हरा रंग (प्रकृति, जीवन)
हरा रंग (प्रकृति, जीवन)
चाहे कुछ भी कहें, फौजी और सिविलियन में फर्क तो होता ही है। कर्नल साहब की पत्नी यानि रावत आंटी बेहद अनुशासित थीं। अंकल की पोस्टिंग बाहर ही रहती थीं। आंटी अपने बेटे को संभालती हुई अपना भी पूरा ध्यान रखती थीं। उनके तरतीब से कटे हुए बाल और फेशियल किया हुआ चेहरा हर समय दमकता ही रहता था।
बेटे ने भी इंजीनियरिंग करने के बाद सेना में मेजर की नौकरी पाई और जल्द ही वह भी कर्नल बन चुका था और पिथौरागढ़ में पोस्टेड था। आंटी अंकल की रिटायरमेंट के बाद अपने घर में रहती थी। अंकल की रिटायरमेंट से पहले हर पार्टी में भी अंकल के साथ डांस करती हुई उनकी अति सुंदर जोड़ी सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती थी। समाज सेवा में आंटी का योगदान सराहनीय था। रिटायरमेंट के बाद अंकल के हमेशा के लिए घर आने पर जाने क्यों वह रुखी सी हो गई थी। अब दोनों जोर-जोर से लड़ते हुए कभी भी देखे जा सकते थे। एक बार आंटी अंकल अपने बेटे के पास पिथौरागढ़ भी गए लेकिन जाने उन्हें क्या नागवार गुजरा जो उसके बाद कभी भी आंटी पिथौरागढ़ नहीं गई। कभी-कभी बेटे बहू ही मिलने को आ जाते थे।
जबसे अंकल को हार्ट की प्रॉब्लम हुई उनको अपने खानपान का सारा तरीका ही बदलना पड़ा। खाने-पीने के शौकीन अंकल को जब सादगी वाला खाना खाना पड़ा तो वह भी बेहद चिड़चिड़े हो गए थे। आंटी को अप टू डेट देखते ही वह बरस पड़ते थे कि हम दोनों जब एक सा ही खाते हैं और एक से ही माहौल में रहते हैं तो भला तुम इतनी एक्टिव और मैं बीमार क्यों हूं?
बढ़ते बढ़ते बात इतनी बढ़ गई की आंटी अपना ही ख्याल रखना भूल गई और डिप्रेशन की शिकार हो गईं। हमेशा सक्रिय और चुस्त रहने वाले आंटी और अंकल अब बेहद दुखी और बीमार रहने लगे। घर का हर काम यहां तक कि खाने के लिए भी वह कामवाली पर निर्भर हो गए थे। निराशा उन पर इस हद तक हावी हो गई थी की दोनों एक दूसरे को भी सहन ना कर पाते थे।
अभी लॉक डाउन के कारण मुझे उनकी बेहद फिक्र हो रही थी क्योंकि इस समय उनके पास कोई कामवाली भी नहीं थी। इसलिए मैंने उनके साथ वाले घर में रहने वाली अपनी सहेली रीटा को फोन में लाकर उनके बारे में पूछा और उससे आंटी की सहायता करने का भी अनुरोध किया।
लेकिन रीटा ने मुझे जो बताया तो मैं हैरान हो उठी। रीटा ने कहा मैं तो खुद आंटी के लिए परेशान थी और उनकी सहायता करना चाहती थी लेकिन जब सारी कामवालियां चली गई तो अंकल और आंटी का ना जाने कौन सा प्रेम जागृत हुआ और कहां से उनमें इतनी शक्ति आ गई। आंटी और अंकल फिर से पहले के रूटीन के जैसे जल्दी उठते हैं। सुबह सवेरे ही अंकल घर की सफाई करते हैं और डाइनिंग टेबल पर खाना खाते हुए अंकल और आंटी फुल्का बनाकर एक दूसरे की सहायता करते हैं। जब मेरे पति ने अंकल को सहायता की पेशकश करें तो अंकल हंसते हुए बोले, हम फौजी हैं, यूं भले ही हम थोड़ा आलसी हो गए हों, लेकिन मुसीबत की घड़ी में तो हम स्वत: ही जागृत हो जाते हैं। तुम्हारी आंटी और मैं बिल्कुल ठीक है और अपने स्वास्थ्य के प्रति हम दोनों बेहद जागरूक हैं। अब आंटी को घर का इतना काम होता है कि उन्हें डिप्रैस रहने की फुर्सत ही नहीं मिलती, हंसते हुए अंकल ने कहा और तुम्हारी आंटी मुझसे इतना काम करवाती है कि मुझे भी लड़ने की फुर्सत ही नहीं मिलती।
रीटा ने बताया कि अंकल ने अपनी सारी काम वालियों को 3 महीने का एडवांस देकर कहा है कि आप सब अपने घर में रहो। यही देश के प्रति तुम्हारा योगदान होगा। हम एक दूसरे का ख्याल रखेंगे तो यही एक दूसरे के प्रति हमारा योगदान होगा। रीटा ने कहा सच में अंकल और आंटी बिल्कुल सही हैं, मैं तो खिड़की से उनके फ्लैट में उन्हें देखती ही रहती हूं। चाहे तो तुम भी वीडियो कॉल कर के उन्हें देख लो।
पाठकगण, एक बात उन्हें ही नहीं मुझे भी समझ आ गई है कि डिप्रेशन का मूल कारण कोई दुख नहीं बल्कि कोई काम ना करके खाली ही बैठ कर भूत या भविष्य के बारे में ही सोचना है। शायद इस कोरोना का केवल प्रकृति पर ही नहीं बल्कि मनुष्य की प्रकृति पर भी बहुत बड़ा उपकार है। सबको अपने परिवार की और काम की महत्वता का भी ज्ञान हो रहा है।