sonal johari

Horror Romance Fantasy

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Part 8:- क्या अनामिका वापस आएगी ??

Part 8:- क्या अनामिका वापस आएगी ??

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पार्ट 7 मे आपने पढ़ा, अंकित एक ड्रेस खरीदता है अनामिका के लिए, और शोरूम से बाहर आते ही एक लड़के से टकरा जाता है, उसके हाथ से गिरा पर्स जब उठा कर देता है तो पर्स में लगे अनामिका के फोटो को देखकर चौंक जाता है ...अब आगे:--


अंकित के हाथ से पर्स लेकर फोटो चूमते हुए “सोरी आं.....”

 फिर अंकित के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला

” संभाल के दोस्त “...और जाने लगा… 


अंकित उसे आश्चर्य से मुंह खोले देख रहा था… उसके निकल जाने के बाद भी स्तब्ध सा वहीं खड़ा रहा, आस पास से लोग उससे टकराते हुए निकल रहे थे...न जाने कब तक ऐसे ही रहता, वो तो एक बहुत छोटी सी बच्ची उससे टकरा कर गिर गयी और रोने लगी... और उसके रोने से जैसे चेतना वापस आई हो,

दिमाग ने कहा “अबे भाग...उसके पीछे” और अंकित उसी दिशा में दौड़ गया जिस दिशा में लड़का गया था.... कुछ मिनट दौड़ने के बाद भी उस लड़के का नामोनिशान तक ना दिखा ...

हताश अंकित, अपना पैर जमीन में मारते हुए बोला “.लड़का. ..गया कहाँ ? जमीन निगल गयी या आसमान खा गया उसे...आह” थोड़ी देर बाद ..खुद को ठेलता सा घर लौटा वो, सफ़ेद ड्रेस का पैकेट जो गर्व से अपने सीने से लगा कर ला रहा था खरीदते वक़्त ,वही सब्जी वाले थैले के साथ लटकाए हुए था, जब घर में घुसा तो 

सरोज बोली “अंकित.... (मुसकुराते हुए ) आ गया... हाथ मुंह धो ले..पता है लड्डू बनाए हैं”

माँ...कुछ नहीं खाना आज मुझे” सब्जी का थैला उन्हें पकड़ाते हुए बोला और सीढ़ियाँ चढ़ने लगा

कुछ नहीं खाना...क्या मतलब...तेरी तबीयत तो ठीक है...सच बता मुझे”

उन्होंने चिंता से पूछा

“हाँ हाँ...ब्स्स ऑफिस में खाना खा लिया था..पेट मे भारीपन है...ब्स्स सोऊंगा... सुबह तक खुद ठीक हो जाएगा..चिंता की कोई बात नहीं आप परेशान ना हो” उसने पीछा छुटाने को बोला और अपने कमरे में जा... धम्म !! से बिस्तर पर लेट गया..

और मन ही मन सोचने लगा, आखिर कौन था वो लड़का...अनामिका की ज़िंदगी में कोई है..और इस हद्द तक है ...वो पहले ही किसी से प्रेम करती है... आह! 


आज शाम तक ये खुशनुमा लगने वाली ज़िंदगी अब मुझे नर्क सी लग रही है...कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करूँ,.....

(बैठते हुए ) क्या क ......रूं

दिमाग:” रुक थोड़ा.... बौखला मत”

अंकित:” अब बचा ही क्या है”

दिमाग:”तुझे इतना भी बुरा क्यूँ लग रहा है”

अंकित :-ये भी बोलने की जरूरत है क्या...प्यार करने लगा हूँ मैं उससे

दिमाग:-ये भी तब पता लगा जब वो लड़का मिला ?

अंकित:-एहसास तो था लेकिन इस कदर वो ...आज ही पता लगा...लेकिन अनामिका ने मुझे ये बताया क्यों नहीं”?

