ऑर्केस्ट्रा
ऑर्केस्ट्रा
आज उनके एरिया में ऑर्केस्ट्रा का प्रोग्राम था। आर्केस्ट्रा पार्टी के सभी कलाकार वहाँ पहुँच चुके थे। लोगों की दौड़ भाग चल रही थी। इस बीच एक महिला कुछ अलग थलग बैठी नज़र आयी। शायद वह ऑर्केस्ट्रा की फीमेल सिंगर थी जो अपने गानों की लिस्ट और उनकी लाइन्स देख रही थी। इसी के बरक्स थोड़े दूर सारे मेल मेंबर्स अपनी अपनी बातों में मगन थे, शायद वह भी अपने सीक्वेंस और परफॉरमेंस पर डिस्कस कर रहे थे।
मैं बीइंग वन ऑफ़ द मेम्बर फ्रॉम ऑर्गेनाइजर कमिटी सीधी उनकी तरफ़ गयी और साइड वाली चेयर् पर बैठते हुए अपना परिचय देने लगी। परिचय के बाद हम बातें करने लगी।
वह फीमेल सिंगर खूबसूरत होने के साथ साथ मख़मली आवाज़ की मालकीन थी। बातचीत में भी वह प्रोफेशनल लग रही थी। उनकी आवाज़ की तारीफ़ करने पर वह बताने लगी की उनके पापा भी अपने ज़माने के मशहूर गायक थे।
साउंड सिस्टम और स्पीकर्स लगाने का काम चल रहा था। दिखने लगा की साउंड सिस्टम, माइक्स और स्पीकर्स में थोड़ा टाइम लगने वाला हैं तो हम फिर अपनी बातों में मशगूल हो गये। मेरे बारें में मैंने दिल्ली के जॉब के बारें में बताया जिसे सुनकर वह इम्प्रेस होती हुयी लगी। मेरे पूछने पर वह अपनी शादी और बच्चों के बारें में बताने लगी। आम तौर पर पुछें जाने वाले सवाल की पति क्या करते हैं पर उन्होंने एक लंबा पॉज़ लिया। किसी कहानी में मैंने पढ़ा था की कभी कभी कुछ सवाल शायद हमे असहज कर देते हैं… आज उसे देख भी लिया… इस एक पॉज़ से वह शायद संभल गयी और आगे बताने लगी की पति भी कभी आर्केस्ट्रा में उसके साथ गाया करते थे। उसी दौरान उन दोनों में मोहब्बत हुयी…मैं अपने मन में सोचने लगी की यह तो एकदम नार्मल हैं…प्यार मोहब्बत के गानें गाते गाते यह होना बेहद आम हैं…लेकिन आगे जो उसने कहा शायद मैं उसके लिए तैयार नहीं थी… नम आँखों से अपने डिवोर्स के बारें में बताते हुए उसने आगे बताया की दो बेटियों में से बड़ी बेटी पापा के पास हैं और छोटी बेटी उसके पास हैं…
अचानक माइक टेस्टिंग और इंस्ट्रूमेंट्स की आवाज़ आने लगी। शायद स्पीकर्स की टेस्टिंग शुरू हो गयी थी…
कभी कभी हम पहली ही मुलाक़ात में क्लोज़ हो जाते है। इसी बेतकल्लुफ़ी में उसने अपने फ़ोन से बड़ी बेटी की तस्वीर दिखाने लगी। मेरे 'नाइस फ़ोटो' कहने पर अपनी नम आँखे और उदास लहज़े में उसने बताया की बड़ी बेटी उससे मिलती नहीं हैं… मैंने कुछ अटकते हुए कहा, "फिर यह फोटो?" उदास लहज़ें में वह कहने लगी,"यह फेस बुक के स्क्रीन शॉट से लिया हैं…"
"क्या हम शुरू कर सकते हैं?" अनाउंसर के जोशीले अंदाज़ पर भीड़ का ज़बरदस्त हो हल्ला गूँजने लगा। अपनी बातें ख़त्म कर वह स्टेज़ पर जाने लगी। मैं भी लोगों के बीच बैठ गयी।
आर्केस्ट्रा शुरू हुआ। वक़्त बीतने के साथ आज़ कुछ डुएट गानों का रंग शोख़ और गहरा होने लगा। लोग भी एंजॉय कर रहे थे।उनका रिस्पॉन्स भी काफ़ी अच्छा था।
इसी शोरगुल के बीच आर्केस्ट्रा के अनाउंसर ने अनाउंस किया की अभी किसी की फ़रमाइश आयी हैं…लता दीदी का 'बेदर्दी बालमा तुझे मेरा मन याद करता हैं… माय बाप जनता जनार्दन की ख़ुशी के लिए मैं हमारी आर्केस्ट्रा की सुपर सिंगर मिस जूली को तालियों के गड़गड़ाहट के बीच आपके सामने बुलाना चाहता हूँ… आइए, मिस जूली…जूली…जूली…जूली…के कम होते इको के बीच ही सिंगर ने अपना माइक संभाला और लोगों की तालियों के बीच आरज़ू मूवी का गाना 'बेदर्दी बालमा तुझे मेरा मन याद करता हैं…गाना शुरू कर दिया…
लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच गाना ख़त्म हुआ…लोगों ने वन्स मोर..वन्स मोर.. से माहौल बना दिया। सिंगर की परफ़ॉर्मनेंस बहुत अच्छी थी। सिंगर मिस जूली ने उस गाने में जैसे अपने मन के भावों को ही उड़ेल कर रख दिया था …
अनाउंसर ने कहा, "रात ज़्यादा हो रही हैं…अगर गानों को इस तरह से रिपीट करेंगें तो आपके लिए ही गानें कम होंगें…हाँ..तो हम आगे बढ़ते हैं अपने अगले गाने की तरफ़… नेक्स्ट गाने के लिए जैसे ही अनाउंसर आगे कुछ कहने लगा उसी समय भीड़ में से एक व्यक्ति उठकर गया। अनाउंसर ने उसके हाथ से काग़ज़ लिया शायद कोई फ़रमाइश थी। "ओहो ओहो..पग घुंघरू बाँध मीरा नाचे थी…गाने की फ़रमाइश आयी हैं…चलिए शुरू करते है यह गाना…"
ऑर्केस्ट्रा लोगों के हो हल्ले के बीच आगे बढ़ता जा रहा था… रात का रंग शोख़ और गहरा होने लगा…बिल्कुल वहाँ गाए जा रहें उन गानों के मूड की तरह .. मेरा ध्यान अचानक फीमेल सिंगर की तरफ़ गया… गानों की बीट्स पर उन ऑन ऑफ होते रंगबिरंगी लाइट्स के बीच गीली आँखों से अपनी तमाम सुनहरी यादों को पीछे छोड़ वह थिरक रही थी…बिल्कुल एक प्रोफेशनल सिंगर की तरह…
