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Sonia Chetan kanoongo

Abstract Fantasy Inspirational

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Sonia Chetan kanoongo

Abstract Fantasy Inspirational

हो गया ना प्यार तुम्हे फिर से भाग-2

हो गया ना प्यार तुम्हे फिर से भाग-2

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जैसे ही समीर स्नेहा के घर पहुचा उसका महल जैसा घर दखकर सकपका गया, गेट पर 2 गॉर्ड खड़े थे , काला चश्मा, काले कपड़े, जैसे फिल्मों में दिखाते है।

दिल धक धक कर रहा था, जैसे फतह हासिल करनी थी, जैसे तैसे समीरआगे बढ़ा तो गॉर्ड ने रोक दिया,

किससे मिलना है आपको।

जी स्नेहा से।

जी तो ऐसे लगा रहा था जैसे स्नेहा के पापा ने सवाल पूछ लिया।

घबराहट से पसीना साफ पता चल रहा था।

आप रुको, मैं फ़ोन करके पूछ ता हुँ।

मन ही मन समीर बोल रहा था कि मैं क्या चोर नजर आता हूँ या झूठ बोल रहा हूँ जो फोन करना पड़ रहा है। आज तो वो गॉर्ड भी हैसियत में उससे बड़े नजर आ रहे थे।

दिल धक धक कर रहा था, पता नहीं अंदर क्या होगा, कैसा लगूँगा में उनको , स्नेहा की माँ मुझे पसंद करेंगी या नहीं, और उसके पापा तो बहुत बड़े बिज़नेस मेन है, मुझसे मेरी हैसियत पूछ ली तो क्या कहूँगा, मेरे पापा तो बैंक में काम करते है, कैसे कहूँगा मैं,

मैं भी क्या सोच रहा हूँ जैसे अपनी शादी की बात करने जा रहा हूँ ,

समीर निकल अपने खयालों से।

तभी गार्ड ने बोला, आप जा सकते हो,

   

और उनमें से एक गॉर्ड मुझे अंदर तक लेकर गया, बाहर से ही ऐसा जन्नत जैसा घर था उसका, घर क्या बंगला था, और कहा मेरा घर 2 मंजिला, जहाँ सोफा भी पिछले 15 सालों से वही है, और यहाँ देखो लगता है जैसे यहाँ के गॉर्ड भी हर हफ्ते बदलते हो

गॉर्ड ने उसे अंदर पहुँचाया।

तभी एक आवाज आई।

क्या तुम समीर हो?

मैंने पलट कर देखा, तो हरे रंग के गाउन में एक सुंदर सी महिला खड़खड़ी थी।

उन्हें देखकर लग रहा था कि स्नेहा उनपर गयी है , वो स्नेहा की माँ थी। बहुत सुंदर थी, तभी स्नेहा इतनी सुंदर है।

लेकिन उन्हें गाउन में देखकर लगा कितनी मॉर्डन खयालों की है,

जी मैं ही समीर हूँ

मैंने कहा।

आओ बैठो, और दूसरी तरफ उन्होंने स्टाफ को आर्डर दिया, चाय कॉफ़ी, नाश्ता लाने का,

मैंने मना कर दिया, नहीं आंटी मैं कुछ नहीं लूँगा,

अरे क्यों नहीं पहली बार स्नेहा के घर आये हो कुछ तो लो।

ज्यादा बोलने पर मैंने चांदी की प्लेट में रखे काजू ले लिए।

तभी स्नेहा आयी।

उसे देखकर तो मैं जैसे पागल ही गया, ब्लैक रंग की ड्रेस में इतनी सुंदर लग रही थी, कोई भी उसे देखे तो दीवाना हो जाये। और मैं भी उन दीवानों में से एक था। कोई उसे प्यार भला क्यों ना करे, इतनी सुंदर, जैसे कोई परी आसमान से उतर आई हो।ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसे फ़्रेंडशिप के लिए नहीं डेट पर ले जाने आया हूँ।

