पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई?
पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई?
"ऐसा करना बेटा माधवी हम सबके लिए तो चाय बना देना और बच्चों के और रजत जी ( घर के दामाद जी)के लिए ठंडी शिकंजी बना देना। बहुत गर्मी हो रही है थक गए हैं। भाभी मैं भी शिकंजी ही लूंगी, निकुंज ने कहा और वह बिस्तर पर लेट गई। उफ्फ कितनी गर्मी है!"
बस सिर्फ 3 महीने ही हुए हैं, उससे पहले तो माधवी को भी निकुंज के जैसे ही बहुत गर्मी लगती थी। शादी के बाद लड़कियों का नया जन्म होता है कोई ऐसे ही थोड़े ही ना कहते हैं रसोई में जाते हुए माधवी कुछ सोचती ही जा रही थी।
अभी 3 महीने पहले ही उसकी शादी हुई है। पति की टूरिंग जॉब है वह अपने काम के सिलसिले में कल यानि कि बुधवार को हैदराबाद गए थे। माधवी भी एक स्कूल में टीचर है। अभी तो उसकी ऑनलाइन क्लास चल रही है सोमवार से सब बच्चों के रिजल्ट आने के बाद ऑफलाइन क्लास शुरू हो जाएगी। घर में सास ससुर और उसके पति नीरज और छोटी बहन निकुंज ही रहते थे। बड़ी बहन रानी का विवाह हो चुका था। उसका ससुराल भोपाल में था और उसके दोनों बच्चे अभी तक ऑनलाइन क्लास ले रहे थे। क्योंकि सोमवार से सबका ऑफलाइन होना था इसीलिए यह आखिरी सप्ताह उसकी ननद रानी ने मां के पास ही बिताने की सोची। पिछले शनिवार से घर में सब लोग हंगामा मचाए हुए थे। क्योंकि रजत (रानी माधवी की ननंद के पति)का ऑफिस का हेड क्वार्टर दिल्ली ही पड़ता था इसलिए वह भी रानी के साथ सप्ताह भर का प्रोग्राम बनाकर रहने को आ गए थे। अभी वह सब तो तो रह ही रहे थे बुधवार को बड़ी बुआ जी भी फूफा जी के साथ आ गई थी और माधुरी को अच्छी बहु रानी बनने का अब पूरा मौका मिल रहा था।
सबने मिलकर गुरुवार को समीप वाले सिनेमा हॉल में पिक्चर देखने की सोची क्योंकि शुक्रवार को नई पिक्चर लग जाएगी । हालांकि नीरज के बिना माधवी को पिक्चर देखने का कोई मन नहीं था लेकिन फिर भी वह मना नहीं कर पाई।
इतनी गर्मियों में नजदीक के माल के सिनेमा हॉल में उन्होंने पिक्चर देखनी थी इसलिए घर से सब लोग घूमते फिरते पैदल ही निकल लिए। 3:00 से 6:00 का शो था और माधवी सुबह से रसोई में ही व्यस्त थी उसका बहुत मन कर रहा था उसे पिक्चर देखने ना ले जाया जाए तो वह कुछ देर आराम कर लेगी । उसे याद आया अभी बुधवार को भी क्योंकि नीरज ने रात की गाड़ी से ही जाना था वहां उसके लिए ही उसका बैग जमाना , उसके खाने के लिए कुछ बनाना और घर का काम करते करते वह बेहद थक चुकी थी।
आज भी उसकी इच्छा हो या अनिच्छा, सबकी इच्छा को मानते हुए वह जल्दी जल्दी तैयार हुई और उनके साथ सिनेमा देखने चली गई। उधर माल में निकुंज अपने कॉलेज में पहनने के लिए कुछ ड्रेसेज भी देखने में व्यस्त हो गई थी इसलिए घर आने में काफी देर हो गई थी और घर आने तक थकान के मारे वह बिल्कुल टूट चुकी थी। सब के जैसे उसका भी मन कर रहा था कि कमरे में जाकर वह भी कपड़े बदल कर थोड़ी देर आराम कर ले।
लेकिन घर आते ही सासु मां ने उसे सबके लिए पानी लाने और चाय बनाने के लिए कहा। निकुंज को देखकर उसे याद आ रहा था जिस सिर्फ 3 महीने पुरानी बात ही तो है वह जब अपनी शादी के सामान के लिए शॉपिंग करके आती थी तो कई बार भैया भाभी कहते भी थे कि हम खाना बाहर से ही ले जाते हैं ।माधवी तुम तो यहीं खा लो लेकिन वह भैया को बिल्कुल मना कर देती थी और कहती थी कि भैया नहीं ,मुझे बाहर का खाना नहीं खाना इससे मैं मोटी हो जाऊंगी और बाहर का खाना सेहत के लिए भी अच्छा नहीं होता। थक हार कर खाना भाभी ही बनाती थी और वह निकुंज के जैसे ही लेट जाती थी और फिर भाभी ही सारा खाना बनाकर लाती थी। यह सब उसे तब समझ नहीं आया था लेकिन आज ---।
वह अपने ख्यालों में ही खोई हुई थी कि तभी सासु मां रसोई में आई और बोली चल मैं चाय बनाती हूं तुम जल्दी से शिकंजी बना लो। माधुरी ने कहा नहीं मम्मी, आप बैठो मैं दोनों काम कर लूंगी।
एसा कहते हुए उसे महसूस हुआ कि जैसे वह अचानक से ही भाभी जितनी बड़ी हो गई है लेकिन -----
टीवी पर भी गाना चल रहा था पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों?
पाठकगण समय बदलता है और वास्तव में शादी के बाद लड़कियों का दूसरा जन्म होता है। वह अपनी आदतें अपने शौक सब कुछ कितनी जल्दी भूल जाती हैं ?आपका इस बारे में क्या ख्याल है?
