Anuradha Negi

Others inspirational

4.5  

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समझौते के सफल रिश्ते

समझौते के सफल रिश्ते

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 आवश्यक है क्या आपका हर कार्य सफल हो,,आप इतने कामयाब इंसान होंगे कि आपको आत्मविश्वास के अलावा किसी और चीज की जरूरत न पड़े, तो आप गलत हैं आत्मविश्वास मनुष्य को मजबूत बनाता है अडिग रहने में सहायक सिद्ध होता है,,किंतु कोई न कोई आपकी जिंदगी में ऐसा व्यक्ति होता है,,जिससे आप अपनी संपूर्ण जीवन शैली का वृतांत बताते हैं,सुख दुख परामर्श सलाह इत्यादि या वह व्यक्ति विद्यमान जरूर है आपकी जीवन शैली में और आपको उसका आभास नहीं है । साथ रिश्ते में हो या समाज में आपसी समझदारी के बिना सब व्यर्थ है।

बताने जा रहे हैं आपको एक ऐसे रिश्ते से अनजान से पहचान , पहचान से रिश्ता और रिश्ते से सफलता मेंब बदल गया।

 दुनियाभर में समलैंगिक समुदाय तथा उनसे जुड़़े लोगों को ईर्ष्यालु दृष्टि से देखते हैं,आखिर क्यों इसलिए कि वह आम इंसान जैसा नहीं है। जब आप इतने समझदार हैं कि आप अंतर और भेदभाव करना जानते हैं, तो आप यह विचार क्यों नहीं करते हैैं कि हर इंसान प्रभु की रचना है ; और जिस व्यक्तित्वव और शारीरिक रचना से आप घृणा करते हैं वह भी आप जैसे मनुष्य की उत्पति है। इंसान की मानसिक  चीजें प्रायः उसे उसके मूल विकास केे मार्ग को दिग्भ्रमित करती हैं। और इसका ज्ञान बहुुत कम लोग समय से समझ पातेे हैं ।

 तो चलिए आगे बढ़तेे हैं ,,, कहानी की शुरुआत करते हुए..... कहानी पूर्णतया काल्पनिक नहीं हैै किंतु पूर्ण सत्य भी नहीं हैै विषय और जगह परिवर्तित हैं ..... 


 एक बार की बात है एक गांव में एक बूढ़ी विधवा औरत रहती थी उसके तीन बच्चे थे। एक बेटी और दो बेटे थे बेटी की शादी पहले हो चुकी थी वह हालांकि वह बेटों से छोटी थी किंतु प्रायः देखा जाता है कि लड़कियों की शादी पहलेेेेे कर दी जाती है लड़कों सेे। आधुनिक समय में यह कम हो गया है किंतुुुुुु आज भी यह चीजें कहींं ना कही दोहराई जाती हैं। बेटी की शादी होने के बाद बड़े बेटे की शादी हुई एक खूबसूरत बहू घर में आई और घर को संभाला बूढ़ी औरत काफी प्रसन्न थी,, क्योंकि बड़ी बहू बहुत सेवामई और सुशील थी। समय बीतता गया बूढ़ी औरत का एक पोता हुआ जिसका नाम विशाल था, और अब छोटेेेे बेटे की विवाह की तैयारी हो रही थी बूढ़ी औरत सोचती थी कि किसी तरह उसकेे दोनों बेटों का घर बसे ,वे खुशी-खुशी रहें और उसके बाद यदि उसकी सांसें थम भी जाए तो उसे कोई दुख नहीं होगा। पूरे गांव में जोर शोर से चर्चा हो रही थी कि छोटे बेटेेे के लिए अम्मा लड़की देख रही है। गांव का माहौल ही बहुत खुशनुुमा हो जाता था जब भी गांव में कोई शुभ कार्य होने की तैयारी और खुशखबरी होती थी। लड़की मिली और अब शादी का इंतजार था आज भी गांव में बहुत एकता उल्लास और आपसी सामंजस्य देखने को मिलता है लोगोंं का सुख-दुख बंटता है। छोटे बेटे की शादी हुई दुल्हन घर आई छोटी बहू भी व्यावहारिक रूप से बहुत अच्छी थी तथा समाज में  मिलजुल कर रहने वाली थी। अब बड़े बेटे ने अपने परिवार शहर में ले जानेेे का निश्चय किया था तथा बच्चों को स्कूली शिक्षा शहर के स्कूलों में दिलाना तय किया था। छोटे बेटे की शादी के बाद विशाल की एक बहन हुई दीपिका। अब बड़े बेटे का पूूूूूरा परिवार शहर जा चुका था,तथा घर में बूढ़ी औरत और उसकी छोटी बहु रहा करती थी। विवाह हुवे पांच साल बीत चुके थे किंतुु छोटी बहू को कोई संतान प्राप्ति नहीं हुईंं थी । उनके पड़ोस से पता चलता था कि अब सास बहू में अनबन होती है, और मांं अपने बेटे को रोज पर फोन पर कुछ न कुछ उल्टा बहु के लिए कहती।