कैसे हो समीर,

समीर तुम मेरी मोम से मिल

े, मोम ये समीर है।

हाँ मैं मिला आंटी से,

अरे तुमने कुछ लिया या नहीं चाय कॉफी।

अरे स्नेहा मैंने ले लिया, अब चले देर हो जाएगी।

आप दोनों कैसे जाओगे,

मैं बाइक लाया हूँ आंटी। उससे चले जायेंगे।

बाइक ,यही रहने दो तुम अपनी बाइक यहाँ रख दो एड्रेस बता देना, घर पहुचा देंगे।

तुम दोनों कार से चले जाओ, ड्राइवर छोड़ देगा।

ऐसा लग रहा था, जैसे मैंने बाइक का बोलकर उनकी बेटी की तौहीन करदी।

इतने बड़े बिज़नेस मेन की बेटी भला बाइक पर क्यों जाएगी।

पर इस वक़्त मैं कुछ बोल भी नहीं सकता था। हामी में सर हिलाने के सिवा।

कैसे मैं सपने देख रहा था स्नेहा का, मैं तो उसकी जूती के बराबर भी नहीं था, भला किस वजह पर मैं उसके माँ बाप से उसका हाथ मांगूगा, वो तो दूर की बात है, मैं किस मुँह से उसे प्रपोज करूंगा।

गलत जगह दिल लगा लिया।

क्या सोच रहे हो। कुछ बोलते क्यों नहीं।

कुछ नहीं बस यूँही।

अच्छा तुम्हे मैं पसंद हूँ। स्नेहा

हाँ बिल्कुल तुम मेरे दोस्त हो और दोस्त नापसंद नहीं होते।

चलो दिल को सुकून मिला कि उसने दोस्त तो कहा।

तुम्हारे पापा नहीं थे घर पर।

नहीं वो लंदन गए है, अभी हाल ही मैं उन्होंने वहां एक बिज़नेस ब्रांच ओपन की है तो ज्यादातर तो वो उसी को संभालने में लगे रहते है।

लंदन, अभी तक तो सिर्फ़ टीवी में देखा है।

नहीं नहीं जमीन पर आजा समीर किसके सपने देख रहा है।

वो तुझे कभी हाँ नहीं कहेगी, तेरी औकात क्या है उसके आगे।

तुम फिर कुछ सोचने लगे गए, क्या हुआ।

कुछ नहीं । इतने में हम लोग नेहा के घर पहुँच गए थे।

स्नेहा के हिसाब से पार्टी बहुत सिंपल थी, पर उसने महसूस नहीं होने दिया,

वो बहुत एन्जॉय कर रही थी।

तभी विकास हमारा बैचमेट आया और उसने स्नेहा को डांस के लिए कहा

मेरे तन बदन में तो जैसे आग लग गयी थी। मेरे सामने स्नेहा से कोई डांस के लिए पूछे , मर्डर ना करदु उसका।

पर मैं कुछ नहीं कर पाया।

क्योंकि स्नेहा ने हां बोल दिया।

क्यों मैं क्या बुरा था, थोड़ा डांस तो कर ही लेता हुँ पर मेरे साथ क्यों डांस नहीं किया।

थोड़ी देर बाद स्नेहा ने मेरा हाथ पकड़ा औऱ मुझे डांस के लिए खिंच लिया।

ऐसा लग रहा था, मैं कुछ ज्यादा ही सोच रहा था।

ऐसा मुँह क्यों बनाया हुआ है, बुरा लगा क्या।

नहीं ऐसा तो नहीं।

पर मैं जान नहीं पाया कि स्नेहा ने ऐसा क्यों बोला, की मुझे बुरा लगा क्या।

दोस्तो जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ अगले भाग में।

आखिर स्नेहा ने ऐसा क्यों बोला।


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