Anuradha Negi

Action Inspirational

4.2  

Anuradha Negi

Action Inspirational

कोशिश करने में बुराई नहीं

कोशिश करने में बुराई नहीं

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कोशिश ..... यह शब्द तीन अक्षर का और निभाने के लिए बहुत बड़ा है। पर यदि आप निभा रह हैं तो भले ही बड़ा सा समाज ना बदले बड़ा समूह ना बदले आपकी इस कोशिश के जितना फल न मिले , पर विश्वास रखिए कि आप कोशिश कहीं भी करें कम से कम तीन लोग तो परिवर्तित हो जाएंगे चाहे जहां आपने निभाया वहां हों या उनके द्वारा कहीं कोई और। 

 चलिए इसी कोशिश लेकर आज आपको एक सच्ची घटना से आपको साक्षात्कार करवाते हैं जहां शायद निंदा तो हुई होगी पर बदलाव आए तो निंदा छोटी पड़ गई। और आज भी वो दिन मुझे याद आता है तो हंसी आती है और फिर सुकून भी मिलता हैै आखिर प्रयास तो किया।

 एक बार की बात है नोएडा वापस जाना हुआ गर्मी की छुट्टियां गांव में बिताकर फिर से शहर को उड़ान भरी और नौकरी की तलाश में आधा नोएडा घूम मारा दफ्तरों के गेट पर खट खट करने से लेकर दफ्तर में इंटरव्यू देने और वहां के काम की जानकारी लेने तक सफर रोज सुबह शुरू होता और शाम को खत्म ।

एक दिन एक चार मंजिला इमारत में प्रवेश किया जिसमें असंख्य कार्यालय थे भिन्न भिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले और अनेकोंं कम्पनियों के लिए प्रथम कार्य करके देने वाले छोटे छोटे दफ्तर । यही सोचकर प्रवेश किया कि यहां तो पक्का नौकरी मिलेगी इतने दफ्तरों में कहीं तो जरूरत होगी स्टाफ की। लिफ्ट की सवारी करते करते पूरी इमारत घूम ली पर नौकरी नहीं मिली थक चुकी थी इसलिए सीढ़ियों से लगे एक बेकरी हाउस में गई और एक कोल्ड कॉफी और एक चॉकलेट फ्लेवर की पेस्ट खाई। और बाहर खोखे पर नजर गई चाय पर चाय बनी जा रही और एक लड़का केतली भर भर के उस इमारत में जाता। मैं बाहर निकल गई और उस चाय वाले की फुर्ती देखती रह गई।


मैडम जी देखते रहिएगा कि १० रुपया देकर पीजिएगा भी?? चाय वाला बोला....

 मैं कॉफ़ पी चुकी थी इसलिए मना कर दियाा, फिर वह अगले लड़केे को काम सौंपकर मेरे पास आकर बोला, मैडम आज आप काम के लिए परेशान हैं मैंने आपको देखा आप को अपना फ़ोन नंबर दे जाइए  दो दिन में ही आपके लिए काम की व्यवस्था करता हूं, मैं बहुत ऑफिसों में जाता हूं पूछ लूंगा।

धन्यवाद भाई ! ऋतु ने नोटपैड से कागज का टुकड़ा निकाला और नंबर लिख कर दे दिया।

जल्दी ही आपको मेरी री चाय की चुस्कियां लेने को मिलेंगी, मेरा नाम रामू है । 

ठीक है भाई अभी मैं चलती हूं आप बता देना होगा  तो काम कहीं वरना परेशान न होना पता करने के लिए।

नहीं मैडम ,कोई दिक्कत नहीं ।

मैं चली आई।

अगले दिन सुबह ९ बजे वह फोन करता है, गुड मॉर्निंग मैडम जी, मैं रामू चाय वाला ।

हांजी भैया गुड मॉर्निंग, कैसे हैं??

