Sandeep Kumar Keshari

Abstract Romance Inspirational

4.3  

Sandeep Kumar Keshari

Abstract Romance Inspirational

लॉक डाउन की बातचीत-11

लॉक डाउन की बातचीत-11

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आज सुबह-सुबह पौधों को पानी दे रहा था। लॉक डाउन में वैसे भी कुछ काम था नहीं, तो सोचा थोड़ा यहीं वक़्त बिता लेते हैं। मैंने कुर्सी निकाली और बैठ गया गुलाब के पौधे के पास। दो बड़े- बड़े लाल गुलाब सूरज का मुंह देख कर खिलखिला रहे थे। उनका मुस्कराना, खिलखिलाना मुझे भा गया। मैं यूँ ही बैठ उसे निहार रहा था, पर कुछ उदासी थी मेरे चेहरे पर। कुछ देर तक मुझे खामोश देखने के बाद एक गुलाब ने पूछ ही लिया – उदास लग रहे हो? क्या बात है?

- क्या बताऊँ यार! मुझे अब तेरी जरूरत न रही, मैंने उसे कहा।

- क्यों?

- किसी से मोहब्बत ना रही जिसे मैं तुझे गिफ्ट में दे सकूँ।

यह सुन वह मुस्करा उठा फिर दिलासा देते हुए कहा -हेss! सब ठीक होगा…

मैंने बात काटते हुए कहा – नहीं हो सकता। …चली गई वो हमेशा के लिए… वापस नहीं आएगी अब। कहते-कहते मेरी आँखें भर आईं।

वह थोड़ा विचलित हुआ। कुछ कहा नहीं। मैंने बोलना जारी रखा – प्यार तो बहुत करती थी यार… पर शायद किस्मत में नहीं थी। …पता है…बहुत खूबसूरत थी, मतलब आज भी खूबसूरत है…

हाँ, पता है मुझे, बेहद खूबसूरत है वो, उसने मेरी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा।

-तुझे कैसे पता?

-तेरी चॉइस पता है मुझे। तुम कभी गलत या खराब चीज नहीं चुन सकते।

-कैसे, मैंने फिर सवाल किया?

-तूने मुझे जो चुना है।

हुँह…! हम्म! मुझे हँसी आ गयी। फिर मैंने उससे कहा – सुनो, परसों बर्थडे है उसका… सोच रहा था तुझे तोड़कर उसे दूँ।

वह थोड़ा निराश हो गया। फिर पूछा – प्यार तो करते हो न मुझसे?

-हाँ, ये कोई पूछने वाली बात है? कैसी बात करते हो यार?

-फिर मुझे तोड़ना क्यों चाहते हो, उसने पूछा?

-मतलब?

-मतलब प्यार वो नहीं होता जिसमें आप किसी को पाने की चाहत करते हो... बल्कि प्यार वो होता है, जिसमें उसकी खुशी के लिए आप सब कुछ छोड़ देते हो...। तुम मुझे तोड़कर उसे दे दोगे तो दो दिनों के बाद मैं मुरझा जाऊंगा, क्योंकि मैं अपनी जड़ों से, अपनों से अलग हो चुका हुंगा।

मैं सोच में पड़ गया। बात तो सही है। फिर सोचते हुए पूछा – फिर उपाय क्या है?

उसने जवाब के बदले मुझसे ही सवाल कर दिया – प्यार तो करते हो न उसे?

-हाँ, मेरा जाहिर सा जवाब था।

-और, मुझे?

-तुम्हें भी।

-तो एक काम करो। तुम उसे पूरा गमला ही गिफ्ट कर दो।

-पूरा गमला, पागल हो गए हो क्या, मैंने विस्मय से पूछा?

-हाँ।

-नहीं, नहीं…! अगर सिर्फ तुझे उसे दूँगा और कहीं उसने रिजेक्ट भी कर दिया तो एक ही फूल मुरझाएगा, लेकिन गमला दिया तो पूरा गमला बिखर जाएगा, मैंने निराश होते हुए कहा।

-अगर वो तुम्हें सच में प्यार करती होगी ना, तो मना नहीं करेगी। और तू ही सोच, अगर उसने गुलाब रख लिया तो भी मैं उसके पास मात्र 2 दिन ही रह पाऊंगा, लेकिन अगर तू पूरा गमला देता है तो मैं हमेशा उसके आंगन या बालकनी में खिलता रहूँगा। …सोच, कितना अच्छा लगेगा उसे? और जब उसे अच्छा लगेगा तो तुम्हें भी खुशी होगी, है कि नहीं, उसने समझाते हुए कहा।

लेकिन अगर गमला को ही रिजेक्ट कर दिया तो…मेरे शब्दों में उदासी साफ झलक रही थी?

तू मुझे तो प्यार करता है ना, उसने तपाक से पूछा?

इसलिए तो जाने नहीं दे रहा यार, मेरा जवाब था।

एक बार हमें भी प्यार जताने का मौका दे ना दोस्त! अगर उसने रिजेक्ट कर भी दिया ना, तो भी खिलेंगे। बस.. फर्क ये होगा कि उसके घर के बाहर खिलेंगे... पर खिलेंगे जरूर! भाई, दोस्त हूँ तेरा। तू चिंता मत कर, तुझे हारने नहीं दूँगा। मैं हूँ ना…उसने प्यार जताते हुए कहा। ऐसा कहते ही गमले की सारी पत्तियां हिलने लगी, जैसे कहना चाह रही हो कि एक बार हमपर भरोसा कर लो, हम भले रहें न रहें तेरा प्यार जिंदा रहेगा, हमेशा के लिये।

मैंने पूरा गमला गिफ्ट कर दिया।

            


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