 

 बेटा चिंतित था और बहू भी घर पर परेशान थी जब भी बेटा घर आता दंपत्ति अपनी समस्या का हल करनेेेे के लिए अस्पताल और चिकित्सालय का चक्कर लगाते थेेेेे और जो जैसे-जैसे सलाह उन्हें देते हर किसी की बात मानने को वे तैयार रहते । काफी सालों के कोशिशों के बाद जब इस कार्य में सफल नहीं हुए और हताश होने लगे, खुशी खुशी से रहनेे वाला परिवार अब गम में डूबा दिखने लगा। किसी को भी यह खबर नहीं थी कि मुख्य समस्या क्या है और जिस वजह से यह परिवार दुुखी है, करण शायद जो छोटी बहू जानती थी या संभवतः उनके पति भी। एक समय आया बूढ़ी मां को घर अकेला छोड़ना पड़ा और छोटेे बहू बेटे भी शहर को चलेेे गए, सभी का विचार यही था कि शायद सास बहू में अनबन हुई होगी कुछ तथा बेटा समस्या सेेे परेशान हो इसलिए कुुुुछ क्षणों केेेेे विराम के लिए वह बहू को घर से बाहर ले गया है । लेकिन कुछ समय बाद पता चला कि छोटी बहु समलैंगिक समुदाय की थी, और शायद मूल कारण यही था जिसके वजह से उनकेेे परिवार में अशांति तथा अप्रसन्नताा का माहौल बन गया था।

 वर्ष भर मेंं एक बार गांव आना तथा महीना भर रह कर वापस शहर को चला जाना, यही प्रतिक्रिया फिर तीन चार सालों तक चली। और दांपत्य जीवन अपनी खुशियोंं की बुनाई कर रहा था ये बात तब किसी को पता नहीं थी किंतु उनके आपसी प्रेम और उनकी खुशियों ने यह जरूर साबित कर दिया था वह साथ में खुश हैं , और शायद अपनी समस्या का निवारण उन्हें मिल गया है,,,। समय बीतता गया और अचानक एक दिन खबर आती है कि दंपत्ति संतान गोद लेना चाहते हैं । उसके बाद प्रायः गांव और समाज में चर्चा होती थी की गोद लेनेेे की क्यों आवश्यकता पड़ी होगीी?? आखिर दंपत्ति में से कौन असमर्थ हैै। शायद कुछ लोगोंं ने जिन्हें समाज और अपनी सोच के चलते कुछ ज्यादा चिंता सतानेे लगती है उन्होंने बूढ़ी औरत सेेेे कई बार इस बारे में प्रश्नन उत्तर किए होंगेे जिसके रोजाना होनेेे से बूढ़ी औरत परेशान हुई और वह भी अपने बहू बेटे केे साथ शहर को चली गई , हैरानी की बात यह थी कि अम्मा छोटी बहु के पास ही रहती थी और अब उनका घर आना जाना महीनों में बदल गया था,, और इस बीच कभी छोटी बहू ने किसी को अपनी समस्या बताते हुए यह बात साझा कर दी की वह समलैंगिक है तथा अब उन्होंनेेेेे एक नए रिश्ते की शुरुआत की है जिसमें उसकेे पति उसका साथ दिया उसकी भावनाओं का सम्मान किया है। और अब आगे के लिए हम संतान गोद लेंगे और ममता तथा प्रेम का आनंंद लेंगेे। धीरे-धीरे यह बात पूरे गांव मेंं पता हो गई किंतु किसी मेंं भी इतना साहस नहीं था कि उस दंपत्ति को कुछ भी उचित या अनुचित कह सकें। क्योंकि जब परिवार और दांपत्य जीवन को सब स्वीकार्य हो तो वे किसी भी तरह की परिस्थिति का भी सामना कर सकते थे,और आज दांपत्य जीवन अपने १५ साल के बेटे के साथ शहर में अत्यंत खुश और एक संपन्न परिवार की तरह जीवन यापन कर रहा है।

  

 भावनाओं का सम्मान कीजिए नई किरणों से उम्मीद जगाइए,, आपकी मंजिल आपके लिए रास्ता खुद बनाएगी।


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