Shelley Khatri

Abstract

4.4  

Shelley Khatri

Abstract

खूबसूरत मोड़

खूबसूरत मोड़

12 mins
392


“रीमा को तत्काल दो यूनिट ब्लड की जरूरत होगी। आप डोनर की व्यवस्था करें। आज हर हाल में दो यूनिट चाहिए ही। हो सकता है बाद में और ब्लड भी चढ़ाना पड़े। पर पहले आप आज के लिए दो डोनर ले आएं।” नर्स ने कहा तो रोहित को लगा उसके पैर के नीचे से जमीन खिसक रही है। इस शहर में वह किसी को नहीं जानता। पहली बार घूमने आया था। डोनर कहां से लाए ? वह भी दो। हे भगवान कैसी परीक्षा ले रहा है ?

रीमा का ब्लड भी तो निगेटिव ग्रुप का है। ध्यान भी नहीं है किस- किस का है ये ग्रुप। बड़े बेटे आदि का है। नहीं वह तो बारह साल का ही है। घबराहट में रोहित की रूलाई निकल गई। उसने दीदी को फोन किया, शायद उनका कोई परिचित हो। “कब हो गया एक्सीडेंट ? इतना बड़ा एक्सीडेंट हुआ, तु अब बता रहा है ? तुझे भी चोट आई क्या ? किस हॉस्पिटल में है ? भइया को बताया ?” उन्होंने सवालों की झड़ी लगा दी। “ऐसे तो मेरा भी कोई नहीं है वहां। सोचने दे।”

थोड़ा रूक कर बोली, “अरे रोहित तेरी एक दोस्त क्या नाम था.. ? वो यहीं रहती है तुने बताया था। पता मालुम है तुझे ?”

“मेरी दोस्त ? ? ? कौन ?” रोहित ने याद करने की कोशिश की।

“अच्छा, सिमरन ?”

नाम जुबान पर आते ही रोहित के पूरे शरीर में झुरझुरी हो आई। “पता नहीं मालुम दीदी।” उसने किसी तरह कहा।

“सुन हॉस्पिटल के बाहर पता कर, कई बार अनजान लोग मदद कर देते हैं। कई जगह दलाल भी होते हैं। पैसे लेकर डोनर देते हैं, मजबूरी में उन्हीं की मदद लेले। तबतक मैं देखती हूं क्या हो सकता है। सुबह तक पहुंच जाउंगी तेरे पास। चिंता मत कर,” उन्होंने फोन रख दिया।

रोहित के दिमाग में सिमरन कौंधने लगी।

पर क्या उससे मदद मांगना ठीक होगा ? पता नहीं उसके ससुरालवाले क्या सोचे ? उसने सिर झटक दिया पर रीमा की सूरत याद आते ही उसने एक कठोर फैसला लिया। फोन नंबर और पता नहीं मालुम पर इतना तो मालुम है। प्रोफेसर्स कॉलोनी में घर है। एक बार जाकर देखना चाहिए। एक कोशिश तो करनी चाहिए।

वह ऑटो लेकर कॉलोनी पहुंच गया। कॉलोनी के बाहर उसने ऑटो छोड़ दिया। उसे सिर्फ सिमरन का नाम मालुम था। इतना पता था कि उसके पति किसी कॉलेज में प्रोफेसर थे। अब इस शहर में हैं या कहीं और चले गए यह भी नहीं मालुम पर रीमा के लिए उसे खोजना ही था।

अंदर घुसते ही एक किराना कम जनरल स्टोर दिखा। रोहित उसी दुकान में गया और पूछा “यहां कोई सिमरन रहती है ? उनके पति प्रोफेसर हैं।”

“भइया कुछ और पहचान बताइए,” उसने पूछा ?

रोहित ने कहा, “अठ्‌ठारह साल पहले शादी हुई है। गाजीयाबाद की हैं।”

“समझ गया भइया, रहती तो यहीं हैं। पर आप उन्हें क्यों खोज रहे हैं ?”

