भीगी पलकों से ज्ञानेन्द्र ने कल्पना को गले लगा लिया, "कल्पना... ओ मेरी कल्पना!......" भीगी पलकों से ज्ञानेन्द्र ने कल्पना को गले लगा लिया, "कल्पना... ओ मेरी कल्पना!.....
शुक्रिया नींद और स्वप्नलोक का आभार। शुक्रिया नींद और स्वप्नलोक का आभार।
पत्नी का डर विश्वास में बदल गया। पत्नी का डर विश्वास में बदल गया।
मैं निस्तब्धता से उसे जाते हुए देखती रही। मैं निस्तब्धता से उसे जाते हुए देखती रही।
राजनीति से ऊपर उठ, उनके लिए कुछ काम करें। राजनीति से ऊपर उठ, उनके लिए कुछ काम करें।
ऊपर कमरे में आकर बिस्तर पर लेटा और कहानी जिसकी आदत बन गयी हैं अब लिखकर सो गया। ऊपर कमरे में आकर बिस्तर पर लेटा और कहानी जिसकी आदत बन गयी हैं अब लिखकर सो गया।