पहल आपकी सीख सबको
पहल आपकी सीख सबको
हिंदी????
कितना छोटा और सरल सा शब्द है ना??.. शायद नहीं क्योंकि अगर होता तो इस हिंद में रहकर हिंंद में स्थान पाकर भी हमारे और आपके अपने देशवासी शायद आप स्वयं भी विदेशी भाषा को आज प्राथमिकता देते हैं क्यों???
बच्चों को मॉडर्न स्कूल में पढ़ाना है क्यों??
क्योंकि बच्चा अच्छी अंग्रेजी बोल पाएगा नौकरी पाएगा कल को विदेश जा पाएगा।
आप कर सकते हैं ऐसा ??? नहीं आप करते हैं और कर चुके हैं।
आप करते हैं ऐसा तो मेरा प्रश्न यह है कि जब आप इतने बड़े देश के अंंदर अपने बच्चों का भविष्य बाहर देश में देखते हैं, उन्हें बाहर के फैशन , पढ़ाई, सौंदर्य प्रसाधन की चीजों की ओर बढ़ाते हैं???
तो भविष्य में आप बच्चों को ये कैसे कहते हैं कि आजकल के बच्चे मातृ भक्त, पितृ भक्त नहीं हैं???
क्यों होंगे वो जब आप ही ने उन्हें शिक्षा दी है कि आप अपने परिवार से अलग दूसरे परिवार में जाएं उस परिवार पर ही गहन अध्ययन करें और उसके लिए आप दिन रात एक करते हैं बड़ी प्रसन्नता से कहते हैं हमारा पुत्र/ पुत्री कल को दूसरे परिवार में जाकर आपका नाम रोशन करेंगे। जब वह पूरे तन मन से उस अध्ययन में सफल हो जाते हैं फिर आप से दूसरी बोली भाषा, रीति रिवाज, बड़ाई देखी सुनी नहीं जाती है। और वह जिस दुनिया को जानता है उसी में जीवन यापन करना चाहता है और यह अनुचित भी नहीं है।
अजीब पहेली लगती है ना?? बोया खुद जाता है और जिम्मेदार भाग्य और समाज ,सरकार या अन्य विकल्प। कर्मफल तो अपना ही होता है, जिस तरह आप अपनी मेहनत का मेहनताना लेने या उसे हासिल करने के लिए हर सीमा पार कर जाते हैं, अपना अधिकार जमा कर लड़ाई लड़ते हैं सारा ज्ञान आपको स्वयं होता है , ठीक उसी तरह ये भी है भले ही आप उसके लिए ना लड़ें न मांगें मिलना तो आपको है ही क्योंकि आपने मेहनत की है।
अपनी पहचान से अपनी संस्कृति से जोड़े रखिए अपनोंं को, कल को भाग्य और ईश्वर को दोषी ठहराने से ना आपका समय वापस आएगा ना ही आपका मेहनताना बदला जाएगा। इसलिए कर्म प्रधान और समय बलवान यही समझकर अपने परिवार की, परिवार में अपने और अपनों के गौरव को बनाएं रखें।
यह लेख लिखने का मेरा उद्देश्य किसी की भावना या मर्यादा को ठेस पहुंचाना नहीं है मैं सिर्फ इतना संदेश आप सब तक पहुंचाना चाहती हूँ कि जानकारी दिलाना और अध्ययन करवाना बहुत भिन्न परिस्थितियों का आरंभ बिंदु है।
आप अपने में बदलाव लाएं दुनिया खुद परिवर्तन में आएगी।