लेखक: अलेक्सांद्र रास्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक: अलेक्सांद्र रास्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
क्रिस्टी लापरवाह थी। ये रोज़ का काम था। कभी कहीं का नल खुला छोड़ देती कभी पहले से पानी चला देती... क्रिस्टी लापरवाह थी। ये रोज़ का काम था। कभी कहीं का नल खुला छोड़ देती कभी पहले से...
कौन था ये मेहमान ? सूरज का कोई अता पता क्यूँ नहीं था ? ये सब पढ़िये अगले भाग में.... कौन था ये मेहमान ? सूरज का कोई अता पता क्यूँ नहीं था ? ये सब पढ़िये अगले भाग में...
गोविंद प्रतिदिन ईश्वर से प्रार्थना करता कि 'हे' ईश्वर आज बिक्री अच्छी हो जाए गोविंद प्रतिदिन ईश्वर से प्रार्थना करता कि 'हे' ईश्वर आज बिक्री अच्छी हो जाए
रोजाना अब यही सवाल मन में आ रहा था कि ये लॉक डाउन कब खत्म होगा। रोजाना अब यही सवाल मन में आ रहा था कि ये लॉक डाउन कब खत्म होगा।
, वह शांभवी और विक्रांत को शादी का आशीर्वाद दे रहा हो शांभवी के होंठों पर दर्द भरी मुस् , वह शांभवी और विक्रांत को शादी का आशीर्वाद दे रहा हो शांभवी के होंठों पर दर्द भ...