नींद की दुनिया
नींद की दुनिया
जेनी दिन भर की थकन से चूर हो कर बिस्तर पर निढाल थी। आज उसका मन बहुत विचलित था। स्कूल में एक छात्र की माँ का अचानक निधन हो गया था। जेनी उसको ढाढस तो बंधा गई पर घर के अंदर प्रवेश करते ही आज उसे अपनी दिवंगत माँ की बहुत याद आई। इतना मन कचोटने लगा कि कुछ काम करने का मन ही नहीं हुआ। अमूमन जब वह स्कूल से शाम छह बजे घर आती तो उसके पास फिर भी घर के कई कामकाज करने की ऊर्जा बची रहती थी पर आज मन भारी था। एक अजीब सी उदासी छायी थी। आज वह घर में अकेली भी थी उसके घरवाले सब दूसरे शहर में एक शादी समारोह में गये हुए थे।
जेनी ने अपने लिये बस ब्रेड सैंडविच टोस्ट बनाया और एक ग्लास कॉफ़ी बनाई। अपना बचपन और माँ को याद कर एक एक टुकड़ा किसी तरह खाया और कॉफ़ी पी कर कप धोकर आ गयी अपने कमरे में। सोने से पहले उसने हाथ पैर धोये और थोड़ी देर ईश्वर का ध्यान लगाया। जाने कब उसकी आंख लग गई।
जैसे ही निद्रा देवी उसकी आराधना से प्रसन्न हुई, उसने उसे सपनो की परियों के दर्शन करवाये। जेनी को लगा कि वो हवा से भी हल्की हो गई हो जैसे। वह अपनी बिस्तर समेत उड़े ही जा रही थी ऊपर ही ऊपर अनंत आकाश में। सब कुछ कितना प्रकाशमय, कितनी शांति, कितना सुखमय था। जेनी आनंद में डूब रही थी। क्या यही स्वप्नलोक है ? क्या दादी की कहानियों का स्वर्ग यही है...शायद।
किसी अलौकिक सी ऊर्जा थी चारों ओर। उस पल जेन की जैसे सारी थकान, आलस, दुख, चिंता, क्षोभ, पीड़ा, निराशा, किसी का कोई आभास नहीं रह गया था। जेनी जैसे खो गई, सब कुछ भूल गई। तभी उसका मन हुआ कि यहीं कही पर उसकी माँ भी होगी, चलो उसे ढूंढती हूँ कि तभी, यह ख्याल आते ही अचानक से उसका स्वप्न टूटने लगा और वह एकदम से नीचे वापस अपने बिस्तर पर आ गई। टूटे सपने ने माँ से मिलने न दिया पर उसकी थकन और क्लान्ति ज़रूर दूर कर दी। उसने नींद की दुनिया को धन्यवाद दिया कितने समय बाद ऐसी गहरी नींद आज आयी थी। शुक्रिया नींद और स्वप्नलोक का आभार।
