Dipesh Kumar

Abstract

4.8  

Dipesh Kumar

Abstract

जब सब थम सा गया

जब सब थम सा गया

4 mins
24.8K


प्रिय डायरी,

रात में देर से सोने पर सुबह नींद तो जल्दी खुल गई लेकिन नींद पूरी न होने के कारण सर में हल्का दर्द महसूस हो रहा था। इसलिए बिना समय गवाये मैं स्नान करके नीचे चला गया। पूजा पाठ करने के बाद में टीवी देखने लगा। सर में दर्द था इसलिए नाश्ता करने की इच्छा नहीं थी। मैंने बहन बीना से एक कप काढ़े के लिए कहा। टीवी पर रोजाना की तरह कोरोना मरीजो की संख्या में बढ़ोत्तरी, वैसे रोजाना ये देख कर गुस्सा ही आता हैं ,बस मन कुछ संतोषजनक खबर सुनने को तरस गया था। इसलिए मैंने टीवी बंद किया और कमरे में आ गया। मैंने मोबाइल उठाया और व्हाट्सएप्प पर सन्देश देखने लगा। कुछ देर बाद मित्र राकेश का फ़ोन आया और हम बाते करने लग गए। राकेश अपने क्षेत्र का हाल चाल बताने लगे और कोरोना संक्रमण के चलते हो रही परेशानी से मुझे अवगत कराने लगे। पेशे से हम दोनों अध्यापक हैं,और हम दोनों अब अपने स्कूल के छोटे छोटे बच्चो को देखने के लिए तरस से गए थे।

बात खत्म करने के बाद में एक किताब पढ़ने बैठ गया और पढ़ते पढ़ते आँख लग गयी पता ही नहीं चला। नींद में मैं एक बहुत ही सुंदर सपना देख रहा था। सपने में मैं देख रहा था कि मैं एक बास्केट बॉल का मैच खेल रहा हूँ और बहुत ही संघर्षपूर्ण तरीके से मैच जीत लिया गया हैं। लेकिन दोपहर के भोजन का समय हो गया और नीचे से भाई सावन आवाज़ दे रहा था। आवाज़ सुनकर मेरी नींद खुल गयी। मैं नीचे आकर भोजन करने लगा। अब सर दर्द से थोड़ा आराम था। दोपहर भोजन के बाद घर में बढ़ी गाय चिल्ला रही थी,

मैंने सोचा ये गाय चिल्ला क्यों रही हैं। भाई रूपेश से मैंने पूछा,"क्या गाय ने पानी पिया था क्या?"भाई ने कहा,"हाँ गाय ने पानी पिया तो था, लेकिन कम पिया था। "मैंने एक बाल्टी पानी भरा और गाय के सामने रखा। बाल्टी रखते ही गाय चुप होकर पानी पीने लगी। वैसे गर्मी बहुत थी इसलिए प्यास के चलते गाय चिल्ला रही थी। कभी कभी में सोचता हूँ की जानवर अपना कष्ट या तकलीफ मनुष्य को सिर्फ चिल्लाकर बता सकता हैं। काश ये भी हम मनुष्यो की तरह बोल सकते ?

गाय को पानी पिलाने के बाद मैं अपने कमरे में आकर बैठा तो बहुत गर्मी महसूस हो रही थी। इसलिए मैं नीचे के कमरे में जाकर अपनी किताब पढ़ने लगा। किताबे मेरे हिसाब से सबसे अच्छी और सच्ची दोस्त होती हैं। वैसे यदि आपको कुछ लिखना हो तो उसके लिए पढ़ना बहुत जरुरी हैं। इस लॉक डाउन के दौरान मुझे बहुत चीज़ों का अनुभव हुआ। पढाई पूरी करने के बाद इस लॉक डाउन ने मुझे फिर से अपनी पुस्तको के संग्रहों को पढ़ने का मौका दिया। किगब रखकर मैं बहार निकला तो देखा शाम के पांच बज गए थे और गर्मी अभी भी बहुत तेज थी।

मुझे प्यास लगी थी तो मैं अपनी छोटी बहन प्रियांशी से एक गिलास पानी मांगा। पानी पीने के बाद मैं बहार आकार अपने पोधो को और क्यारियों को सही करने लगा तथा खाद लाकर उनमे डालने लगा। पानी डालने के लिए पाइप निकल कर जैसे ही नल चालू किया पानी के धरती पर पड़ते ही एक बहुत ही सौंधी खुशबू आई जो मुझे बहुत प्रिय हैं। पेड पोधो में पानी डालने के बाद मैं कुछ देर के लिए गाने सुनने लगा। गाना सुनना बहुत ही अच्छा साधन हैं जिससे आप अपनी बहुत सी मानसिक तनाव को दूर करती हैं साथ ही साथ आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करती हैं।

शाम की आरती का समय हो गया था। आरती के बाद हम सब आँगन में बैठे थे की खबर आती हैं कि कोरोना के आस पास के क्षेत्रों में संदिग्ध मामले मिलने से नीमच

के कलेक्टर महोदय ने दो दिन 17 अप्रैल और 18 अप्रैल को संपूर्ण लॉक डाउन का आदेश दिया हैं,क्योंकि यदि नीमच में एक भी संदिग्ध मिल जायेगा तो परेशानी हो जायेगी। ये लॉक डाउन वैसे बहुत जरुरी हैं क्योंकि लोग चोरी छूपे कहा कहा से नीमच में आ जा रहे हैं पता नहीं चलता हैं। लेकिन इसमें किसानों को छूट दी गयी हैं कि वो अपनी गेहू की फसलों की कटाई और अन्य काम कर सकते हैं। परंतु उचित दुरी और सफाई के विशेष ध्यान रखना हैं। रात्रि भोजन के बाद मैं रेम्बो को लेकर टहलाने निकल गया। सड़को पर एक दम सनाटा और अँधेरा। मैंने मोबाइल के टोर्च की रोशनी से रेम्बो को टहलाया। फिर अपने कमरे में आकर मैंने खिड़की और दरवाज़े कुछ देर के लिए खोल दिया कमरा बहुत गर्म था। कुछ देर बाद कमरा सही हुआ और मैं अपनी पाठ्यपुस्तक पढ़ने बैठ गया। कल रात नींद पूरी न होने के कारण मैं ज्यादा देर तक पढ़ न सका और कहानी पूरी लिखने के बाद में जल्दी सो गया।

इस तरह लॉक डाउन का आज का दिन भी खत्म हो गया। रोजाना अब यही सवाल मन में आ रहा था कि ये लॉक डाउन कब खत्म होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract