लाला मिट्ठन लाल जी
लाला मिट्ठन लाल जी
लाला मिट्ठन लाल जी का जन्म 1 जनवरी 1901 को गांव हरसौली, जिला मुजफ्फरनगर, में लाला फकीरचंद जी के परिवार में हुआ था । यह परिवार जमींदार परिवार था । जिनका 21 गांव का जमींदार था ।
हरसौली से मुजफ्फरनगर की दूरी 15 किलोमीटर है ।
मिट्ठन लाल जी 1918 में अपने 21 गांव में अकेले हाई स्कूल पास थे जो उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में अधिकार पूर्वक बोलते भी थे और लिख भी सकते थे ।
मिट्ठन लाल जी को घुड़सवारी का बहुत शौक था ।
लाला जी के दो विवाह हुए ।
पहली पत्नी एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म देकर अल्पायु में ही मृत्यु को प्राप्त हो गई, पुत्र व पुत्री के नाम :
1. श्री सुखबीर सिंह गोयल (सरकारी नौकरी की,एसडीएम प्रशासन पद से अवकाश प्राप्त किया)
2. कुमारी शकुंतला देवी
दूसरी पत्नी श्रीमती विद्यावती जी (जन्म स्थान हिमांचल प्रदेश का एक छोटा शहर सपाटू, जो की शिमला व सोलन के पास है) से मिट्ठन लाल जी को एक पुत्र और चार पुत्रियां प्राप्त हुई :
1. श्री राम सरन
2. कुमारी लज्जा वती
3. कुमारी सावित्री
4. कुमारी सुशीला
5. कुमारी कुसुम
1950 में जमीदारा समाप्त होने के बाद लाल मिट्ठन लाल जी अपने परिवार को लेकर नई मंडी, मुजफ्फरनगर आ गए और गन्ना क्रेशर एवं आड़त का व्यवसाय करने लगे, फर्म का नाम रक्खा ‘ मिट्ठन लाल सुभाष चन्द्र ‘ ।
हरसौली में कुछ खेती व एक बाग रह गया ।
62 – B, वकील रोड पर अपना दुमंजिला मकान बनवाया । नीचे (Ground Floor पर) गुड़ व खाँड़सारी की आड़त का व्यवसाय होता था ।
आड़त पर वेदो मुनीम और कुछ कारिंदों को रख लिया, जो जीवन पर्यन्त उनके साथ बने रहे ।
घर में गायें व भैंसें पली थी ।
घुड़सवारी छोड़ कर, कहीं भी आने जाने के लिए एक घोड़ा ताँगा रख लिया ।
दशहरे पर तांगे में नीलकंठ पक्षी देखने जरूर जाते थे ।
सातों बच्चों की शादी कर दी ।
श्री राम सरन जी के 4 पुत्र व 2 पुत्रियाँ हुए :
1. श्री सुभाष चन्द्र गोयल (Hydel Department में Executive Engineer पद से रिटायर्ड हो कर ग़ाज़ीयाबाद में अपना मकान बनवाया)
2. कुमारी मधु
3. श्री दिनेश कुमार गोयल (बड़े होने पर व्यवसाय व परिवार की बागडोर उन्होंने संभाल ली)
4. कुमारी मृदुला
5. श्री अजय कुमार गोयल (M.Com, P HD तक शिक्षा हुई , I P (PG ) College, Bulandshahr के Principal पद से रिटायर हो कर वहीं रहते हैं)
6. श्री विजय कुमार गोयल (अपने पिता जी राम सरन जी की तरह ही)
श्री राम सरन जी बहुत ही सीधे – सच्चे आदमी थे, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, सब अपने । श्री राम सरन जी अपनी माँ श्रीमती विद्यावती से बहुत लाड़ लड़ाते थे और उन्हें अम्माँ ना कह कर हमेशा सपाटू की मेम कह कर बुलाते थे ।
लाला मिट्ठन लाल जी नगरपालिका मुजफ्फरनगर में मनोनीत सदस्य भी रहे ।
लाला मिट्ठन लाल जी 1978 में इस इहलोक से प्रस्थान कर गए ।
इस संक्षिप्त लेख के लेखक लाला मिट्ठन लाल जी के सुपौत्र श्री अजय कुमार गोयल जी हैं ।
