लॉक डाउन की बातचीत -07
लॉक डाउन की बातचीत -07
मोबाइल की घंटी बजी। मैंने ऊँघते हुए फ़ोन उठाकर देखा तो ज्योति का कॉल था। मैंने आधी नींद में ही फोन उठाया और कहा – हम्म! गुड मॉर्निंग।
ज्योति – गुड मॉर्निंग! सोया है अभी तक कुम्भकर्ण। आज ड्यूटी नहीं है क्या तेरा?
दोपहर दो बजे से है, मैंने फिर अनमने ढंग से जवाब दिया।
इसलिये सो रहे हो 10 बजे तक? चलो, उठो और काम- धाम करो, उसने लगभग रौब झाड़ते हुए कहा।
ओके। बोलो, उठ गए…, मैंने थोड़ा तुनकते हुए जवाब दिया।
अब गुस्सा मत हो। बोलो तो फ़ोन रख देते हैं, उसने भी मेरी ही भाषा में जवाब दिया।
अच्छा! गुस्सा नहीं कर रहे… बोलो। लॉक डाउन में क्या कर रही हो, मैंने उससे सवाल पूछा?
तेरी तरह नहीं हैं यार कि चाहे कोई भी मौसम हो, कोई भी समय हो, हॉस्पिटल में ड्यूटी देना ही है।
हम्म! बात तो सही है। सब कुछ बंद हो सकता है, हॉस्पिटल नहीं। अच्छा, छोड़ो, तुम बताओ, तुम क्या कर रही है इस लॉक डाउन में, मैंने बात बदलते हुए उससे सवाल किया?
हम? उम्म… क्या बताएँ…? बहुत सारा काम…
जैसे, मैंने बात काटते हुए तपाक से पूछ लिया?
जैसे, मम्मी से कुकिंग सीख रहे हैं। आज पनीर कोफ्ता सीखना है। फिर एक ऑनलाइन ओपन माइक का इवेंट है, शाम को, उसमें भी पार्टिसिपेट करना है, वो बोली जा रही थी।
Wow! सही है रे, सीखना भी हो रहा है, लिखना भी हो रहा है, मैंने कहा।
हाँ, पता है…
नहीं पता है, मैंने टांग खींचते हुए फट से कहा।
इसीलिए बता रहे हैं बाबू, उसने भी नहले पर दहला मारा।
ओह! हाँ, बताओ फिर, मेरा अगला सवाल था।
एक नाटक यानी ड्रामा लिख रहे हैं…
क्या? तुम और ड्रामा? पगला गयी हो क्या, मैंने आश्चर्य से पूछा?
क्यों, नहीं लिख सकते क्या? बोल तो ऐसे रहे हो जैसे हम कुछ कर ही नहीं सकते…
अरे यार! मेरा मतलब वो नहीं था…
तो क्या था, उसने गुस्साते हुए पूछा?
देखो, तुम को पसंद है पोएट्री, इसलिए ज्यादातर वही लिखती हो। तुम कभी नाटक लिखी नहीं ना, तो इसलिए हमको थोड़ा ऑड लगा…दूसरा बात आज के समय में नाटक कौन पढ़ता या देखता है, मैंने उसे समझाया।
ये मेरा एक्सपेरिमेंट है। बहुत मेहनत कर रहे हैं इसपर…
तो… सब्जेक्ट क्या है तेरे नाटक का, मैंने फिर सवाल किया?
वो बाद में बताएंगे…, ज्योति ने जवाब दिया। फिर मोबाइल को कान से थोड़ा दूर लेकर बोली – हाँ, मम्मी! हो गया… ठीक है… आ रहे हैं… फिर मोबाइल को कान के पास लाकर बोली – जब लिखना कम्पलीट हो जाएगा तो तुम को भी दिखाएंगे… ठीक है? चल अभी रखते हैं। मम्मी बुला रही है… पनीर कोफ्ता बनाने के लिए। …और जाओ उठो और तैयार हो, ड्यूटी के लिए…
हाँ, ठीक है, बाय, मैंने जवाब दिया।
ओके, बाय कहते हुए उसने फोन रख दिया।