जब सब थम सा गया
जब सब थम सा गया


प्रिय डायरी,
वैसे तो आज अगर सब कुछ सही होता तो लॉक डाउन का आखरी दिन होता,पर समय को कुछ और ही मंजूर हैं। मैं सुबह उठ कर योग प्राणायाम के बाद छत पर बैठ कर आस पास का सुंदर नजारा देख रहा था। वक़्त को क्या हो गया। सब कितना भाग दौड़ भरी जिंदगी जी रहे थे। किसी के पास किसी से मिलने का समय नहीं था। लेकिन इस कोरोना महामारी ने सब बदल कर रख दिया। एक बात थो पक्की हैं की लड़ाईअभी जारी रहेगी। कल ही अखबार में मैं पढ़ रहा था की मास्क लगाना अब अनिवार्य हो जायेगा। वैसे इस महामारी ने हम सबको साफ़ सफाई से रहना सीखा दिया। सूर्योदय के बाद में नीचे आकर स्नान करके पूजा पाठ करके टीवी देखने लगा।
कोरोना के आकड़ो के बारे में अब कुछ भी नहीं बताना चाहता क्योंकि अब मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। नाश्ते के बाद भाई रूपेश ने कार निकाली और मैं और रूपेश बाजार में महीने का राशन लेने निकल पड़े। मार्किट में दुकान पर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए भाई और मैंने फटाफट सामान लिए और जितना जल्दी हो सकता था घर पर आ गए। आज मात्र दो ही वेबिनार थे। इसलिए आज मैं भी आराम से था। कुछ देर बाद मैं रेम्बो को देखा तो वो जोर से हांफ रहा था। मैं उसके पास गया और उसके बर्तन में पानी रखा तो वो तुरंत पीने लगा।
वास्तव में गर्मी बहुत थी।
12:30 बज चुके थे इसलिए मैं दोपहर का भोजन कर कुछ देर के लिए नीचे के कमरे में ही लेट गया। 1:30 बजे नींद खुली तो याद आया की 2 बजे से वेबिनार हैं। इसलिए मैं तुरंत ऊपर कमरे में जाकर कंप्यूटर चालु करके वेबिनार से जुड़ गया। पहला वेबिनार तेलंगाना लाइब्रेरी एसोसिएशन द्वारा आयोजित था। ये वेबिनार 4 बजे तक चला और इसके बाद तुरंत ही दूसरा वेबिनार चालु हुआ जो की पांडुलिपी संरक्षण के ऊपर थी। दोनों वेबिनार बहुत महत्वपूर्ण थे। शाम 6 बजे वेबिनार खत्म हुआ।
वेबिनार खत्म होने के बाद मैं नीचे आकर कुछ देर आराम करने के बाद मंदिर की आरती में सम्मिलित हुआ। आरती के बाद भी बाहर की हवा गर्म थी।
मनुष्य तो मनुष्य लेकिन जानवर भी इस गर्मी से परेशान हैं। एक तरह कोरोना महामारी वाही दूसरी और गर्मी क्या होने वाला हैं समझ नहीं आ रहा हैं। मोबाइल में कुछ देर बाद निम्बाहेड़ा से आई जिसमे बताया गया कि अभी नई रिपोर्ट के चलते और भी कोरोना पॉजिटिव केस आये हैं और कुछ दिन पूर्व जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई थी उसके भाई का भी रिपोर्ट पॉजिटिव आया हैं और चिंता की बात तो ये हैं कि मृत व्यक्ति का भाई राहत पैकेट बाटने में लगा हुआ था। क्या होगा अब सच में अब मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। बाद अब ऊपर वाले का ही सहारा हैं बस इस समस्या से छुटकारा दिलवा दो प्रभु। ये ऐसा समय चल रहा हैं जब प्रत्येक व्यक्ति परेशान हैं।
मालुम नहीं ये लॉक डाउन कब खत्म होगा और फिर से कब मुस्कुराएगा पूरा विश्व। आज की सबसे अछि खबर ये थी की भारतीय सेना द्वारा हेलीकाप्टर से डॉक्टरों पर पुष्प वर्ष की गयी क्योंकि ये कोरोना योद्धाओं के हौसले बढ़ाने के लिए बहुत जरुरी था। इन्ही सब बातों के साथ रात्रि भोजन के बाद में छत पर जाकर टहल रहा था और आसमान में देख रहा था। इसी बीच जीवन संगिनीजी का फ़ोन आया। हाल चाल लेने के बाद थोड़ी देर में राकेश और मित्र रोहित से कॉन्फ्रेंस काल के जरिये बहुत देर तक बात हुई।
नीचे आने पर देखा की समय 11 बज चुके हैं और कहानी पूरी करनी हैं। मैं अपनी पुरे 40 दिन के लॉक डाउन की गतिविधियों को लिखकर बिस्तर पर लेट गया। वैसे तो लॉक डाउन 17 मई तक हो गई हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि उसके बाद भी लॉकडौन खुल जाएगा। लेकिन कहते हजन न उम्मीद पर दुनिया कायम हैं।
इस तरह लॉक डाउन का आज का दिन भी समाप्त हो गया। 40 दिन कैसे निकले पता नहीं चला। लेकिन स्टोरी मिरर ने इन दिनों को संजोकर रखने के लिए रोजाना डायरी लिखने का कार्यक्रम सबसे बढ़िया कार्यो में से एक हैं। उम्मीद हैं सब जल्दी सही हो जायेगा। कहानी खत्म नहीं हुई हैं वो तो लॉक डाउन खत्म होने तक जारी रहेगी।