अंजू – प्रिय बहन
अंजू – प्रिय बहन
सत्या बुआ जी और बड़े फूफा श्री राज कुमार जी के पाँच बच्चे : गुड्डी दीदी (साधना), सुधीर दादा, छाया बहन, अंजू बहन और मीनू भाई। सत्या बुआ – नाम के ही अनुरूप - सत्य ही सुंदर है, सत्य ही शिव है। सत्यम शिवम सुंदरम।
अंजू बहन बी.ए. हैं या एम.ए. हैं, उन्हीं से पूछना पड़ेगा, हाल अब उम्र के इस पड़ाव में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उम्र 58 से ज्यादा होगी।
‘गाय-भैंस हाँकना’ शब्दों से ‘लम्बी हाँकना’ शब्दों की उत्पत्ति एक खोज का विषय है। हाल इस बात का भी अंजू बहन से कोई मतलब नहीं है।
अंजू बहन से मिलना या मोबाईल पर विडिओ कॉल पर रूबरु होना, एक सुखद अनुभूति / एहसास है, ऐसा ही जैसा कि आदरणीय श्री मोदी जी के अच्छे दिन आने की परिकल्पना या फिर कपिल शर्मा का लाफ़ – आफ्टर शो : यह तो थोड़े दिन पहले ही शुरू हुए, अंजू बहन तो पैदाइशी जौली गुड हैं।
Ordinance Factory में वरिष्ठतम पोस्ट से आदरणीय जीजा जी के रिटायरमैन्ट के बाद देहरादून से मंसूरी जाने वाले रास्ते राजपुरा रोड में घर बना लिया।
उसके बाद हमने कभी भी मंसूरी जाने की नहीं सोची। उसका घर मंसूरी फेसिंग है। मंसूरी के पहाड़ सामने ही दिखाई देते हैं। मंसूरी से आने वाली ठंडी हवा उसके घर से ही गुजर कर रूड़की, मुजफ्फरनगर, मेरठ, ग़ाज़ीयाबाद, नौयडा और फिर दिल्ली पहुँचती है। इन शहरों में ही मंसूरी की उस ठंडी हवा का एहसास हो जाता है, जो प्रिय अंजू बहन के घर से हो कर आई हो।
आदरणीय जीजा जी और प्रिय बच्चों Apple व् Chini से सन 2000 में कानपुर में एक बार भेंट हुई थी, सभी बहुत - बहुत अच्छे।
लिखने में कोई गलती हो गई हो तो क्षमा कर दीजिएगा।
क्षमा वीरों का आभूषण है।
हमने तो राम लीला के अलावा कभी तीर - तलवार चलाए नहीं, अब डरपोक हैं, अतः क्षमा मांगना आदत सी हो गई है।