जब सब थम सा गया( प्रथम दिन)
जब सब थम सा गया( प्रथम दिन)


लॉक डाउन प्रथम दिन
25.03.2020
प्रिय डायरी,
आज कोरोना संक्रमण के चलते विश्व भर को मानो रोक दिया है, सब मानो थम सा गया है। इस बड़ी आपदा से बचे रहने और दूसरों को बचाने का एक मात्र उपाय एक दूसरे के संपर्क में न आकर अपने को घर में रखना था। सुनकर बड़ा अजीब हैं लेकिन यही सच है।
मेरे मस्तिष्क में बस यही बात चल रही है कि इसका अंत हैं या नहीं? मैं बचपन में अक्सर ये सोचता था कि क्या कभी ऐसा हो सकता है कि सबको घर पर रहने को बोल दिया जाये ? फिर क्या होगा। लेकिन 28 वर्ष के जीवन में ये समय सबसे विचित्र और खतरनाक दिख रहा है।
इस संक्रमण के चलते सब कुछ बंद सा हो गया हैं। मैं एक शिक्षक हूँ और हर चीज़ का विश्लेषण करके दूसरों को उदाहरण से समझाना मेरा कर्म हैं, तो लॉक डाउन जो की कर्फ्यू का एक रूप है पूरे भारत में 21 दिन के लिए लग गया है जो की सबकी सलामती के लिए महत्वपूर्ण है।इस भयंकर महामारी के चलते सब घर पर ही बैठने को मजबूर हैं क्योंकसोशल डिस्टेंसिंग एक मात्र उपाय हैं इस संक्रमण के रोकथाम के लिए।
मैं सुबह उठा और सोचा की अब क्या होगा और कुछ समय तक लगा मानो मेरा मस्तिस्क काम करना बंद कर दिया। फिर मैंने सोचा की मैंने प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध की स्थिति के समय आम जीवन के बारे में सुना था और अक्सर तृतीय विश्वयुद्ध के बारे में सुनता था। लेकिन चीन की इस ग़लती को ग़लती समझूँ या साज़िश लेकिन अभी के लिए फिलहाल मैं सुबह सुबह यही सोच रहा था। फिर मैं सोचने लगा की बायो वॉर के बारे में पढ़ा था क्या ये वही हैं?लेकिन मैं ये सिर्फ सोच ही सकता था। अब सबके पास कोई विशेष काम तो था नहीं बस मोबाइल और टेलीविज़न, तो करो समय का उपयोग। मैं भी उठा और दैनिक क्रिया के बाद अखबार पढ़ने लगा फिर क्या जहाँ देखो कोरोना कोरोना कोरोना और सिर्फ कोरोना मुझे लगा की अब मेरा दिमाग फट जायेगा तो मैं चुप चाप अपने कमरे में आकर एपीजे अब्दुल कलाम सर की जीवनी अग्नि की उड़ान पढ़ने लगा और कुछ ही देर मैं सो गया। फिर जब उठा तो सोचने लगा की लोग बोलते है भूत होते हैं आज सबके लिए कोरोना भूत ही तो है, जो दिख नहीं रहा हैं लेकिन अपनी ताकत पूरी दुनिया को दिखा रहा है।
धीरे धीरे मैं ये विचारने लगा की ये कोरोना संक्रमण देश और दुनिया में आर्थिक संकट ले आया हैं। प्रधानमंत्री जी ने कहा "जान है तो जहां हैं",इसलिए सुरक्षित अपने घरों में या जहाँ हैं वही रहे। लेकिन जो दिन भर मजदूरी करके अपना पेट भरते हैं उनका क्या होगा? इसलिए मैंने निर्णय लिया की नवरात्रि के नौ दिनों का व्रत रखूँगा ताकि भोजन उचित लोगो तक पहुँचे। पहले दिन सब लोगो से इसी संकट की चर्चा हो रही थी। जीवन संगिनी जी अपने मायके से दिशा निर्देश दे रही थी और मैं यहाँ से,क्या करे और कुछ किया भी नहीं जा सकता था। बस सब यही सोच रहे हैं कि इस समस्या से जल्दी छुटकारा मिले।
परिवार साथ है इसलिए थोड़ा सुकून है। लेकिन संकट बड़ा है और जंग कब तक चलेगा किसी को पता नहीं है। घर के सभी सदस्य बस यही प्रार्थना कर रहे हैं कि जल्दी जब ठीक हो।
दोपहर के समय जब मैं अपने कमरे में गया तो खिड़की से चारो तरफ देखने लगा।लेकिन दूर दूर तक खेत और मकान दिख रहा था लेकिन कोई बहार नहीं दिख रहा था,कहने को तो कुछ धुरंधर रोड पे बाइक चलाकर दिख रहे थे जो क्या दिखाना चाह रहे हैं समझ नहीं आ रहा था।मन तो मेरा उनको पीटने का कर रहा था कि सब घर में बैठने को बोल रहा हैं और ये आवारागर्दी से बाज नहीं आ रहे है।इतने मैं पुलिस की गाडी आते देख मुझे उम्मीद दिखी की अब ये लोग रोकेंगे,गाड़ी रुकी और दो जवानों ने देखा की कुछ लड़के बिना किसी कारण घूम रहे हैं।पूछने पर सीना चौड़ा करके बोल रहे हैं हम लोग घूम रहे हैं फिर क्या पुलिस ने समझाया घर जाओ नहीं तो हम लोग तुमको घुमाते हैं।उनमे से एक नेतागिरी दिखा रहा था इतने मैं एक लाठी पड़ी सब भाग गए।ये देखकर सुकून मिला और पुलिस की गाडी सबसे निवेदन कर रही थी की कृपया घर में रहे सुरक्षित रहे और ये सूचित करते करते गाडी आगे चली गयी।
मैं मोबाइल पे खबर देखते देखते इटली और अन्य देशों की स्तिथि देखते देखते कब सो गया पता ही नहीं चला।शाम को लगभग 5 बजे उठा और देखा की घर पर मेरी बहन और भांजी बोर हो रही थी और मुझसे कैरम खेलने की जिद कर रही थी।मैंने भी बिना समय गवाये कैरम खेलने लगा।कैरम खेलने के बाद हम सब ने घर के मंदिर में आरती की और भोजन करके कुछ समय इस वर्तमान समस्या के बारे में चर्चा करने लगे।फिर सब अपने कमरो मैं चले गए और सबने एक दूसरे से निवेदन किया कि सिर्फ जो चीज़े जरुरी हैं उन्ही का इस्तेमाल करे और साफ़ सफाई के साथ साथ डेटोल और हैंडवाश और साबुन से हाथ धोएंगे।वैसे तो ये कोई नई चीज नहीं थी,ये तो हमेशा हमारे घर में होता रहता हैं क्योंकि लगभग सभी सदस्य पिताजी चाचाजी मझला भाई फाॅर्स मैं सैनिक हैं इसलिए नियम का पालन हमेशा ही रहता हैं।फिर अपने कमरे में आकर मैं सोच ही रहा था कि जीवन संगिनी जी का फ़ोन आया और अपनी दिन भर की घटना का वर्णन करने लगी।नींद तो आ नहीं रही थी मुझे एक अजीब सी उलझन लग रहा था और इसी बीच मेरी नएपीजे अब्दुल कलाम सर की जीवनी अग्नि की उड़ान पढ़ते पढ़ते मैं लगभग 1 बजे सो गया।
इस तरह लॉक डाउन का प्रथम दिन कोरोना के चर्चे के साथ ख़तम हुआ। लेकिन कहानी अभी जारी हैं अगले भाग में.........💐ज़र फि