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Sonia Chetan kanoongo

Abstract Action Inspirational

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Sonia Chetan kanoongo

Abstract Action Inspirational

वो आज़ाद हो गए इस जंग में , मै ताउम्र कैद में रही

वो आज़ाद हो गए इस जंग में , मै ताउम्र कैद में रही

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अरे भाभी इतना अच्छा रिश्ता है शीना के लिए, आप क्यों मना कर रही है।

रिश्ता अच्छा है, पर मैं अपनी जिंदगी दोहराना नही चाहती,

मेरे पिता कर्नल थे, हमेशा से उनकी इच्छा थी कि मेरी शादी भी किसी अच्छे पड़ पर कार्यरत कर्नल परिवार या किसी देश सेवी लड़के से हो।

भगवान ने उनकी ये इच्छा पूरी भी करदी।

जब दुल्हन बनकर आयी तो पता चला मेरे पति सिर्फ बोर्डर से 2 दिन की छुट्टियां लेकर शादी की रस्मों को निभाने आये थे, सपने मैंने मेरी इन निगाहों में कैद कर रखे थे, हां मैं नही थी मेरे पिता की सोच का अनुकरण करने वाली उनके घर की सदस्य, मैं तो खुले पंछी की तरह आजादी के सपने देखती थी, प्यार को जीना चाहती थी, बेड़ियों से निकलना चाहती थी।

शादी की रस्मों में वो दो दिन कब निकले पता नही चला, शादी की पहली रात ही हम दोनों को करीब ले आयी, पता नही था, की वो रात एक सौगात छोड़ जाएगी।

सुबह उठी तो सब तैयारियों में लगे थे रोहित को बॉर्डर पर वापस जाना था, मैं अनभिज्ञ थी। मैं तो अपने और रोहित के नए जीवन के सपने बुन रही थी, कितनी ही कल्पनाओं में उड़ान भर रही थी।

पर वो तो आज़ादी के लिए जंग में अपनी जान हथेली पर लेकर जा रहा था,

जब पता चला तो सास ने कहा मिल लो रोहित से 1 घण्टे में वो निकल जायेगा,

1 घण्टे में, ये सुन मेरी आँखें बस नीर बरसा रही थी, हाँ नही बनना था मुझे सदा के लिए इंतज़ार का उदाहरण, और ना ही कोई टैग लेना था। मुझे तो मेरे रोहित के साथ जिंदगी का हर एक पल जीना था।

रोहित कमरे में आया औऱ मेरे हाथ थाम कर कहा अब मेरे माँ बाबा की जिम्मेदारी तुम्हे लेनी होगी, मैं निश्चन्त होकर मेरे काम पर जा सकता हूँ,

और मैं, मेरी जिम्मेदारी, कौन लेगा ?

अरे बाबा मैं हूँ ना, जैसे ही जंग खत्म होगी मैं आ जाऊँगा, फिर लंबी छुट्टियों पर चलेंगे, अच्छा नही लग रहा कि तुम्हे ऐसे छोड़ के जा रहा हूँ पर मेरा देश मेरे लिए सर्वोपरि है।

और इन शब्दों के साथ उसने विदा ली, जंग के बादल तो खत्म हो गए थे, पर रोहित के आने की कोई खबर नही थी।

एक दिन फोन आया कि लेफ्टिनेंट रोहित जंग में समर्पित हो गए।

हम रोहित को अंतिम विदाई भी नही दे पाए। औऱ मैं उस दहलीज़ पर खड़ी थी जहाँ पता भी नही था कि अपनी आने वाली संतान का जश्न मनाया जाए या पति की शहादत का शोक।

अब आप मेरी बेटी को इसी राह पर चलने को कह रही है।

मैं उसके सपनो को आजादी के नाम पर गमगीन नही होने दूँगी।

तभी शीना ने कहा, माँ इंसान की जिंदगी और मौत तो तय होती है, लाखों लोग कीड़े मरोड़ो की तरह मरते है, पर उनका नाम शहादत में शामिल नही होता जो मर कर भी अमर हो जाये। पापा खुशनसीब थे, उन्हें ये मौका मिला।

माना मैं देश की आजादी में अपना योगदान नही दे सकती पर एक देशभक्त के लिए अपना जीवन तो अर्पित कर सकती हूँ।

आज शीना में माँ को लेफ्टिनेंट रोहित दिखाई दे रहा था।


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