इस भूल की माफ़ी नही
इस भूल की माफ़ी नही


अचानक खिड़की के बजने की आवाज आई और मैं जैसे किसी भयाभय नींद के सपने से जागी, देखा अनय सो रहा था, लगता है तूफ़ान आया है। तभी एक ज़ोर की चटक हुई, उठके देखा मेरे और साहिल के तस्वीर के ऊपर काँच के बिखरे टुकड़े दिखे, अचानक तूफान की रफ़्तार तेज़ हो रही थी,और लाइट भी लगता था रात भर परेशान करने वाली थी,
ये नजारा दिल को डर से भर रहा था, पर आज एक अजीब सी कसक मन को कचोट रही थी।
ऐसा नहीं था कि साहिल पहली बार मुझे छोड़ कर बाहर गए थे, अक्सर उनके ऑफिस के टूर उन्हें 2,3 दिन के लिए बाहर जाने पर मजबूर करते ही थे, पर आज मन परेशान था, एक पल को लग रहा था,की फोन कर लूं, दो पल बात हो जाएगी तो मन हल्का हो जाएगा, फिर निगाह गयी घड़ी पर रात के 1 बजे थे।
नहीं नहीं वो सो रहे होंगे नींद से जागेंगे तो परेशान हो जाएंगे।
(कितना काम बाकी है रोजी,
सर बस 15 मिनिट का काम है अभी पूरा हो जाएगा।
सर आपको देखकर लगता नहीं की आपकी शादी हो चुकी है।
जी हाँ और मैं अपनी राइमा से बहुत प्यार करता हूँ और हमारा एक बेटा भी है, बहुत ही प्यारा। ऐसा लग रहा था साहिल, रोजी को जरूरत से ज्यादा समझाने की कोशिश कर रहा था, शायद कुछ गलत अंदेशा हो रहा था उसे।
सर मुझे पता है, आप अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते है, लेकिन एक बात कहुँ आप बहूत हैंडसम है। )
आज एक रात कुछ गलत संदेश दे रही थी, मेरे आंखों से नींद जैसे गायब ही हो गयी थी। दिल घबराहट से भरा जा रहा था, आज साहिल बहुत याद आ रहा था, सब ठीक तो होगा ना।
(सर अगर आप चाहें तो मैं यही रूक सकती हूँ।
रोजी के इरादे, साहिल को समझ आ गए थे,पर उसका दिल गवाही नहीं दे रहा था, वचन दिया था उसने अपनी पत्नी को फिर आज ये वेवफाई कैसे कर सकता था वो,
पर कहते है ना जब आगे से ऑफ़र मिल रहा था तो मन तो ललचा ही जाता था।
नहीं रोजी ये सब ठीक नहीं है तुम जाओ अपने कमरे में, कल बात करते है तुम होश में नहीं हो।
सर ये वक़्त निकल गया तो होश में आने का क्या मतलब है, जब मुझे कोई परवाह नहीं तो आओ क्यों डर रहे है। आखिर इंसान अपनी भावनाओं पर काबू ना कर सका और अपनी पत्नी के साथ वेवफाई कर बैठा
सुबह उठकर देखा की घड़ी में 10 बज रहे है औऱ मोबाइल में लगभग 15 मिस कॉल थे जो राइमा की बेचैनी की कहानी कह रहे थे।
नशे से चूर सर की हालत दर्द बयां कर रही थी औऱ पास में रोजी के बदहवास अंदाज़ साहिल की रात भारी दास्ताँ सुना रहे थे।
उठो रोजी, जाओ यहाँ से, ये मैंने क्या कर दिया, मैं ऐसा तो नहीं था, मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हुँ वो बर्दाश्त नहीं कर पायेगी ये बेवफाई, मैं किस मुँह से उसका सामना करूँगा।
सर ये आप क्या कह रहे है, इस कमरे में सिर्फ मैं हूँ औरआप हो, और कोई तीसरा नहीं नहीं है गवाई देने को, मैं किसी से कुछ क्यों कहूँगी भला, और आपको कुछ बताने की जरूरत क्या है।
तुम जाओ यहाँ से, अपने कमरे में, और रोजी अपने कपड़ों को ठीक करते हुए निकल गयी।
आँसू थम नहीं रहे थे, आज अपनी राइमा का विश्वास खो दिया मैंने और मैं इतना कमीना हुँ की उसे बताऊँ भी ना, नहीं मैं झूठ नहीं बोल सकता, मैं राइमा को बता दूँगा की मुझसे भूल हो गयी, वो बहुत अच्छी है वो मुझे माफ़ कर देगी)
तभी एक बार फिर हाथ मे रखा मोबाइल बजा,
हेलो राइमा।
हाई जान, तुमने तो मेरी जान ही लेली, कितने फोन किये तुम्हें, आज सुबह 8 बजे की तो फ्लाइट थी तुम्हारी, फिर क्या हुआ,
हाँ वो, वो, वो राइमा फ्लाइट छूट गयी, मैं राइमा कह रहा था कि वो रात को, रात को मैं,
क्या हुआ तुम्हे, सब ठीक तो है ना, इतनी घबराहट क्यों हो रही है, तबीयत ठीक है ना तुम्हारी, पता है कल रात कितना बड़ा तूफ़ान आया था, मैं तो डर ही गयी और हमारी वो फ़ोटो भी टूट गयी,मैं तो घबरा ही गयी, पर बाद में खुद को दिलासा दिया,ये फोटो ही तो थी, जोर की हवा से टूट गयी गिर कर ।
तुम और अनय ठीक हो ना,
देखता हूँ अगलीफ्लाइट से घर पहुँच ता हूँ,तुम ध्यान रखना अपना,
और फोन को जोर से बेड के कोने में दे मारा, कितना कायर हूँ मैं, इतना बड़ा गुनाह किया और अब बताने में जान निकलने लगी है।
डर लगता है कही राइमा गुस्से में कुछ ऐसा वैसा ना करले, मैं नहीं रह पाउँगा उसके बिना, रोजी ने सही तो कहा कि कोई नहीं था यहाँ, वो किसी से कुछ नहीं बोलेगी और मैं भी नहीं बताऊँगा। ये राज ही रहेगा।
आज सोच रही हुँ कुछ अच्छा स्पेशल बना लेती हुँ जो साहिल को पसंद हो, खुश हो जायेंगे, अब कह दूँगी थोड़ा टाइम मुझे भी दो, बहुत व्यस्त हो गए हो अपने काम में, कितना वक्त हो गया कही घूमने भी नहीं गए इस बार छूट्टीयों मे कही बाहर जाने का प्रोग्राम बनाते है।
जाने क्या क्या खिचड़ी पक रही थी दिमाग में।
अब वक्त भी हो गया था साहिल के आने का, इंतज़ार ख़त्म हुआ,
पापा आ गए मम्मी, आप क्या लाये मेरे लिए, अक्सर अनय का यही सवाल होता था जब साहिल टूर से आते हूं,
पर आज साहिल ने ना अनय को जवाब दिया और ना ही गले लगाया,
कोई नहीं थक गए होंगे, कैसा रहा टूर आपका? बहुत थक गए हो। आप फ़्रेश हो जाओ मैं चाय बनाती हूँ ।
हाँ इससे ज्यादा शब्द निकले नहीं साहिल के मुँह से,
राइमा को बड़ा अजीब लग, अंदेशा हो रहा था, कुछ अलग, पर क्या???ये भी एक सवाल था।
हमेशा तो साहिल का मूड टूर से आते बरोबर अच्छा होता था, क्या हुआ, क्या नहीं, बिना पूछे सब बखान हो जाता था। पर आज कुछ भी नहीं बोले।
शाम को पूछती हूँ,
क्या हुआ साहिल सब ठीक है ना, आज मुझे मेरे साहिल दिखाई नहीं दे रहे, ऐसा लग रहा है ये कोई और ही इंसान है जो मेरे सामने है, इतना चुप तो तुम कभी नहीं रहते फिर आज अचानक क्या हो गया, ऑफिस में कुछ गड़बड़ हुई क्या।
नहीं ऐसा तो कुछ नहीं हुआ, सब ठीक है,
मैं तो कल रात डर ही गयी थी बहुत खतरनाक तूफ़ान था, रात भर सो नहीं पाई।
ऐसा लग जैसे रात कुछ बुरा पैग़ाम लेकर आई हो।
मुझे नींद आ रही है कल बात करते है।
ठीक है, पर राइमा के दिल में कुछ खटक तो रहा है था। कुछ तो हुआ था जिससे वो अनभिज्ञ थी। ये थकान नहीं थी।
