लॉक डाउन की बातचीत -05
लॉक डाउन की बातचीत -05


हाय, संदीप! कैसा है, बिराज ने फ़ोन उठाते ही पूछा?
हाँ, सब ठीक है… अपना बता, मैंने पूछा?
हाँ, इधर भी ठीक है। अभी तो घर पर ही बैठ कर काम कर रहा हूँ, उसने जवाब दिया।
ओ…! तो उधर लॉक डाउन कैसा है? कितना केस मिला असम में, मेरा सवाल था?
उम्म.. अभी तक तो 26 मिला है। देखो, आगे क्या होता है?
अच्छा! फिर घर पर बैठ कर क्या कर रहे हो, वैसे भी काजीरंगा भी तो बंद होगा अभी… फिर टूरिज्म तो पूरा बंद हो गया होगा, मैंने जिज्ञासावश पूछ लिया?
हाँ, वो तो पूरा बंद है…
फिर क्या काम, उसकी बात काटते हुए मैंने फिर पूछा?
अरे, मेरा टूरिज्म एजेंसी तो चल ही रहा था, लेकिन काम की वजह से अपना वेबसाइट नहीं बना पा रहा था। आधा काम ही हुआ था उसका, उसने जवाब देने की कोशिश की।
ओह! मतलब इस लॉक डाउन में अपना वेबसाइट डेवेलप कर लेना है?
हाँ, उसने बात खत्म होते ही बोला।
हम्म! सही है। कुछ न कुछ होते ही रहना चाहिए। और घर में सभी ठीक हैं, मैंने उससे अगला सवाल किया?
हाँ, सभी ठीक हैं। सभी को quarantine में रख दिया हूँ। कोई भी बाहर नहीं निकलता घर से… उसका जवाब दिया।
अच्छा है, मेरा सीधा सा जवाब था। …और खाना हुआ क्या?
अभी नहीं। होगा थोड़ी देर में। और तेरा हुआ क्या, उसने पूछा?
नहीं। अभी नहीं…थोड़ी देर में होगा, मैंने कहा।
बढ़िया है… और मनीष, नयन से बात होता है? वे लोग कैसे हैं?
हाँ, ठीक हैं दोनों। घर पर ही हैं और सेफ हैं, मैंने जवाब दिया। फिर मैंने कहा – बिराज! ठीक है अभी रखता हूँ, थोड़ा काम है मेरा। और तू भी काम कर ले, वेब डेवेलप कर लो।
हाँ, ठीक है। घर पर रहो, सेफ रहो। प्लान करते हैं फिर कहीं घूमने का, उसने कहा।
हाँ, ठीक है, पहले लॉक डाउन तो खत्म हो जाये। चलो ठीक है, बाय।
बाय, कहते हुए उसने फोन रख दिया।