“मैं उनके ही शहर से हूं। एक इमरजेंसी है इसलिए उनसे मदद चाहिए।” रोहित ने बता दिया।

“तो आप फोन कर लीजिए,” किराने वाले ने तपाक से कहा।

“फोन नंबर होता तो आपसे पूछ रहा होता मैं ? आपके पास, नंबर या एड्रेस जो है बताइए न।” रोहित ने कातर स्वर से कहा।

“किसी अनजाने को पता तो नहीं दे सकता। पर उनके घर से किसी को बुलवा दे सकता हूं।”

“जी बड़ी कृपा होगी, बुलवा ही दीजिए। मेरा नाम रोहित है।”

दुकानदार ने एक लड़के को कुछ समझाकर भेजा।

करीब दस मिनट के बाद, वह लड़का वापस आया। उसके पीछे- पीछे सिमरन आ रही थी। लाइट पिंक साडी में वह अब भी बहुत सुंदर लग रही थी। उसे देखते ही फिर से रोहित के पूरे शरीर में सिहरन हो आई।

पास आकर सिमरन ने हंसते हुए कहा, “तुम ? इतने साल बाद। यहां कैसे ?”

“वो सिमरन तुमने कहा था, कभी मदद…” रोहित आगे कुछ बोल नहीं पाया। उसके शब्द गले में अटक गए।

“अरे रोहित, इतने परेशान हो तुम ? सॉरी मुझे खुद से समझ लेना चाहिए था। घर चलो।”

“मैं चल सकता हूं ? ?”

“हां, हां। चलो।”

रोहित सिमरन के साथ हो लिया। पांच सौ मीटर के आस- पास ही उसका घर था। ताला खोलते हुए सिमरन ने कहा, “बच्चे स्कूल गए हैं। तुम बैठो, मैं चाय लाती हूं।”

“नहीं, मैं बहुत मुसीबत में हूं। शादी की चौदहवीं वर्षगांठ थी। सबने जिद कर हमदोनों को यहां घूमने के लिए भेज दिया। कल रात को घूम कर होटल लौटते वक्त टैक्सी का एक्सीडेंट हो गया। मुझे मामूली चोट आई पर रीमा, मेरी पत्नी जिंदगी और मौत के बीच हॉस्पिटल में है। डॉक्टर ने दो यूनिट ब्लड के लिए कहा है आज ही जल्दी से जल्दी। कुछ समझ नहीं आया तो तुम्हें ढूंढता हुआ यहां तक आ गया।” रोहित एक सांस में सारी बात कह गया।

“सॉरी रोहित ये तो बहुत बुरा हुआ। पर मेरे पास आकर तुमने अच्छा किया। रीमा का ब्लड ग्रुप कौन सा है ?” सिमरन ने पूछा।

“ए निगेटीव।”

“अरे चिंता की कोई बात नहीं है। ये तो मेरा भी ब्लड ग्रुप है। मैं चलती हूं। यहीं कॉलोनी में मेहता जी हैं। उनका भी यही ग्रुप है। तीन साल पहले डेंगू होने पर मैंने उन्हें ब्लड डोनेट किया था। दो यूनिट तो मिल जाएंगी। और चाहिए तो उसका भी इंतजाम हो जाएगा।”

“हॉस्पिटल में हो तो तुमने कुछ खाया पिया भी नहीं होगा। तुम पहले नाश्ता करो। तबतक मैं तैयार हो जा रही हूं।”सिमरन ने कहा तो रोहित को लगा उसके सिर से बोझ हट रहा है।

जब तक रोहित ने चाय नाश्ता किया। सिमरन ने मेहता साहब को भी हॉस्पिटल पहुंचने के लिए फोन कर दिया।

टैक्सी में बैठकर हॉस्पिटल जाते समय तक रोहित को राहत महसूस हो रहा था। उसे लगा उस समय सिमरन ने सही मोड़ पर छोड़ा था उसे। यादें उसे कॉलेज के जमाने में ले गई।

कॉलेज में पहले दिन प्रोफेसर सभी स्टूडेंट्स का परिचय पूछ रहे थे। छात्र अपने नाम के साथ वे आगे क्या बनना चाहते हैं ये भी बताते जा रहे थे। सिमरन ने कहा था, “अभी सोचा नहीं है।” यह सुनकर सारे छात्र हंसने लगे। प्रोफेसर ने कहा, “बारहवीं में ही सब तय कर लेते हैं और तुम ग्रेजुएशन में भी पता नहीं कहती हो। कब तय करोगी, कब उसकी पढ़ाई।”

