क्या बताऊँ बात मैं उनकी आज जो हूँ कृपा हैं उनकी। क्या बताऊँ बात मैं उनकी आज जो हूँ कृपा हैं उनकी।
मेरी श्रेष्ठ कृति का एक अंश , जो अंतिम पंक्तियों का विवश रख कर नायक/नायिका की पहचान के लिये मुग्ध रख... मेरी श्रेष्ठ कृति का एक अंश , जो अंतिम पंक्तियों का विवश रख कर नायक/नायिका की पह...
आकाश की ओर देखते हुए बार बार दोनों हाथ जोड़े वह मन ही मन जप रहा था, आकाश की ओर देखते हुए बार बार दोनों हाथ जोड़े वह मन ही मन जप रहा था,