बुक लॉंच
बुक लॉंच
कल एक बुक लॉंच में जाना हुआ। अमूमन कुछ अर्सा पहले के लेखक शबनम बैग और कुर्ता पाजामा पहने होते थे। उसके भी पहले के लेखक गरीब और टूटी चप्पलों में हुआ करते थे लेकिन अब चीज़ें बदल गयी हैं। अब लेखक सूट बूट में होने लगे हैं। यहाँ इस बुक लाँच पर भी ऐसा ही था। लेखक क्योंकि आयएएस थे…सूट बूट और टाई में थे। उनके सर्कल में भी मैक्सिमम आयएएस, आयपीएस और आयआरएस टाइप के लोग थे। साहित्यिक लोगों के भीड़ की चाह और अपेक्षा में यह साहेब लोगों को देखना मेरे लिए वंडरफुल था और मुझे अचरज भी हुआ और तो और बातचीत भी इंग्लिश में ही हो रही थी।हिंदी तो बस बीच बीच में आ जा रही थी जैसे की अपनी उपस्थिति जता रही हो।
समारोह की शुरुआत किसी महिला ने की जो की लेखक की पत्नी ही थी। वह फ़्लूएंट इंग्लिश में लेखक और उनके लेखन के बारे में बताते जा रही थी की कैसे वह अपने बिजी शेड्यूल में लिखने के लिए वक्त निकालते हैं और भी बहुत कुछ। पति के बिजी शेड्यूल और लेखकीय यात्रा के बाद उन्होंने लेखक को आमंत्रित किया।
लेखक ने टाई की नॉट ठीक करते हुए बोलना शुरू किया की कैसे अपने दस साल की उम्र में पापा की अमेरिका पोस्टिंग में वहाँ गए और उनका वहाँ का स्ट्रगल…उनकी लेखन की प्रतिभा के बारें मे उनके अमेरिकन टीचर को कैसे पता चला। बाद में इसी लेखन कला को उन्होंने अपने एक्सपीरियंस, उनके कुछ कलीग की बातें ऐसे ही कुछ इन किताब में शॉर्ट स्टोरीज के रूप में उन्होंने कलमबद्ध किए वग़ैरा वगैरा।
वहाँ सुंदर सी पैकिंग में किताबें थी… किस्से, कहानियाँ थी… माहौल था…अभिजात लोग थे…सब कुछ था…
फिर भी कुछ मिसिंग सा था।
क्यों?
इस क्यों का क्या?
ज़िन्दगी हैं…किस्से कहानियों तो होते ही रहते हैं…
लेखक की अमीरी और ग़रीबी एक बात हैं…साहित्य की आत्मा और बात हैं…