सिमरन ने कहा, “मैं आजाद रहना चाहती हूं। जॉब बहुत बड़ा बंधन है। हर दिन टाइम से ड्यूटी बजाओ। मैं ऐसे जॉब की तलाश में हूं जहां, मेरी मर्जी मेरी आजादी चले।”

पूरी क्लास एक बार फिर हंसने लगी।

क्लास के बाद रोहित के दोस्तों ने उसे छेड़ा, “तुम अपनी कंपनी खोल लो, फिर सारे कर्मचारियों को नचाना और आजाद रहना।” सिमरन चिढ़ गई। बातें ऐसे ही हल्की फुल्की हुई। पर एक सप्ताह के बाद रोहित ने ध्यान दिया। उसके मन में हर समय सिमरन की तस्वीर रहती है। उसका चेहरा, उसकी हंसी, उसकी बातें बार- बार याद आती हैं।

उसने मन को झटका, सिमरन का जीवन में कोई लक्ष्य नहीं है, उसके बारे में सोचना फिजूल है। पर मन पर उसका बस ही नहीं चला। वह कॉलेज में बहाने खोज- खोज कर उससे बातें करता। दो महीने बाद ही उसने सिमरन को प्रपोज कर दिया। उसे डर था कहीं सिमरन गुस्सा न हो। वह तो घर से सोच कर आया था अगर सिमरन गुस्सा होगी तो क्या- क्या कहकर उसे मनाएगा।

पर सिमरन ने उसका प्रपोजल एक्सेप्ट करते हुए कहा, “तुम पहले ही दिन से मेरे ही आसपास रहने लगे हो। दिन भर सिर्फ तुम्हारे ही बारे में सोचती थी।” अब उनकी बातें फोन पर भी होने लगी। हर सप्ताह वे साथ- साथ फिल्म देखने लगे। कभी पार्क में जा बैठते, कभी रेस्टोरेंट में। कॉलेज कैंपस में भी वे एकांत कोना ढूंढ ही लेते। कॉलेज में इतने उन्मुक्त तरीके से कोई जोड़ा अपना रिश्ता जाहिर नहीं करता जितना ये दोनों करते। इसलिए इन्हें लेकर गॉशिप भी खूब होती। सिमरन कहती, “लो इसी बहाने हम फेमश हो गए। बस ये बातें घर न पहुंच जाएं।”

रोहित ने कहा था, “पहुंच जाएंगी तो मैं जाकर तुम्हारे रिश्ते की बात कर लूंगा।”

फिर दोनों खूब हंसते।

एक दिन शाम को सिमरन ने फोन कर कहा, “कल कॉलेज बंक करना। हम बॉटनिकल गार्डेन में मिलेंगे।”

अगले दिन कॉलेज की जगह दोनों गार्डन पहुंच गए। इधर उधर की बातों के बाद सिमरन बोली ,“हमारे अलग होने का वक्त आ गया है।”

“तुम ऐसी बातें कैसे बोल रही हो ? कहीं घूमने जा रही हो क्या ?” रोहित ने पूछा।

“नहीं, घर में मेरी शादी की बात हो रही है। जल्द ही फाइनल भी हो जाएगी। उसके बाद हमरा मिलना ठीक नहीं होगा न।” सिमरन ने कहा।

“तुम्हारा दिमाग, तुम्हारी तबियत सब ठीक है न ? कैसी बातें कर रही हो। शादी होगी का क्या मतलब है ? मुझसे प्यार करती हो तो शादी मुझसे करोगी न ? ये सब क्या बोल रही हो ? समझ नहीं पा रहा हूं। किसी प्रकार का टेस्ट ले रही हो क्या ?” अकबकाहट में रोहित ने कई सवाल पूछे।

