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Atul Agarwal

Inspirational

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Atul Agarwal

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मुज़फ्फरनगर के गुमनाम नायक श्री हरद्वारी लाल जी

मुज़फ्फरनगर के गुमनाम नायक श्री हरद्वारी लाल जी

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मुज़फ्फरनगर / Muzaffarnagar (U.P.) के रत्न (unsung Heroes / गुमनाम नायक)

 

श्री हरद्वारी लाल जी


श्री हरद्वारी लाल जी नई मण्डी मुजफ्फरनगर के जाने माने व्यक्तियों में से एक थे । 

 

आप पसवाड़ा गाँव (तहसील मवाना, जिला मेरठ) में 1903 में पैदा हुए । मेरठ से 25 किलोमीटर व मुजफ्फरनगर से 57 किलोमीटर ।

 

आप ने मेरठ में 1917 से 1919 तक हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण की ।

 

आप ने मेरठ में ही रह कर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में 1919 से 1924 तक पढ़ कर B.A. और L.L.B. की Degree हासिल की । उसी समय आप की घनिष्ठ दोस्ती श्री दीप चन्द्र जी से हो गई जो आजीवन रही । 

1928 में आप का विवाह कस्बा तिलहर (जिला शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश) की 18 वर्षीय रुक्मणी रानी जी (जन्म वर्ष 1910) से सम्पन्न हुआ ।   

आप ने 1928 से 1938 तक मेरठ में वकालत की प्रैक्टिस की । इसी बीच 1930 में आपके तीन चचेरे भाई पसवाड़ा गाँव छोड़ कर नई मण्डी, मुजफ्फरनगर आ गए और गुड़ व अनाज के बाजार की तेजी में खूब पैसा कमाया ।  उन्होंने आपको भी इसी व्यापार को करने की सलाह दी ।   आप ने 1938 में मुजफ्फरनगर आ कर आढती का व्यापार शुरू किया, छोटे चचेरे भाई लाला अम्बा प्रसाद जी (उपरोक्त तीन चचेरे भाइयों में से एक) को अपने साथ जोड़ लिया, फर्म का नाम था हरद्वारी लाल अम्बा प्रसाद । नई मण्डी, मुजफ्फरनगर में आप राम जी सदन में रहते थे । बाद में पाटिए वाली सड़क पर एक घर में आ गए थे । आप ने काँग्रेस पार्टी Join कर ली और 1942 में अंग्रेजों के विरुद्ध गांधी जी के भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लिया । 1944 में अंग्रेजों ने आप को Honorary Magistrate बना दिया, क्योंकि अंग्रेजी हुकूमत प्रशासन व न्यायतंत्र का काम भारतीयों के साथ बांटने लगी थी ।  आप सफेद कुर्ता – धोती पहनते थे और सर्दियों में बन्द गले का कोट । 

 आप ने नई मण्डी मुजफ्फरनगर में बहुत से सामाजिक सेवा के कार्य किए ।

आप 1945 में श्री दीप चन्द्र जी के साथ नई मण्डी में स्थित लड़कियों के प्राथमिक स्कूल वैदिक पुत्री पाठशाला की कार्यकारिणी में आ गए । श्री दीप चन्द्र जी को मुजफ्फरनगर में दीप चन्द्र रईस कहा जाने लगा था । श्री हरद्वारी लाल जी ने 1946 में Grain Chamber High School शुरू किया ।1947 में आजादी के समय मुजफ्फरनगर के नवाब नई मण्डी की अपनी जमीन आप की भागीदारी / साझेदारी फर्म को बेच कर पाकिस्तान चले गए, जिसमें आप के तीन चचेरे भाई व आपके मित्र श्री दीप चन्द्र जी आप के भागीदार / साझेदार थे । यह जमीन नई मण्डी का 100 एकड़ का उत्तर-पूर्वी कोना था । उसमें से कुछ हिस्सा हिन्दू शरणार्थियों को दे दिया गया, जिसका बाद में गांधी कालोनी नाम पड़ा । एक हिस्से का विकास द्वारका पूरी के नाम से हुआ और एक हिस्से में बाद में भोपा रोड पर S. D. Degree College बना ।   आजादी के समय देश के बटवारे की वजह से और हिंदूओं के साथ हो रहे व्यवहार को देखते हुए आपने काँग्रेस पार्टी छोड़ दी और 1947 के आस पास ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) (जन संघ) को Join कर लिया । 

 


1948 में आपने अंग्रेजों द्वारा दिया गया Honorary Magistrate का पद भी छोड़ दिया । 

आपने 1948 – 49 में लड़कों के लिए Grain Chamber प्राथमिक स्कूल शुरू किया ।  आप वैदिक पुत्री पाठशाला व Grain Chamber Vyapaar Ltd. के संस्थापक थे । आप काफी धार्मिक संस्थाओं से भी जुड़े थे । अगले दस सालों में वैदिक पुत्री पाठशाला और Grain Chamber School नई मण्डी, मुजफ्फरनगर के सर्वश्रेष्ठ स्कूल कहलाने लगे और Inter तक हो गए । आप वैदिक पुत्री पाठशाला, S D College, राम लीला Committee व Gulshan Co-operative Bank (मण्डी के प्रसिद्ध व्यक्ति श्री गुलशन राय जैन द्वारा स्थापित) के Board of Directors में भी थे । आप वैदिक पुत्री पाठशाला में पढ़ने वाली तमाम गरीब लड़कियों की स्कूल फीस दिया करते थे । एक बार इनकी लड़की मिथलेश जी के वैदिक पुत्री पाठशाला में बहुत अच्छे नम्बर आए, वो Principal के पास फीस माफ कराने के लिए गई । Principal जानती थी की बिटिया कौन है, वो धीरे से मुस्कराई और बोली कि फीस तो हम माफ कर देंगे, लेकिन उससे पहले क्या यह नहीं जानना चाहोगी की तुम्हारे पिता जी कितनी बच्चियों की फीस देते हैं । जब बिटिया को पता चला तो वो शर्मिंदा हो कर वापस आ गई । आप बहुत ही सज्जन और हमेशा दूसरों (चाहे जानने वाला हो या कोई अपरिचित हो) की मदद करने को तत्पर रहते थे । मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की कोई खास गतिविधि नहीं थी, फिर भी आप पूरी जिन्दगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे ।

1960 में आप व्यापार से स्वेच्छा से विरत (Retire) हो गए । आपने वैदिक पुत्री पाठशाला व Grain Chamber School का प्रबंधन (Management) भी अगली पीढ़ी को सौंप दिया, जिसमें श्री जितेन्द्र सिंघल, विनोद सिंघल व ओम प्रकाश अग्रवाल जी हैं ।     आप के चार लड़के और चार लड़कियां हुई :  लड़के : 1.नरेश कुमार जी (जिनकी शादी मंसूरपुर की शशि जी से हुई थी) Air Force के बहुत उच्च पद Air Marshal से 1995 में retire हुए, उसके बाद से देहरादून में रहते हैं ।    2. दिनेश कुमार जी, एक विश्वविख्यात Diabetes (शुगर की बीमारी) के डाक्टर (Endocrinologist / Diabetologist) [जिनकी शादी डाक्टर आशा कुमार जी (कुमुद जी- शादी से पहले का नाम) से हुई थी], San Marino, California में रहते हैं ।   

3. विरेश कुमार जी, जिन्होंने Roorkee (रुड़की) University से Electrical Engineer की Degree प्राप्त की, उन्होंने Bombay से नौकरी शुरू की और कुछ ही समय में Chief Engineer बन गए और उसके बाद Nigeria चले गए, कुछ समय बाद Bombay वापस आकर अपना व्यापार शुरू किया, ऊन की मृत्यु Covid / Corona से हो गई । 4. सुदेश कुमार जी Mechanical Engineer BIT (Birla Institute of Technology, Mesra, Ranchi) से और अब से लगभग 60 वर्ष पहले USA चले गए और बाद में अपनी लाइन बदल कर Computer का काम करने लगे, अभी वो पत्नी लता के साथ San Diego, California में रहते हैं ।  लड़कियां : 1. बड़ी लड़की उर्मिला जी की शादी मेरठ के एक व्यापारी परिवार में हुई थी । वह परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बहुत निष्ठावान है । 2. दूसरी लड़की उषा रानी जी का जन्म 1932 में हुआ और 1950 में उनकी शादी श्री सतीश चन्द्र गुप्ता जी (Sales Tax - Income Tax Lawyer) से गाजियाबाद में हुई । वह परिवार भी कट्टर संघी (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा हुआ) है । श्रीमती उषा रानी जी का स्वर्गवास 1995 में हो गया । 3. श्रीमती मिथलेश गुप्ता ने वैदिक पुत्री पाठशाला से शिक्षा ग्रहण की और संस्कृत में SD College से M⁠. A. किया । उसके बाद उनकी शादी एक उच्च पदासीन सरकारी अधिकारी से हो गई और वो Kolar, Nagpur में रहे और Retirement के बाद दयाल बाग, आगरा में रहने लगे । सब लोग उनको दयालबाग़ी बोलने लगे । मिथलेश जी और उनके पति की मृत्यु पिछले साल 3 – 4 महीने के समय अंतराल में हो गई ।  

4. गीता गुप्ता की शादी Steel Authority of India Limited (SAIL), Raurkela के एक अधिकारी से हुई । उनके पति की मृत्यु हो गई, उसके बाद वह USA चली गई और वहाँ काम किया और कुछ समय बाद भारत वापस आ गई । अब वो अपनी सास के साथ Banglore में रहती हैं ।  श्री हरद्वारी लाल जी का स्वर्गवास 83 वर्ष की उम्र में May 1986 में हुआ ।


इससे ज्यादा आप के बारे में लेखक को नहीं पता,


त्रुटियों के लिए क्षमा याचना सहित,


श्री हरद्वारी लाल जी व उनके परिवार की सभी आगे की पीढ़ियों को नमन व प्रणाम ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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