अगले दिन ऑफिस में रोजी का व्यवहार कुछ ठीक नहीं था, उसके इरादे कुछ ठीक नहीं थे, पर ऐसा कैसे हो सकता था कि एक ही ऑफिस में रोज आमना सामना होता रहे, नहींमैं अब और गलतियाँ नहीं दोहरा सकता, आज चाहें कुछ भी हो मैं राइमा को बता दूँगा।
मैं जानता हुँ वो मुझे माफ़ कर देगी।
रात को ऑफिस से आते वक्त हालात को अपने मन का हिसाब देने के लिए सहारे की जरूरत पड़ी।
ये क्या साहिल तुम घर पी कर आये हो, आज से पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ, तुम ये भी भूल गए कि घर में एक छोटा बच्चा है, वो अपने पिता को इस हाल में देखेगा तो क्या सोचेगा।
मुझे माफ़ कर दो मेरी जान, तुम मुझसे वादा करो कि तुम मुझे माफ़ कर दोगी।
दिल बैठा जा रहा था, आज कौनसी बिजली गिरने वाली थी, क्या हुआ ।
क्या हुआ साहिल तुम ऐसे क्यों बोल रहे हो, मेरा दिल घबरा रहा है।
मैं कैसे बताऊँ तुम्हे, मैं तुम्हारे लायक नहीं, तुम मुझसे बेइंतहा प्यार करती हो, मैं भी अपनी जान से ज्यादा तुम्हे चाहता हूं, हालात मेरे बस में नहीं थे राइमा, मैं बहक गया था। इस टूर में मैं और रोजी,,,
बस इतना कहना था कि राइमा को अंदेशा हो गया था।
देखो साहिल कुछ ऐसा ना कहना जो मेरा दिल महसूस कर रहा है, मैं सहन नहीं कर पाऊँगी ।
मैं और रोजी पता ही नहीं चला कि कब एक दूसरे के करीब आ गए। वो रात मुझे बहका गयी राइमा, मैं होश में नहीं था।
ये सुनते ही राइमा के हाथ से साहिल का हाथ छूट गया।
बहक गया, तुम बहक गए साहिल, एक पल को तुम्हे मेरा ख्याल नहीं आया, चलो मेरा छोड़ो तुम एक पिता भी हो ये कैसे भूल गए, क्या उस मासूम का चेहरा सामने नहीं आया, और ये कहकर राइमा ने अपने आपको केमरे में बंद कर लिया अनय के साथ,
नशा इतना ज़्यादा था कि कब कमरे की दहलीज पर साहिल अपने होशो हवास खो बैठा और वही सो गया।
पर राइमा ने नशे का सहारा अपने गम को कम करने के लिए नहीं लिया था, उसे वो हर पल याद आ रहा था जो अब बेमानी लगने लगा था, शायद ये दरवाजे की दीवार आज दो सरहदों की दीवार लगने लगी थी, नींद का तो सवाल ही कहा था आँखों मे, वो फ़ोटो का टूटना, एक इशारा था, ये कहर तो मेरे रिश्ते पर गिरने वाला था।
सुबह का सूरज अपनी परवान चढ़ता उससे पहले ही राइमा ने अपना फैसला ले लिया था, दरवाजे के खुलने के साथ साहिल की नींद टूटी, एक पल में जो बीती रात का दृश्य था वो नजरो के रुबरू हुआ, पर आज का नजारा कुछ और बयान कर रहा था, हाथ मे सूटकेस लिए, गोदी में अनय जो अभी नींद के अघोष में था, के साथ राइमा ने घर से जाने की सजा खुद को सुनाई थी।
नहीं राइमा तुम ऐसा नहीं कर सकती, तुम्हारा दिल तो बहुत बड़ा है, गलती हो गयी मुझसे,मुझे माफ़ करदो, पर ऐसे छोड़ के मत जाओ।
बस एक सवाल साहिल, क्या मुझसे ये गलती होती तो मुझे तुम्हारी माफ़ी मिलती, क्या तुम सब कुछ भूल जाते।
और साहिल का हाथ राइमा के हाथों से छूट गया, शायद उसे अपना जवाब मिल गया था, राइमा से अलविदा कावक़्त हो गया था, दोस्तों ये कहानी कहती है क्यों एक नारी हर फैसले में अपनी हामी भर देती है, क्यों ये समाज उसे मजबूर कर देता है अन्याय सहने को, पुरूष की हर गलती को माफ करने के लिए तैयार होता है।