“नहीं, हकीकत बता रही हूं। हम दोनों की हकीकत। तुम ऐसे पैनिक मत हो जाओ। सुनो मेरी बात, सोचो, समझो फिर हम मिलकर डिसीजन लेंगे,” सिमरन ने कहा।

“मेरी शादी हो जाएगी, हम नहीं मिलेंगे। इसे मिलकर डिसीजन लेना कहते हैं ?” रोहित की बौखलाहट उसके शब्दों में आ गई थी।

“बिना कुछ बोले सुनो। इक्कीस साल की हूं मैं। चार बहनों में सबसे बड़ी। हम बहनों में आयु का अंतर डेढ़ दो साल का ही है। यह जानते हो न। इस समाज में चार बेटियों का पिता होना बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। पापा एक-एक कर अपनी जिम्मेदारी पूरी करना चाहते हैं। मैं क्या कोई उनकी इस चाहत को गलत नहीं कहेगा। पापा की नौ साल की जॉब बची है। वे इसके पहले अपनी हर जिम्मेवारी पूरी करना चाहते हैं। अब उन्होंने मेरे लिए लड़कों की खोज शुरू कर दी है। मैं उन्हें न मना कर पा रही हूं न ही तुम्हारा नाम सजेस्ट कर पा रही हूं।” सिमरन बोली।

“क्यों ? मैं तो तैयार ही हूं। तुम बात नहीं कर सकती तो मैं आउंगा बात करने।” रोहित ने उत्साहित होकर कहा।

“क्या कहोगे आकर ? इस एक्जाम के बाद ग्रेजुएट हो जाउंगा। दो तीन साल में कोई सरकारी नौकरी खोज लूंगा और जब मेरे भइया और मेरी दीदी की शादी हो जाएगी। उसके बाद घर में मेरी शादी का नंबर आएगा तो आपकी बेटी से शादी करूंगा।” सिमरन के शब्द व्यंग से भरे थे।

रोहित का जोश ठंडा पड़ गया। “हां, मेरे रास्ते में भइया और दीदी तो है ही। पापा दीदी की शादी आत्मनिर्भर बनाने के बाद ही करना चाहते हैं। उसके बाद भइया की शादी होगी फिर मेरी। मेरी शादी में कम से कम पांच साल लग जाऐंगे। तो हम किसी को बताए बिना कोर्ट मैरिज कर लेते हैं।”

“हां, यह तो बहुत अच्छा आइडिया है। उसके बाद हम फुटपाथ में रहकर भीख मांगकर खाएंगे। बात ही नहीं समझना चाहते हो।” सिमरन गुस्से से बोली।

“क्या समझूं ? सारे कसमें वादे तोड़कर तुम मुझसे अलग होने की बात कर रही हो। क्यों किया था प्यार ? जब तुम्हें पहले से ही अलग होना था तो शादी का वादा नहीं करती। मुझसे प्यार नहीं करती। सुन लो मैं पीछे नहीं हटूंगा और तुम्हें भी हटने नहीं दूंगा।” रोहित ने कुछ गुस्से से कहा।

“तुम दिल और दिमाग दोनों से नहीं सोच रहे हो और फिल्मी बातें कर रहे हो। देखो, प्यार बस हो जाता है। उस समय कोई दूर या पास की नहीं सोचता। कुछ समय तो प्यार के एहसास को गुनगुनाने में ही बीत जाते हैं। हमने प्यार करने से पहले एक दूसरे के घर की स्थिति पूछी थी क्या ? और तुमने भी तो मुझे शादी के लिए नहीं पूछा था। बस अपने प्यार का ही इजहार किया था । और मैंने हां कहा। उस दिन क्या तुम शादी के बारे में सोच रहे थे ?” सिमरन ने समझाने की कोशिश की।

“नहीं, सिमरन। बात तो तुम्हारी ठीक है। दिमाग से सोचूंगा तो हो सकता है तुम्हारी बात सही लगे। पर मेरा दिल…। वह सोच ही नहीं सकता कि तुमसे दूर हो जाए। एक भी दिन तुमसे बात नहीं होती तो बैचेन हो जाता हूं। लगता है सबकुछ खो गया। कुछ अधूरा सा है। कहीं मन भी नहीं लगता। उस दिन भोजन में स्वाद नहीं आता, क्लास में मन नहीं लगता, मैच भी बोरिंग लगता है और तुम कह रही हो, हमेशा के लिए दूर हो जाओ। ये मुझसे होगा ही नहीं। नहीं कर पांउगा। देखो, आई लव यू। जी नहीं पाउंगा तुम्हारे बिना। कोई तो रास्ता निकालो।” रोहित की आंख भर गई।

