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Dipesh Kumar

Abstract Classics Inspirational

5.0  

Dipesh Kumar

Abstract Classics Inspirational

कृपा हैं बस आपकी गुरूजी !!

कृपा हैं बस आपकी गुरूजी !!

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क्या बताऊँ बात मैं उनकी,
आज जो हूँकृपा है उनकी।


हर पगहर पथ पर चलते,
मार्गदर्शन सदा वो करते।
जब मैं उनसे दूर बहुत था,
तब भी साथ उनका महसूस होता।


सच की राह हमें दिखाते,
मुसीबतों से बाहर निकालते।
पिता-सा फर्ज निभाते हैं,
ज़रूरत पर डाँट भी लगाते हैं।


क्या आज भी ऐसे गुरु हैं,
जो गुरुकुल की याद दिलाते हैं?
यही सोचकर मन मुस्काता,
भाग्यशाली हूँकृपा जो पाता।


जब घर जातारोकते नहीं,
हर इच्छा में बाधा कोई नहीं।
बीमार होताचिंतित हो जाते,
घर की याद पर पास बुलाते।


जीवन के हर पहलु में,
साथ उनका मिलता है दिन-रात में।
गुरु कृपा से नाम मिला है,
श्री रणजीत प्रताप सिंह जी का साया मिला है।


आज भी तरक्की मिल रही है,
कृपा उनकी साथ चल रही है।
रण में जीत का आशीर्वाद,
हर पल देते हैं वो संवाद।


चंद शब्दों में कैसे कहूँ,
गुरुजी की महिमा को मैं भरूँ?
स्वस्थ रहोमस्त रहो सदा,
यही आशीर्वाद उनका बना रहा।


क्या बताऊँ बात मैं उनकी,
आज जो हूँकृपा है उनकी।


#धन्यवाद गुरुजी#

 


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