दिमाग :-तुझे क्यूँ बताएगी वो... ये भी तो सोच..तू है ही कौन उसका

अंकित :- हम्म हम्म ...मेरा सिर मानो फटा जा रहा है..कुछ समझ नहीं आ रहा

दिमाग:-एक बात तो सोच ...वो उस दिन तेरा हाथ पकड़ कर क्या बोली थी

अंकित :“क्या”

दिमाग : “आप मेरे अपने ही तो है... याद आया?

अंकित :“अररे हाँ...”(खुशी से ) और ( दुखी होते हुए ) आज जो देखा उसका क्या ?

दिमाग :- एकतरफा प्रेमी भी तो हो सकता है ?

(खुशी से )“ सही है..हाँ यही होगा ...नहीं तो इतने दिनों में एक बार तो दिखता उसके घर पर या उसके घर के आस पास दो बार वो घर के बाहर दिखी और दोनों बार अकेली

दिमाग :हम्म...लेकिन सोच ...अगर उसने तुझसे पहले, प्रपोस कर दिया तो ?

अंकित :-“तो “

दिमाग :-“तो ये कि उसके चान्सेस ज्यादा है”

अंकित :-“कैसे भला”

दिमाग :-“उसकी बॉडी देखी ही होगी... मस्कुलर है वो “

अंकित :-“बॉडी होने से क्या होता है, समझदारी की, अच्छाई की कोई कीमत नहीं?


दिमाग :-“शक्ल और बॉडी पहली नजर में दिखती है...लेकिन समझदारी दिखते दिखते ही दिखती है...और चल मान ले सब तेरे अनुसार हो गया, अनामिका ने तुझे हाँ बोल दी....जब उस लड़के को पता लगेगा वो गुस्से में तुझसे लड़ने आ धमका या उसने कुछ अनामिका को बोला तो ?


अंकित :-“मार दूंगा साले को ” 

गुस्से में दाँत भीचते हुए उसने ग्लास उठा कर जमीन पर दे मारा जिसकी आवाज आंटी ने सुन ली…

अंकित तू ठीक है ना..... “उन्होंने नीचे से ही आवाज लगा कर पूछा

हाँ हाँ आंटी जी ठीक हूँ ...बेड से गिलास गिर गया” ये माँ भी न कभी कभी लाड़ की अति कर देती हैं


दिमाग”-“मुद्दा अभी आंटी नहीं, कुछ और है

“हम्म... तो “


दिमाग :-“तो क्या.. हाथापाई हुई तो... तुझमें उसका एक हाथ सहने की क्षमता नहीं..झींगे जैसा शरीर है तेरा, चोट तो ठीक हो भी जाएगी..लेकिन तुझे जो अनामिका की संवेदना मिलेगी उसका क्या”

अंकित :-“संवेदना क्यों”

दिमाग:-“अब हारने वाले को संवेदना ही मिलती है..मेरे भाई ... अनामिका में कोई कमी तो नहीं, कोई भी लड़की ...एक ऐसा लड़का ही चुनेगी जिसके साथ उसे सिक्योर फील हो“

अंकित:-“सही बात है .... बॉडी ना हम्म .बॉडी..यूं ...(चुटकी बजाते हुए) यूँ बना लूँगा... और रही बात शक्ल की (शीशे में देखते हुए) शक्ल बहुत बेहतर है मेरी ...

दिमाग:“तुझे कहीं आकर्षण मात्र तो नहीं”


“हरगिज नहीं... जरूरी तो नहीं जल्दी में लिया गया हर फैसला गलत हो ,ये जीवन या तो उसके साथ या किसी के साथ नहीं”

“राखी को लेक्चर आप ही दे रहे थे ना “

“हां...लेकिन कितना भी वक़्त बीत जाये मैं उसके लिए कुछ महसूस नहीं कर सकता...जो भावनाएँ अनामिका के लिए है वो किसी के लिए ना तो हुई हैं ना होंगी मुझे अनामिका चाहिए”

 “हम्म..और कैसे ..ऐसे ही नोट्स बना- बना कर”

“न.....हीं बहुत हो गयी पढ़ाई...अब सिर्फ पढ़ाई नहीं”

“जिम जॉइन करने का वक़्त भी तो नहीं ...कैसे करेगा?“

“शाम को तो वक़्त नहीं..सुबह एक घंटे पहले उठकर जिम जॉइन कर सकता हूँ”

और जिम जॉइन उसी मार्केट में कर..हो सकता है वो लड़का जिम में या उसी मार्केट में दिखे”


“सही कहा...उसी मार्केट में जिम जॉइन करूंगा और अगर कहीं दिख गया वो लड़का, तो मारूंगा उसे "


"अनामिका हेरोइन है उस हीरो मिलना चाहिए विलन नहीं"

"हम्म ...पर एक दो हाथ मारना बनता है 

( उसने पांचों उंगलियाँ मिलाकर पंच बनाते हुए कहा)

“ये ठीक है ...जिम कब जॉइन करेगा ”

“कल सुबह ही करूँगा”

 “ठीक अब समय देख”

“2 बजे हैं “

“जल्दी उठना है ना,सो जा”

“हाँ सो जाता हूँ”

और अंकित ऐसे खुद से बात करते करते बिस्तर पर लेट गया...कुछ देर करवट बदली फिर सो गया


सुबह 6 बजे ,गोल्ड जिम

दरवाजे पर कदम रखा ही था..कि नजरे उसी लड़के को ढूँढने लगी..

इतने में एक लड़का उसके सामने आकर बोला,”कहिए सर...”

अंकित :- “जिम जॉइन करनी थी “

आइये मेरे साथ” कहकर लड़का अंडर मुड़ गया, काँच के बने एक टेम्परेरी काँच के बने केबिन में ले गया, जहां सेंडो बानियाँन पहने मस्क्युलर लड़के की तरफ अंकित देखता रहा और मन ही मन उसकी जगह खुद को इमेजिन करने लगा

कहिए सर...मेरा नाम अनवर है, कौन सी मैम्बरशिप चाहिए ... 3 महीने की,6 महीने की या साल भर की”

अंकित :-“कोई आइडिया नहीं मुझे....आप ही बताओ...ब्स्स मस्क्युलर दिखना चाहता हूँ”

अनवर :-“हम्म...कितने”?

अंकित :-“ब्स्स शर्ट भी पहना हूँ तो सामने वाले को लगे कि इसके एब्स बने हुए हैं”

अनवर :- “शर्ट पहने हुए मस्कुलर दिखना है “?

अंकित :- (शर्माते हुए हाँ में सिर हिलाता है )

अनवर :-“ ओह्ह ...( मुसकुराते हुए... जैसे सब समझ गया हो ) लेकिन उसमें टाइम लगेगा..फिर इस पर निर्भर करता है कि आप कितना वर्कआउट करते हैं..और डाइट कैसी लेते हैं....लेकिन 3 से 4 महीने में आपको फर्क दिखना शुरू हो जाएगा खुद में”

“3 से 4 महीने अच्छा ....ठीक है ..6 महीने का कितना पैसा देना होगा”

आपके लिए बेस्ट ऑफर है मेरे पास 1950/-रुपये का

अंकित ने 1000 रुपये देने के लिए निकाले ,

दिमाग :-मत दे इतने, 500 ही दे ना,अनमिका ने अगर इस बीच डिनर के लिए बोल दिया तो क्या ढाबे पर खिलाएगा

अंकित:- “हम्म... (500 रुपये अनवर को देते हुए) ये लीजिये एडवांस”

अनवर:-(पैसे लेते हुए ) ठीक है कल से शुरू करते हैं इसी टाइम

अंकित :- “आज से क्यों नहीं ?”

