Sonia Chetan kanoongo

Romance Fantasy

3  

Sonia Chetan kanoongo

Romance Fantasy

हो गया ना प्यार तुम्हे फिर से

हो गया ना प्यार तुम्हे फिर से

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भाग 3


तुम कहना क्या चाहती हो। मुझे क्यों बुरा लगा, मतलब।

मतलब कुछ नहीं, बस तुम्हारा उतरा हुआ चेहरा देखा तो पूछ लिया, इसमें कौन सी बड़ी बात है।

हाँ शायद उसके लिए कोई भी बात बड़ी नहीं थी, ओर मेरे लिए उससे मिलने वाला हर एक इशारा बहुत बड़ा था, मैं सोच रहा था, की क्या उसका मतलब वही है जो एक लड़की महसूस कराना चाहती है, एक लड़के को जब वो उसे पसंद करे।

पर मुझे तो ये भी नहीं पता था कि वो मुझे पसंद करती भी है या नहीं।

कैसे पूछ लेता उससे।

तभी निहान ने इशारा किया, समीर आजा।

मैं समझ गया था, रात रंगीन करने के लिए नशे की पूरी व्यवस्था की गई थी। पर मैं स्नेहा को ये महसूस नहीं कराना चाहता था कि मुझ में ये बुरी आदत तो नहीं पर कभी कभी दोस्तों के साथ ले लेता हूँ। मैंने मना कर दिया।

तभी स्नेहा ने पुछा, बस सूखी सूखी पार्टी है।

मैं समझा नहीं, या समझ गया था पर ना जाने क्यों उम्मीद कर रहा था कि स्नेहा का मतलब वो तो नहीं।

मतलब क्या कहना चाहती हो।

अरे पार्टी और नो वोडका, नो रम, कैसे करते हो तुम लोग। हमारी पार्टी तो बिना इन सबके होती ही नहीं।

आखिर समीर के मन में फिर वही खयाल आया, समीर ये उन लड़कियों में से नहीं जो शराब के नाम पर संस्कारों की तुलना करें। इन बड़े लोगों के शराब तो हाई प्रोफाइल जिंदगी जीने का तरीका है।

क्या हुआ, फिर सोचने लगे। तुम सोचते बहुत हो।

नहीं वो। तुम शराब पीती हो।

हाँ कभी कभी मोम डैड से छुपकर। वो हाँ नहीं करते, पर उन्हें पता नहीं चलता। उनकी पार्टी में कोल्डड्रिंक में मिला कर पी लेते है।

पर यहाँ तो कोई समस्या नहीं है। चलो एक एक लेते है।

समीर को ना चाहते हुए भी हाँ करना पड़ा।

फ़्रेंडशिप डे की पार्टी अच्छी हो गयी।


पर समीर ना जाने किस सोच में लगा था, ना जाने क्यों वो स्नेहा को उसके बनाये आईने के साँचे में ढालना चाहता था, क्योंकि उसके हिसाब से वो स्नेहा से प्यार करने लगा था, और शादी के सपने देख रहा था।

पर उनके यहाँ लड़कियाँ शादी के बाद कुछ संस्कारों में बंधी रहती है। जो स्नेहा के हिसाब से नहीं के बराबर था।

वो बार बार यही सोचता कैसे मैं मिलाऊँगा उसे माँ से, क्योंकि समीर की माँ थोड़े पुराने विचारों से निहित थी। बहु, बहु होती हैं और उसे कायदे में रहना पड़ता है। मैं ये सब अभी से क्यों सोच रहा हूँ अभी तो मुझे ये भी नहीं पता कि स्नेहा हाँ भी कहेगी या नहीं।

चलो स्नेहा बहुत देर हो गयी है। तुम्हारी माँ मेरा मतलब मोम ने कहा था समय पर आने के लिए।

ओह यस, चलो चलो, और तुम्हें मुझे छोड़ने की जरूरत नहीं, ड्राइवर बाहर है, वो तुम्हें रास्ते में तुम्हारे घर छोड़ देगा, और मैं चली जाऊंगी।

जी नहीं मैं तुम्हें इस हालत में नहीं छोड़ सकता, मैं तुम्हें तुम्हारी मोम के पास ले जाकर छोड़ूँगा।

अरे पागल हो गए हो क्या, मेरी मोम अपने दोस्तों के साथ क्लब में गयी होगी पार्टी के लिए। क्या तुम मुझे क्लब में छोड़ोगे।

क्या,( समीर को ये सब सुनकर अचंभा तो हो रहा था, पर वो ये भी जानता था, किये तो अमीरों के शौक होते है। खैर ये बात अलग है कि हमारे घर औरत या कोई मर्द भी नहीं गया होगा क्लब में।)

ठीक है पहले मैं तुम्हें तुम्हारे घर पर छोड़ दूंगा, फिर ड्राइवर में मेरे घर छोड़ देगा।

ठीक है बाबा।

जब दोनों साथ में बैठे हुए थे तो , स्नेहा ने समीर का हाथ थामा, तुम्हें अच्छा नहीं लगा कि मैंने ड्रिंक की।

नहीं मुझे अच्छा नहीं लगा।

ओह पर क्यों। मुझे कभी कभी अच्छा लगता है। और यहाँ पर तुम थे ना मेरे साथ तो मुझे कोई चिंता नहीं थी। मुझे पता है तुम मुझे बहकने नहीं देते।

ना जाने ऐसी गोल गोल बातें करके स्नेहा मेरा चैन क्यों छीन लेती है। उसका क्या मतलब होता है ये साफ पता नहीं चलता, और मैं खयाली पुलाव बनाता रहता हूँ, और ये बोलते बोलते स्नेहा ने अपना सर समीर के कंधों पर टीका दिया।

काश ये सफर कभी खत्म ना हो। तुम यूँ ही मेरे कंधों पर अपना सर रखकर सोई रहो।

थोड़ी देर में स्नेहा का घर आ गया, समीर ने उसे जगाया।

और उसे अंदर तक छोड़ कर आया। जब वो उसे अंदर ले जा रहा था, लौटते वक्त स्नेहा ने उसे गले से लगा लिया। समीर तुम बहुत अच्छे हो। I like you.

अब ये नया बवाल, I like you स्नेहा ने मुझे ऐसा क्यों कहा।

दोस्तों इस प्यारी से प्रेम कहानी को आगे पढ़ने के लिए बने रहिये मेरे साथ।



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