Anuradha Negi

Horror

4.0  

Anuradha Negi

Horror

पूल का आदमी

पूल का आदमी

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ये घटनाओं का वर्णन करना मेरा उद्देश्य किसी अंधविश्वास या भूत प्रेतों को बढ़ावा देना बिल्कुल भी नही है,ये वो घटनाएं हैं जो मैंने अपनी जिंदगी में देखी सुनी और महसूस की हैं।

कुछ घटनाएं सत्य से जुड़ी है तो ,कुछ लोगों की अपनी कल्पना जो भय को बढ़ावा देती हैं और उसे और मजबूत करने में मदद करती हैं। अधिकतर सुनने में आता है कि वही आत्माएं दिखने में आती हैं या परेशान करती हैं जो अपनी उम्र की आधी ही सीमा को पार कर पाए हैं और

किसी के धोखे या अनचाहे मन से मौत को प्राप्त हुआ है।

आखिर क्यों कोई इस तरह अपनी आत्मा को आयु पूरा होने तक भटकाता रहे और लोगों को परेशान करे वो लोग भले हो या बुरे बिना इसके जाने ही वो अपनी संतुष्टि के लिए मन मर्जी से हर कार्य करने लग जाती है जिसका कोई उपाय लोगों को जल्दी समझ नहीं आ पता है।


मैं करीब तीसरी या चौथी क्लास में रही होंगी जहां तक मैं समझ पाऊं मुझे इतनी समझ और अक्ल नहीं थी ,और मैं पहाड़ों से हूं तो हमारे यहां काम खेतों का हमेशा लगा रहता था मैं अनाज का काम तो नहीं जानती थी लेकिन पीएलl हंसिया लेकर हरी पत्तियां काटने जरूर चली जाती थी गांव से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर मैं पहुंची थी और पत्तियां काटने लगी थी, मैं बीच बीच में आराम के लिए खेत को मेढ़ों, पेड़ की छांव या पत्थरों के उपर बैठ जाया करती थी उन दिनों काम करने का शौक हुआ करता था भले ही काम करने का तरीका पता हो या न हो। जिस खेत में मैं गई थी इस खेत की दीवार बहुत ऊंची थी और दूसरे खेत में जाने के लिए सीढ़ियां बनी थी, लगभग उस खेत से सात सौ मीटर दूर के खेतों के पास एक बड़ा सा साफ पानी का नाला था और उस नाले के बीच जगह जगह पर पुल बने थे जिससे इंसान को पार करने में किसी प्रकार की परेशानी न आए ।

में अपने खेत से उपर के खेत की सीढ़ियों पर बैठी थी और उस नाले के पानी की आवाज को सुन रही थी जो बहुत तेज वेग से बह रहा था और दूर से बहुत सफेद नजर आ रहा था। फिर मैंने पुल को देखा कितना सुंदर दृश्य था पूल फिर उसके नीचे बहता पानी सफेदी लिए और फिर पूल के उस पार आम का हरा भरा पेड़ जो कच्चे आमों से झूल रखा था , उस समय स्पर्श तो दूर छोटे फोन भी नहीं होते थे कि एक तस्वीर हम कैद कर लें वहां की। 

मैं एकटक देखे जा रही थी कि तभी मैंने देखा इस पुल पर कोई बड़ा सा सफेद चोगा पहने जो पीछे की तरफ लहरा रहा था एक आदमी उस पर चल रहा था। पहले मैंने अपनी आंखों को मचला की शायद एकटक देखने से धुंध छा गई होगी लेकिन ये क्या वो आदमी इस छोर से उस छोर और फिर उस छोर से इस छोर लगातार यही दोहरा रहा था। मैंने कुछ सोचा कि ये क्या हो सकता है मेरी उम्र भी इतनी नहीं कि मैं खुद कुछ समझ जाऊं या बता पाऊं,मैं उसे आवाज लगाना शुरू हो गई कि आप कौन हैं और हमारी जमीन और सरहद पर क्या कर रहे हैं क्या वह फसल चुराने या पानी को अपने गांव की ओर ले जाने वहां पुल पर आए हैं क्या वह जानते हैं ऐसा करने से हैं वाले इन्हें दंडित कर सकते हैं। वो अपनी प्रतिक्रिया दोहराते जा रहा था न कुछ बोला ना वो मुड़ा न उसने आवाज पर ध्यान दिया ।

मैं अचंभित थी कि आखिर इतना अजीब कपड़े पहने कौन है और बोलता क्यों नहीं फिर मैं आस पास खेतों में किसी को बताने या बुलाने के लिए खोजने लगी और बार बार वापस आकर उसे देखती कि कहीं वो भाग न जाए,

जब मुझे कोई नहीं मिला तब मैं खेत के एक किनारे उसे देखती रही और कमर में हाथ रखकर ये सोचने लगी कि उसे कैसे वहां से भगाया जाए???

मैं सोचती जा रही थी कि अचानक वह आदमी बहुत ज्यादा तीव्र गति से हमारे खेतों की ओर गया और अंत में जहां खेतों की सीमा से लगे चीड़ का जंगल था वहां एक पेड़ से टकराया और उसी पर लटक गया ये सब ऐसे हुआ जैसे किसी ने हवा में जादू किया और उससे ये किरदार सा निभाया गया। उसका पेड़ पर लटकना ऐसा हुआ कि उसने फांसी लगाई हैं और अपनी जान ली है, अब मैं घबरा चुकी थी क्योंकि फांसी लगते ही उसके कपड़े एक लड़के के कपड़े शर्ट और जींस में बदल गए ये क्या था मुझे आभास हो गया कि वो और कोई नहीं मेरे मोहल्ले का ही लड़का था, जिसने ४ ,५ महीने पहले ही अपने माता पिता के झगड़ों से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी, और उस वक्त गांव में बहुत सन्नाटा था उस घटना को लेकर क्योंकि वह लड़का बहुत ही शांत और सरल स्वभाव का था जो सबसे बड़े प्यार से बातें किया करता था। अब मैं थोड़ा तो समझ चुकी थी लेकिन ये नहीं पता था कि वो उसका एकमात्र साया था जो अपनी अंतिम सांस लेने वाली जगह पर आया था या कुछ और । मैं नादान थी ये बातें मुझे आज समझ में आ रही हैं क्योंकि अब मैं बड़ी हो चुकी हूं, लेकिन तब मैंने उसे आवाज लगाई ..भैया आप सही है सब पागल आपको बोल रहे हैं कि आप मर गए हैं बुजदिल कह रहे हैं चलो अब हम साथ में चलते हैं, और बिना विलंब के मुझे ऐसा लगा कि उसने बोला तू चल मैं बहुत जल्द ही आऊंगा और अपने घर के पास वाले मौसमी के पेड़ पर रहूंगा। और कुछ दिन बाद रात के समय के वह आया भी उसने कुछ रात तक बहुत परेशान किया सब उसको कभी चोर समझते कभी कुछ लेकिन जब लगातार उसने अपने ही घर वालों परेशान किया, किसी अन्य को नहीं और ४ ,५ बार ऐसा ही होने पर उसके घर वालों ने कई जगहों पर जा जाकर साधु महात्मा से उपाय सुझाया और उसकी स्वर्ण प्रतिमा बनवाकर पूजा विधि संपन्न करवाई और उसकी आत्मशांति के लिए प्रार्थना की।



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