अनवर :- “आज से ही ...ठीक है आइये”


उसके घर में कदम रखा ही था, कि सामने से आती दिख गयी अपने रेशमी बालों को उँगलियों से संवारती हुई..

अनामिका :-“अंकित ...आइये ...आप बैठिए मैं कुछ खाने को ले आती हूँ “

अंकित :- अररे मुझे कुछ नहीं खाना ...आप बस्स बैठ जाइए मेरे सामने ( फिर बात संभालते हुए )...वो अ...मेरे कहने का मतलब ..देखूँ जरा पढ़ाई कैसी जा रही है आपकी”

अनामिका :-“ब्स्स अभी आई ...आप बैठिए तो”

अंकित मन में “बताओ क्या करे इसका?” थोड़ी ही देर में कॉफी लेकर आ जाती है अनामिका, और कप उसकी ओर बढ़ाते हुए बोलती है

किस टॉपिक के नोट्स लाये है आज “

अंकित का दिमाग :- “ले और कर पढ़ाई की बात ...”

“तो और क्या करता?”

“कम से कम अब तो कुछ और बोल “

“क्या बोलूँ “?

“कॉफी की तारीफ ही कर दे “

अंकित :-“अनामिका जी आप कॉफी बहुत अच्छी बनाती हैं.. मुझसे इतनी अच्छी कभी नहीं बनती”

अनामिका :-“आप पानी मिला देते होंगे”

अंकित :- “अ... हाँ ... बिल्कुल ठीक ऐसा ही है“ उसने जैसे अपनी गलती मानते हुए कहा और अनामिका उसे कॉफ़ी बनाने की विधि बताने लगी

अनामिका :- “ पहले जितनी कॉफी बनानी है उतना कप दूध उबलने रखना है फिर ,,##########फिर#### और .###

अंकित का दिमाग :- इससे पहले कि ये तुझे आलू मटर कि सब्जी की रेसेपी बताए ...टॉपिक बदल दे

ब्स्स बन गयी कॉफी ...अनामिका ने बात खत्म की और अंकित ने बिना सुने ही

वाह ! ऐसे बनाती हैं आप? तभी ... “

“और खाना कौन बनाता है आपके लिए ?“ उसने भोलेपन से पूछा तो 

अंकित का दिमाग उसी पर हँस दिया “बहुत अच्छे ..सही जा रही है... कुछ भी बोल ये है ,तेरे टाइप की ही... हा हा हा ... और


अंकित को मुस्कुराते देख अनामिका ने देखा तो बोली

“आप मुस्कुरा रहे हैं क्या हुआ ?”


कुछ नहीं ...ब्स्स माँ की याद आ गयी...

 वो तो रही नहीं ... मेरी मकान मालिक मुझे अपना बेटा ही मानती हैं ...अधिकतर वही खाना बनाती है मेरे लिए 

अनामिका:- ओहह

अंकित :-“अच्छा चलता हूँ... “

दिमाग :- “कुछ बोल तो दे “

“ क्या बोलूँ ..क्या अच्छा लगता है ऐसे”?

“तमीज़ से तारीफ करना कोई बुरी बात तो नहीं...और उस मस्कुलर को मत भूल “

हम्म ... अनामिका आपके अ.... अ ..”

“बोलिए ...”

“अ ... बाल काफी अच्छे है... आपके ... ब्स्स... यही” बड़ी मुश्किल से अंकित कह पाया

अनामिका :- “ओहह ...अच्छा...शुक्रिया” उसने मुस्कुराते हुए कहा

शुक्र है नाराज नहीं हुई ... अंकित ने निकलते हुए कहा

अभी कुछ कदम ही चल पाया था कि वही लड़का अनामिका के घर से कुछ दूरी पर दिखा फोटो खींचते हुए ... उसे देखते ही अंकित गुस्से से भर गया और पूरी ताकत से उसी ओर दौड़ गया...................... क्रमश : .....


  


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