पार्ट:12-मालवन में 'वो'
पार्ट:12-मालवन में 'वो'
आपने पिछले पार्ट में पढ़ा कि मंजरी के ये बताने पर कि वो अब देवांश के साथ ही जीना चाहती है..देवांश में भी उसके साथ जीने की इच्छा जाग जाती है, और देवांश उसे एक झोपड़ी के पास ये बोलकर ले जाता है कि उसमें मौजूद सख़्श उनकी मदद कर सकता है, लेकिन जैसे ही मंजरी अंदर जाना चाहती है तो वो उसे रोक लेता है, अब आगे.....
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"क्या हुआ" ? मंजरी ने आश्चर्य से पूछा
"मंजरी पहले उनके बारे में जान लो, वो एक योगी हैं उनका नाम योगेंद्र प्रकाश है, मेरे जैसे अभागे लोग जो अकाल मृत्यु के कारण ऐसे भटकते रहते हैं..ये ऐसी आत्माओं को देख और सुन सकते हैं,
"अच्छा" आश्चर्य से मंजरी ने मुंह पर उंगलियां रखते हुए प्रतिक्रिया दी..
"दुख में डूबे ऐसे परिवार जो अपना सम्बन्धी खो देते, उसी मरे हुए संबंधी से कुछ पल की बातचीत ये करा देते, और तुम सोच सकती हो ये कितना अभूतपूर्व अनुभव होता होगा..उस दुखी परिवार के लिए"
"बेशक, इससे भी ज्यादा शांतिदायक और क्या हो सकता है"
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