Bhawna Kukreti

Abstract

4.6  

Bhawna Kukreti

Abstract

"कोरोनालॉक डाउन-9(आपबीती)"

"कोरोनालॉक डाउन-9(आपबीती)"

4 mins
12.2K


अब लॉक डाऊन दिन ब दिन बोझिल होता जा रहा है। जिन्हें नियम तोड़ने हैं वो तोड रहे हैं और जो नियम माने घर मे हैं वे छले जा रहे है । हमारे घर मे अगर मुझे बेड रेस्ट न होता तो शायद मैं भी एक दो बार नीचे घूम आती। ईमानदारी से कोई पालन कर रहा है तो वो है मेरा बेटा। पर वो भी कब तक पता नहीं।

सुबह मोदी जी का प्रसारण आया था मैं नही देख पायी। बोले हैं कि 5 अप्रैल को 9 बजे 9 दिए जलाने हैं।समझ नहीं आया ।खैरआज मेरी दवा भी खत्म हो गयी थी ,डॉक्टर ने फिर एक हफ्ते का रेस्ट बोल दिया है और एक दवा कम कर दी है। मम्मी जी निराश हो गयी है बेटे को व्हाट्सएप्प पर स्टडी मेटेरियल मिल रहा है ,वो कुछ समय उसमे काट लेता है।मम्मी जी अब शाम को बालकनी में खड़ी हो बात कर लेती हैं, दिन में भी उनके पास डेली सबके फोन आते हैं।एक मैं हूँ बिस्तर पर पड़े इधर-उधर ,बस कभी यहां कभी वहां कुछ-कुछ लिखती पढ़ती रहती हूँ।कभी कभी तो यूँ ही लिखती हूँ,ऊटपटांग,कोई भी सिट्यूएशन सोच लेती हूँ और बस जो मन आया सही गलत लिख डाला।कल रात गाने सुने थे ,पुराने 'घर' मूवी के ,अच्छे से लगे पर फिर वही बात की अकेले और क्या करूं? फेसबुक पर अब काफी समय रहती हूँ, अब तो वहां भी लोग कम पोस्ट कर रहे। सच बोर हो रही।

मम्मी जी और बेटे के बीच किसी बात को ले कर बोलचाल बंद हो गयी है।पता नही क्या बात है,बता भी नही रहा।अब मुझसे भी नाराज हो गया है।सब नीचे खेल घूम रहे हैं बस वो ही घर मे बंद है। मैं साथ खेल नही सकती।दादी जी से बात बंद है, पापा भी उसके साथ नही।

फिर हल्का हल्का दर्द महसूस होने लगा है, पता नही कब तक खींचेगा ये सब। टी वी चल रहा है ,तारिक फतेह जी को सुन रही हूँ बता रहे हैं की नमाज़ बिस्तर पर लेटे लेटे भी पढ़ी जा सकती है। पर सोच रहीं हूँ कि वैसे बहुत समझदारी की बात करते हैं पर इनको तो इनके मजहब के ज्यादातर लोग गाली देते हैं तो इनको डिबेट पे बुलाने का क्या मतलब।खैर अब क्या करूं ?

पूरे घर मे सन्नाटा है, मम्मी जी वापस किचेन में हैं ,बीच बीच मे गहरी सांस भर रही हैं।आज दोपहर से कमर और पैर फिर दुखने लगा है,शायद पेनकिलर हटा दिया है डॉक्टर ने, सच कैसी स्थिति हो गयी है।कसम से कोरोना कोई इंसान होती न तो....

साढ़े सात हो रहे है , अब दिल घबराने लगा है अभी पढ़ा कि हरिद्वार में एक पूरा गाँव सील हो गया है। निज़ामुद्दीन मरकज से से वहीं के 90 जमाती वापिस आये थे,किसी ने अब बताया। उस गाँव में सब दूध बेचने के काम करते है। हरिद्वार शहर में वहीं से दूध सप्लाय होता है। या तो मैं अकेले अकेले लेटे लेटे बौराने लगी हूँ या ज्यादा सोच रही हूँ ।घर से हम भले बाहर नहीं निकल रहे पर काम वाली और दूध वाले भैया सब तो आ ही रहे है , कोरोना भी आ सकता है क्या ?

मम्मी जी संध्या पूजा कर रही है।घर के अंदर बाहर कपूर जला रहीं हैं। ईश्वर सच मे सबकी रक्षा करना।

मम्मी जी फोन पर कह रहीं थी कि कॉलोनी में सब अपने परिवार के साथ घरों में है और उनके दोनों बेटे बाहर है , एक कोरोना से सीधे हॉस्पिटल में और दूसरा कोरोना की रिपोर्टिंग में । सच में तन ही नही मन से भी मम्मी जी कितने कष्ट में हैं। कभी सोचा नही था कि बेबसी ऐसी भी होती होगी।

रात के 11:20 हो रहे है ।इनका फोन आया था, बता रहे थे कि सहारनपुर के रहने वाले 13 जमातियों में कोरोना पोसिटिव है,सुनते ही हम सब घबरा गए फिर बोले कि डरने की जरूरत नही,12 लखनऊ में रुके हैं,एक यहां लौटे है।उसको कोरोना वाले हॉस्पिटल में ले जाया गया है,अब हरिद्वार आना थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि सब सील किया जा रहा है।बेटा रुआँसा हो गया था ,इन्होंने उस से काफी देर बात कर हंसी मजाक कर उसे बहलाया है पर मेरा मन बहुत बेचैन हो गया है,कल मम्मी जी को भी पता चल जाएगा।

है ईश्वर जल्दी से इस महामारी को दूर कर दे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract