नामोनिशान
नामोनिशान
इतने दिनों के बाद कल उसका मायके आना हुआ। घर मे सब लोग खुश थे। परिवार में भी सब तरफ़ हँसी का माहौल था। घर मे उसकी पसंद की चीजें बन रही थी।वह भी खुश थी।शादी के इतने दिनों के बाद यहाँ मायके में आना जो हुआ था। शाम को मामा का फोन आया था। उन्होंने घर बुलाया था।बचपन से ही मामा के घर जाने के लिए उसका मन हमेशा ही लालायित रहता था। आज भी कुछ कुछ वैसा ही लग रहा था। वही उत्साह था....
मामा मामी के लाड़ प्यार से वह भाव विभोर हो गयी थी। वापसी में बचपन की कितनी सारी बातें उसे याद आ रही थी। वह अपनी ही रौ में चले जा रही थी। अचानक झील के पास वाला बरगद का वह पेड़ उसे दिखायी दिया। उस पेड़ को देखते ही कितनी सारी यादें उसके जहन में ताज़ा हो गयी।उस पेड़ के तने में उन दोनों के नाम लिखे थे। उस अल्हड़ प्यार में वशीभूत होकर उन दोनों ने दिल और तीर वाले निशान के साथ दोनो के नाम के साथ प्यार का इज़हार किया था।
न जाने कैसे उन नामों को देखने के लिए वह उस पेड़ की तरफ मुड़ गयी।उसे आश्चर्य हुआ। वह नाम आज भी ज्यों के त्यों थे। वही दिल और तीर....और वही नाम भी...
लेकिन उसके जिंदगी में अब वह नाम नही था। वह नाम ही नही बल्कि सब कुछ अब बदल गया था।उस पेड़ वाले नाम की कोई भी अहमियत नही रह गयी थी।
अब उसे पेड़ पर गुस्सा आने लगा। उस ने क्यों अब तक उन नामों के साथ दिल और तीर वैसे ही रखा? क्यों नही सब कुछ मिटा दिया? उसे याद आया गुलाबी मौसम का वह दिन और सब कुछ। उस दिन कण कण जैसे प्रेम में सराबोर था...
अभी तक उसका मन जिस आनंद और मस्ती में झूम रहा था वह न जाने क्यों बोझिल सा हो गया।
अचानक फ़ोन की घंटी बजी। पति का फ़ोन था। थोड़ा रुक कर उसने बोलना शुरू किया। हँसते हुए...आवाज़ में मिठास घोलते हुए पति प्यार से बातें कर रहे थे...वह उसे मिस कर रहे थे...वह भी उनसे प्यार जताते हुए बातें करने लगी। उन बातों में हँसी थी...प्यार था...
थोड़ी देर में बातें ख़त्म हुयी...उसे ध्यान आया बातें करते करते वह बरगद का पेड़ पीछे चला गया....उसे लगा आज सिर्फ़ बरगद का वह पेड़ ही नहीं बल्कि जिंदगी में और भी बहुत कुछ पीछे छूट गया है...