Brijlala Rohan

Action Inspirational Abstract

2.0  

Brijlala Rohan

Action Inspirational Abstract

परिवर्तन की पुकार

परिवर्तन की पुकार

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अभी हाल- फिलहाल की ही बात है बिहार का एक बहादुर, बेबाक लड़का 'सोनू' जो कि नालंदा जिले के एक छोटे से गाँव नीमाकोल का रहने वाला है, सोशल मीडिया पे अपनी बेबाक वाक्पटुता, बेखौफ अंदाज के कारण छाया हुआ है जो न सिर्फ अपनी बात कह रहा है बल्कि व्यवस्था की पोल खोलकर उसे आईना आईना दिखा रहा है।

बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री और विकास पुरुष से विख्यात श्री नीतिश कुमार से पढ़ने की हिम्मत माँगने वाला वीडियो किल्प बहुत ही करुणामयी है। इसके बाद से ही तमाम न्यूज-चैनल, मीडिया वाले, नेतागण एवं अन्य लोग उससे मिलने जा रहे हैं उसका साक्षात्कार ले रहे हैं तथा इसके साथ- साथ उसे मदद देने करने का भी आश्वासन दे रहे हैं। बहादुर बालक पूरी बेबाकी से अपनी बात रख रहा है तथाकथित उसके पिताजी शराब पीते हैं जिसके कारण पढ़ने के लिए उसके पास पैसे भी नहीं है ऊपर से कम आय का होना ये सब उसके पढ़ाई में बाधा है।

फिर भी वो पढ़ना चाहता है और सतत् रूप से लगनशील भी है वह न सिर्फ खुद अभाव में रहते हुए भी प्रयासरत है बल्कि वह गाँव के  अन्य हमउम्र एवं छोटे बच्चों की भी प्रेरित करता है और साथ ही उनका मार्गदर्शन भी करता है। वह आगे चलकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS ) के पद पर चयनित होकर परिवर्तन लाना चाहता है।

बिहार की शराबबंदी कानून के क्रियान्वयन की खामियों को उजागर करते हुए उसने व्यवस्था को भी आईना दिखा दिया है, उसके द्वारा बताया गया कि पहले शराब उत्पादन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी जरूरी है। क्योंकि जब शराब उत्पादित ही नहीं होगा तो लोग कहाँ से पीयेंगे।

दूसरी और अहम बात बिहार की सरकारी विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था की बदहाल स्थिति को भी बता कर ये फिर से उजागर कर दिया कि वादे, दावे और दारूण स्थिति में कितना अंतर है !ऐसी बात नहीं है कि सरकार और व्यवस्था इस बात से अनभिज्ञ है। वह सबकुछ जानते हुए भी मौन रहने में ही भलाई समझता है : जब सीधी उँगली से ही घी निकल जा रही तो उँगली टेढ़ी करने की क्या जरूरत!

बिहार की बदहाल स्थिति के पीछे यही सब वजहें जो इसे पनपने नहीं देती। आज हजारों- लाखों सोनू बिहार में गुमनाम है जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन पर्याप्त सुविधाओं और माहौल से वंचित रह जाते हैं। ऐसा नहीं है कि शिक्षा के लिए सरकार बजट नहीं देती है खूब खर्च करती है मगर खर्चा की आवश्यकता मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों, शिक्षकों को भी तो होती होगी अब ऐसे में पहले उनकी खर्चा पूरी करना सरकार की जिम्मेवारी हो जाती है न ! जो बचकर आता है  उसमें भी बच्चे बंदरबांट का शिकार हो जाते हैं।

अत: आवश्यकता इस बात की है कि बिहार की बदहाल शिक्षण व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सकारात्मक कार्रवाई निहायत जरूरी है। तथा लोग एवं लोक प्रशासन पूरी निष्ठा से अपनी भूमिका निभायेंगे तभी परिवर्तन लाया जा सकता है।

मसलन शिक्षा विभाग में पारदर्शिता, योजनाओं का सही संचालन एवं धरातल पर उसका कार्यान्वयन होना समय की माँग है। साथ ही शिक्षकों की रिक्ति को भरना, प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति तथा कार्यरत सभी शिक्षकों का समय - समय पर मूल्यांकन करते रहना  जरूरी है । छात्रों के साथ - साथ शिक्षकों का भी मूल्यांकन  सीखने ' सिखाने की प्रक्रिया में सतत् रूप से सुचारू रहेगा ।  साथ ही ईमानदारी से सुचारु शिक्षा को निर्बाध रूप से चलायमान रखने में भी ये कदम जरूरी हैं ।   जैसा कि बालक सोनू द्वारा बताया गया की उसके शिक्षक योग्य नहीं है उचित शिक्षा देने के लिए। अधिकांशत: सरकारी स्कूलों  के शिक्षक एक बार नियुक्ति पत्र मिलने पर सतत् रूप से सृजनरत रहने की प्रक्रिया से बचने का प्रयास करते हैं। अत: इससे शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आती है जिसका स्पष्ट प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।

और  ऐसे में  जब शिक्षकों की मूल्यांकन प्रक्रिया के लागू होने से वे भी खुद को अद्यतन ( अपडेट) रखेंगे।

अत: बिहार के सपूत सोनू की गुहार उसके जैसे ही अनेको सोनू जो बदहाल व्यवस्था का दंश झेल रहे हैं ,की व्यवस्था में सकरात्मक परिवर्तन की पुकार है बहरी कानों तक पहुँचाने के लिए।।



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