Charumati Ramdas

Children Stories

3  

Charumati Ramdas

Children Stories

जब डैडी छोटे थे - 9

जब डैडी छोटे थे - 9

3 mins
34


जब डैडी ने गलती की

लेखक: अलेक्सांद्र रास्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास 

 

जब डैडी छोटे थे तब वो दूध, पानी, चाय और कॉडलिवर ऑइल पिया करते थे.

सबसे फ़ायदेमन्द होता था कॉडलिवर ऑइल. मगर वो इतना बुरा होता था. छोटे डैडी सोचते थे कि कॉडलिवर ऑइल से ज़्यादा बुरी चीज़ दुनिया में और कोई नहीं है. मगर पता चला कि ऐसा नहीं है.

एक बार गर्मियों में छोटे डैडी बाहर कम्पाऊण्ड में खेल रहे थे. उस दिन बेहद गर्मी थी. छोटे डैडी खूब दौड़ रहे थे, इसलिए उन्हें ज़ोर की प्यास लग आई. वह घर के अन्दर लपके. घर में सब लोग बहुत व्यस्त थे. वहाँ पेस्ट्रियाँ बन रही थीं, खाने की मेज़ सजाई जा रही थी, मेहमानों का इंतज़ार हो रहा था.

किसी ने भी ध्यान नहीं दिया कि छोटे डैडी ने काँच की सुराही से अपने लिए एक ग्लास पानी भर लिया है. उन्हें मालूम था कि इस सुराही में हमेशा उबला हुआ पानी होता है. वो फ़ौरन आधा ग्लास पानी गटक गए. गटक तो गए, मगर तभी उनकी साँस रुक गई. वो समझ ही नहीं पाए कि ये पानी को क्या हो गया था.

छोटे डैडी को ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्होंने ज़िन्दा साही को निगल लिया हो. फिर उन्होंने सोचा कि हो सकता है, पानी अच्छा ही हो, मगर उनके भीतर ही कोई चीज़ बिगड़ गई है. वो बहुत घबरा गए और उन्होंने सोचा कि अब वो मरने ही वाले हैं. तब वो इतने भयानक तरीक़े से चीख़े कि पूरा घर भाग कर उनके पास आ गया.

छोटे डैडी खाँस रहे थे, उनका दम घुट रहा था, मुँह में तेज़ जलन हो रही थी. उनकी तबियत बहुत बिगड़ गई, और कोई भी समझ नहीं पाया कि हुआ क्या था.

 “ये बीमार हो गया!” दादी चिल्लाई.

 “ये नाटक कर रहा है!” दादाजी चिल्लाए.

मगर डैडी की चीख़ सुनकर उनकी आया आई और वह फ़ौरन सब समझ गई.

 “इसने वोद्का पी ली है,” आया ने कहा. “सुराही में तो वोद्का है!”

 वोद्का की बात सुनकर सब लोग फिर चिल्लाने लगे.

 “डॉक़्टर को बुलाओ!” दादी चीख़ी.

 “चाबुक मारूँगा!” दादाजी चिल्लाए.

 “इसे कुछ खाने को दीजिए!” आया चिल्लाई.

छोटे डैडी ने ब्रेड-बटर खाया और हौले से वोद्का के बारे में बोले:

 “वो, शायद, बहुत फ़ायदेमन्द है.”

मगर छोटे डैडी की तबियत और ज़्यादा बिगड़ गई, वो फ़र्श पर बैठ गए. उनका सिर घूमने लगा.

छोटे डैडी को आगे की कोई बात याद नहीं है. मगर उन्हें बताया गया कि वो पूरा दिन सोते रहे थे. शाम को छोटे डैडी की तबियत कुछ ठीक हुई. और, जब मेहमान आये और वे वोद्का पीने लगे, तो छोटे डैडी ने अपने छोटे से पलंग से उनकी ओर देखा.

उन्हें मेहमानों पर बहुत दया आई. उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि अब उनकी तबियत बिगड़ेगी. एक मेहमान से तो उन्होंने कहा भी:

 “ये गन्दी चीज़ मत पियो!”

मगर मेहमान सिर्फ मुस्कुरा दिया.

सुबह छोटे डैडी बिल्कुल ठीक हो गए. मगर उन्होंने फिर कभी उस सुराही से पानी नहीं पिया. आज भी 

जब वो वोद्का की ओर देखते हैं, तो उन्हें बड़ा अटपटा लगता है.

डैडी अक्सर ये बात बताते हैं. और हमेशा कहते हैं:

”उस दिन से मैंने पीना छोड़ दिया!”


Rate this content
Log in