आपका काम हो गया है आप आज ही ११ बजे आ जाना उसी बिल्डिंग में मुझसे मिलना या आप सेकंड r पर जाकर मुझे फोन कर लेना।

ठीक है भैय्या! मैं आ जाऊंगी।

मैं ये सोचकर परेशान हुए जा रही थी कि क्या काम होगा और इंटरव्यू के लिए क्या चाहिए होगा??

खैर मैं गई और पहले चाय की दुकान पर गई और उसे साथ चलने को कहा।

ऑफिस के बाहर बैनर पर पढ़ने से मालूम हुआ कि वहां ज्योतिषी की पुस्तकें बनती थीं और स्टाफ वहां लेख लिखते थे और कुछ उस लेख में रह गई त्रुटियों में संंशोधन का कार्य करते थे। इंटरव्यू के लिए अंंदर बुलाया गया सामने एक युवा सर पर बाल नहीं पर बहुत ही फिट रहने वाला प्रतीत हुआ, बैठे थे। आइए मैम से लेकर परिचय करने करवाने तक सब इंग्लिश में हुआ। अब बात काम करने की आई और वह बताते हैं कि उनके आर्टिकल लिखे जाने केे बाद संशोधित करनेे होंगे मुझे और बुक पब्लिकेशन को निश्चित करने होंगे। मैंने सवाल किया कि यह आर्टिकल बुक का क्या किया जाता है??

तो वह बोले कि वह विदेश की कंपनी को बेचते हैं और सारे आर्टिकल अंग्रेजी भाषा में ही होते हैं ।

मैंने हैरानी से पूछा ज्योतिष लेख के बारे में बताते कौन हैं???

वह बोले पुरानी किताबों को अंग्रेजी भाषा में बदलते हैं।

मैंने बोला हमारी विद्या, हमारे लोग हमारा ज्ञान सब कुछ आप बाहर बेचते हैं सिर्फ पैसों के लिए???

हिंदी में ही क्यों नहीं वो खरीदते हमारी ज्योतिष की विद्या और पुस्तकें हम उन्हीं पुस्तकों की प्रतियां बढ़ाकर छपवा सकते हैं रोजगार भी हमारे अपनों को मिलेगा और भारत की भारत के लोगों की प्रशंसा भी होगी आपको अपने देश से प्रेम नहीं है क्या??

वह हंसी और बोली क्या करना है ऐसे प्रेम का जहां संपूर्ण मात्रा में रोजगार और पैसा न मिले हमारे जानकारी और हमारे ज्ञान की कीमत जहां पता ना हो।

आपने किया ही क्या है देश के लिए है स्वयं के लिए आप तो कोशिश भी नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि यदि आपने ऐसा किया होता तो आज अमीर विदेश नहीं हमारा देश होता आप जैसी मानसिकता रखने वाले और भी लोग होंगे तो देश के लिए सोचने वाले कहां से मिलेंगे।

अपने इस प्रक्रिया को एकदम समाप्त ना करके एक पहल हिंदी भाषा और भारत के लिए कीजिए, और अपने इस प्रक्रिया को भी जारी रखिए लेकिन सिर्फ तब तक जब तक आपको नुकसान की शंका खत्म ना हो जाए और इस पहल से आपको लाभ मिलने ना लग जाए। मैं उठी और वहां पर रखें कोरे पेपर पर अपना नाम नंबर लिख कर बोला जिस दिन भारत के लिए और हिंदी के लिए स्टाफ की जरूरत हो मुझे फोन कर दीजिएगा मैं जिस नौकरी पर भी रहूंगी उसे उसे छोड़कर आपका ऑफिस ज्वाइन कर लूंगी। 

  

 और ३ साल बाद पता चला वह ऑफिस पत्रिकाएं और स्मारिकाएं छपवाता है । और बाल काव्य की पुस्तकें बिक्री करता है जिसमें सभी भाषाएं सम्मिलित हैं। और सारी महिलाएं वहां पर कार्य करती हैं अपनी अपनी बोली भाषा को अहमियत और एक दूसरे की भाषा को सम्मान व प्रोत्साहन देती हैं।



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