर) के नए घाट आए। नहर की पैडियों पैर बैठ कर पैर पानी में डाल कर लगभग 1 घंटा गप शप की। काफी ऊपर की पैडियों पर एक दो फोटोग्राफर थे जिनके पास गदा व गिटार थे, जिनके साथ फोटो खिचवाने का वो 20 रुपये ले रहे थे। गदा या गिटार को हाथ में ले कर देखने का कोई पैसा नहीं ले रहे थे। सिंहनी ने गदा हाथ में लेकर खूब जय श्री राम के नारे लगाए, नारों के साथ गदा घुमा – घुमा कर दुश्मनों को खूब ललकारा, लेकिन दुश्मन हो तो सामने आए।     

फिर वहाँ से नहर का पुल पार कर लता मंगेशकर चौक गए। वहाँ 5 महिलाओं ने 20 -20 रुपये वाली 4 कोल्ड ड्रिंक व 4 पैकेट 5 – 5 रुपये वाले मूंग की दाल खरीदी। गोरी ता व ति ने share किया।  

सब जगह मोबाइलों से खूब फोटोग्राफी हुई। राम लला मन्दिर में प्रतिबंधित है, लेकिन मेरा भारत महान।  

लता मंगेशकर चौक पर राम लला की पीछे Magnet लगी फोटो मिल रही थी, फ्रिज, लोहे की अलमारी आदि पर लगाने के लिए। अपनी - अपनी जरूरत के हिसाब से व रिश्तेदारी व मित्रों को देने के लिए वह खरीदीं गई। वहाँ से वापसी का e-rickshaw किया।  

होम स्टे में भोजन किया और राजू तो लंब लेट हो गए। उन पांचों की शैतान पंचकड़ी, एक कमरे में एकत्रित हो कर भक्ति भाव / रस में डूब गई, पहले तो खूब भजन हुए और फिर मीरा जी की तरह भाव विभोर हो कर भजनों के साथ ही खूब नृत्य हुआ। आज कल सर पे ग्लास रख के नृत्य करने का नया Trend है। सिंहनी ने गदा की तरह सामान उठा - उठा कर जय श्री राम के खूब नारे लगाए। रात्रि 12 बजे सभा विसर्जित हुई। 

सुबह 8 बजे तैयार हो कर होम स्टे में नाश्ता किया और पांचों महिलायें हनुमान गढ़ी के लिए चली गई, होम स्टे से पास ही था। आधा घंटे में दर्शनार्थियों की अथाह भीड़ के दर्शन कर वापस आ गई। वहाँ कोई व्यवस्था भी नहीं थी। लोग प्रसाद भी लेकर जा रहे थे। 

 राजू के 4 वर्षीय नाती ने फोन पर सलाह दी थी कि वहाँ का रेलवे स्टेशन जरूर देख कर आना जो अभी थोड़े दिन पहले ही बना है। 10 बजे होम स्टे से चले और लगभग 11 बजे रेलवे स्टेशन पहुंचे। एक गेट पर टिकट चेकर से अनुमति लेकर स्टेशन के अन्दर गए। 

वाकई स्टेशन लाजवाब है। Lift हैं, escalators हैं, बीच में एक गिलहरी का Monument / Artwork 

(कलाकृति)

बना रक्खी है जिस के बहार लिखा है “ रामायण की नन्ही गिलहरी निष्ठावान तथा लघु योगदानों के महत्व का प्रतीक है जो एक न्यायसंगत समाज में सामूहिक शक्ति के महत्व को प्रतिपादित करती है।“

स्टेशन करीब आधा घंटे देखने के बाद, लखनऊ के लिए चल दिए। वहाँ LULU MALL में गए। सभी वहाँ पहली बार गए थे। Food Court में अपने मध्य वर्गीय Budget के अनुरूप Bikanervala में गए। सभी महिलाओं के लिए छोला भटूरे के साथ ठंडी केसरिया लस्सी Order की गई। राजू ने छाछ और Sandwich Order करवाया। लस्सी ठंडी नहीं थी। Ice Cubes मांगे गए, वहाँ के 4 – 5 लोगों से बार – बार कहा, पर ना Ice Cubes आए और ना ही वो बंदा / बंदी दुबारा आस पास दिखे। सारा मजा किर करा हो गया। लस्सी और सब ने प्लेट में आए 2 – 2 भटूरों में से लगभग 1 – 1 छोड़ दिया।

फिर भी लगभग डेढ़ घंटे वहाँ घूमे। Window Shopping की। सिर्फ गोरी ता ने शीशे साफ करने वाला Colin Spray खरीदा, क्योंकि buy one, get one free, scheme थी। 

सब ने LULU MALL की तुलना अपने आगरा के Ashok Cosmos Mall से की। सब की अपनी – अपनी नजर और पसन्द। कोई एक राय नहीं था। हाँ वहाँ LULU MALL में भीड़ कम थी और सफाई ज्यादा थी।

वापसी रास्ते में Expressway से पहले संतरे खरीदे गए। मीठी लस्सी ना पीने की वजह से सबने संतरे खा कर अपना गला तर किया। शाम लगभग 6 बजे वापस आगरा पहुचें। पहले यूनिवर्सिटी के पास गोरी ता को छोड़ा। फिर गुलशन पिक्चर हाल के पास सिंहनी को छोड़ा। फिर देवपुरी में ति को छोड़ा। बाकी बचे तीन दयाल बाग के रामेश्वर अपार्टमेंट में उतरे, एक ता बगल के मानसरोवर अपार्टमेंट में चली गई और राजू और उनकी ता साथ ही रहते हैं। 

जाना – आना कुल 995 किलोमीटर पड़ा।

भगवान श्री राम जी की अनुकम्पा राजू पर सदैव बनी रहती है, तभी तो बाउन्सर की कोई जरूरत नहीं पड़ी, नहीं तो राजू की बहुत बेइज्जती होती। वैसे डरने की कोई बात नहीं थी, गदर पिक्चर में सनी देओल की दाहाड़ की तरह 5 महिलायें सक्षम थी कि उनके जय श्री राम के नाम के नारों से ही राक्षस भाग जाते।    

यात्रा वृत्तान्त समाप्त करने से पहले यह बताना / जानना जरूरी है कि यह अयोध्या का श्री राम लला मन्दिर किस की विशेष अथक मेहनत का परिणाम है। श्री चंपत राय जी विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष हैं। विश्व हिन्दू परिषद ने श्री चंपत राय जी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का महासचिव मनोनीत किया है। श्री चंपत राय जी का जन्म 1946 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक बंसल परिवार में हुआ। 78 वर्षीय श्री चंपत राय जी ने अपना जीवन रामलला के चरणों में समर्पित कर दिया है। इसलिए लोग इन्हें रामलला का पटवारी भी कहते हैं। श्री चंपत राय जी की देख रेख और निर्देशों में ही यह राम लला का भव्य मन्दिर बना है और बन रहा है। उनको शत् शत् नमन और इस अविस्मरणीय कार्य के लिए अभिनंदन। और उनके सभी कार्यकर्ताओं / सेना का भी अभिनंदन। श्री चंपत राय जी को पद्म विभूषण व भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।    

अथ श्री राम लला अयोध्या राजू का यात्रा वृत्तान्त ।

श्री राम लला के चरणों में नमन। 

17 अप्रैल को राम नवमी के दिन अयोध्या जी में 50 लाख आदमियों के पहुँचने की उम्मीद है।                                 


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