“मैं तुमसे ज्यादा परेशान हूं रोहित। दो दिन से रात- रात भर रो रही हूं। तुमने नोटिस नहीं किया। कल भी मेरी आंखें पफी थीं आज भी हैं। मुझे भी कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। मैं अपने मन को मना रही हूं इस नई परिस्थिति के लिए। मुझे यकीन है दिल भी इसी शरीर का हिस्सा है मान जाएगा अगर मनाऐंगे। अगर हमने मन को नहीं मनाया तो बहुत मुसीबत में पड़ जाएंगे।” सिमरन बोली।

“कैसी मुसीबत ? तुम्हारे घर में सबको पता है क्या ?”

“नहीं। हर तरीके से सोच लिया। यही लग रहा है कि इस जन्म में मिलना लिखा ही नहीं है। मन को नहीं मनाएंगे तो रोते रह जाएंगे। मैं नई जगह एडजस्ट नहीं करूंगी। तुम जॉब की तैयारी नहीं कर पाओगे। मुसीबत ही होगी न। मैं ये भी नहीं चाहती कि हम एकदूसरे को जीवन भर गालियां दें। बेवफा कहें। इसलिए एक खूबसूरत मोड़ पर रिश्ते को खत्म करें। जब कभी एक दूसरे की याद आए- चेहरे पर एक मुस्कान आ जाए। अब हम अपने रास्ते अलग करके नई मंजिल की ओर बढ़ेगे।”

“हां सुनो। जीवन में कभी मुश्किलों, परेशानियों से घिर जाओ। साथ के लोग मदद नहीं कर पा रहे हो तो मुझे याद करना। मेरे घर का पता, फोन नंबर सब है तुम्हारे पास। उस समय बेशक मैं यहां न रहूं। पर यहां से मेरी सूचना तो मिल जाएगी। और मैं भी ऐसा ही करूंगी।” सिमरन ने रूंधे गले से मुस्कुराते हुए कहा।

“सिमरन तुम बहुत अच्छी और मुझसे कहीं ज्यादा समझदार हो। इस तरीके से मैं सोच ही नहीं पाता। सचमुच खुशकिस्मत हूं कि मेरा पहला प्यार तुम हो और इतने समय तक हमारा साथ रहा। अभी किससे हो रही है रिश्ते की बात ?”

एक प्रोफेसर से सिमरन ने कहा। दोनों ने साथ में कॉफी पी और घर आ गए। कुछ दिन बहुत तनाव भरे गुजरे पर धीरे- धीरे सब ठीक होने लगा। एक्जाम के बाद सिमरन की शादी हो गई। रोहित ने दो साल जॉब की तैयारी की। सफलता नहीं मिली फिर बिजनेस शुरू कर लिया।

“कहां खोए हो रोहित, हॉस्पिटल आ गया।” कंधा पकड़ कर हिलाते हुए जब सिमरन ने कहा तो रोहित टैक्सी से बाहर निकला। सिमरन के परिचित मिस्टर मेहता आ चुके थे। ब्लड देकर सिमरन घर चली गई। अगले दिन अपने पति के साथ मिलने आई। रोहित को मिलकर अच्छा लगा। रोहित की दीदी आ गई तो उन्हें भी अपने ही घर में ठहराया। रीमा को डिस्चार्ज होने में एक सप्ताह लगा। तब तक सिमरन ने घर से खाना और अन्य चीजें उपलब्ध कराईं। उन्हें छोड़ने जब वह स्टेशन आयी तो रोहित ने कहा, “तुमने ठीक कहा था सिमरन अगर रिश्ते को खत्म करना पड़ रहा हो तो उसे खूबसूरत मोड़ पर ही छोड़ना चाहिए।”


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract