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Madhu Vashishta

Romance Classics Inspirational

4  

Madhu Vashishta

Romance Classics Inspirational

दिखावा

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शायद नीता और राधा आज 30 साल बाद मिल रही थी। जैसे पृथ्वी गोल है ऐसे ही अक्सर कहा जाता था कि दिल्ली सरकार भी गोल है, कहीं ना कहीं तबादले होने के बावजूद भी अक्सर एक दूसरे से मिल ही जाया करते थे। नीता राधा और आकाश तीनों ने लगभग 30 साल पहले एक ही विभाग में एक ही दिन क्लर्क की नौकरी ज्वाइन की थी। जहां राधा डरती सकुचाई सी 1 सीट से दूसरी सीट पर घूम रही वहीं ही आत्मविश्वासी, सलीकेदार खूबसूरत सी नीता से सब बात करने को आतुर दिखाई दे रहे थे। तीनों की एक ही विभाग में नियुक्ति हो गई थी।

नीता का व्यक्तित्व ही अपने आप में संपूर्ण था। प्रेस करे हुए, कलफ लगे हुए कपड़े और चेहरे का मेकअप, शाम तक भी मजाल है कि कहीं से खराब हो जाए, इसके विपरीत राधा कब लोगों की नजरों में झल्ली में परिवर्तित हो गई, कह नहीं सकते और लोगों के जैसे ही आकाश भी नीता का दीवाना ही हो उठा था। अपनी तरफ से उसने नीता के पास शादी का प्रस्ताव भी भेजा। वैसे भी क्योंकि तीनों ने एक साथ ही ज्वाइन करा था अतः उनकी दोस्ती भी स्वाभाविक ही थी।

नीता ने बेहद बेइज्जत करते हुए आकाश का शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया, उसके अनुसार उसके लिए उसके सपनों का राजकुमार कोई साधारण क्लर्क नहीं बल्कि बहुत बड़ा इंजीनियर या बिजनेसमैन होगा।

आकाश के टूटे दिल को जोड़ने का काम करा झल्ली राधा ने, और दोनों विवाह बंधन में बंध गए। समय के साथ नीता ने भी एक इंजीनियर के साथ शादी कर ली थी। इसके बाद सब का तबादला अलग-अलग दफ्तरों में हो गया था, और आज 30 साल बाद प्रमोशन होने के बाद नीता और राधा फिर एक विभाग में थे। समय ने राधा का बहुत कुछ नहीं बदला था वह आज भी पहले के जैसे मासूम और मुस्कुराती हुई झल्ली ही थी, इसके विपरीत नीता तो मानो बिल्कुल बूढ़ा ही गई थी। चेहरे पर आड़ी टेड़ी सी रेखाएं चिंता को भी दर्शा रही थी। बातें करते हुए राधा को पता चला कि उसने शादी तो विदेशी कंपनी में नियुक्त इंजीनियर से ही की थी और उसके पति की तनख्वाह भी बहुत अच्छी थी लेकिन उसे कभी भी नीता उसके लायक नहीं लगी, वह भी किसी काबिल इंजीनियर से ही शादी करना चाहता था, परंतु नीता की सरकारी नौकरी, सुंदरता और माता पिता के दबाव के कारण ही उसके पति अमित को नीता से शादी करनी पड़ी। शादी के बाद घर की और दो बेटियों की जिम्मेदारी उसे अकेले ही संभालनी होती थी क्योंकि वह अपने पति के कॉरपोरेट कल्चर में कहीं भी एडजस्ट होने ही नहीं पाती थी।कहने को तो पति की तनख्वाह बहुत थी लेकिन उसके शौक उससे भी ज्यादा थे, इसलिए घर खर्च में उसका कोई योगदान नहीं होता था। आकाश के माता पिता की मृत्यु के बाद दो बेटियों, दफ्तर और उस बड़े से घर को संभालते संभालते नीता का कपड़े पहनने और खुद को संवारने का सलीका कब खो गया कह नहीं सकते। और अब तो उसकी दोनों लड़कियां भी पढ़ाई पूरी करके शादी के लायक थीं।

इसके विपरीत आकाश डिपार्टमेंटल पेपर देता रहा और वह भी सरकारी अफसर बन चुका था। उनका बेटा रोहित भी सरकारी दफ्तर में ही क्लर्क नियुक्त होकर आगे और पेपरों की तैयारी कर रहा था। साधारण तरीके से जीते हुए संतुष्टि के भाव ने राधा को बहुत सुंदर और सलीकेदार बना दिया था।राधा और नीता तो अब फिर से दफ्तर में रोज मिलते थे। आकाश भी जब कभी राधा को दफ्तर से लेने आता था तो नीता को भी उसके घर अक्सर अपनी गाड़ी से ही छोड़ देता था।

उस दिन नीता ज्यादा ही दुखी थी बोली अमित उसकी बड़ी बेटी की शादी विदेश में रहने वाले अपने क्लाइंट और अपने दोस्त के बेटे से करना चाहता है। मेरी बेटी का सपना b.ed करने के बाद टीचर बनने का है। उसके हमेशा ही अच्छे नंबर आए हैं, मैं नहीं चाहती कि मेरी बेटी भी शादी के बाद मेरी तरह है नकली जीवन जिए। मैंने तो सहन कर लिया लेकिन मेरी नाजुक सी बेटी हमसे दूर विदेश में उस कल्चर को नहीं अपना पाएगी, अचानक उसने हाथ जोड़कर अपनी बेटी की शादी रोहित के साथ करने के लिए प्रस्ताव रखा। --------

 लेकिन...... हम तो साधारण लोग हैं और सरकारी मकान में ही रहते हैं अभी तक तो हमने कोई घर भी नहीं खरीदा, तुम्हारी लड़की-----? आकाश बोले ।  प्लीज़ आकाश जी, मना मत कीजिए,मेरी लड़की मेरा ही प्रतिरूप है, मैं नहीं चाहती ऊपरी दिखावे में मेरी लड़की भी अपना सब कुछ खो दे। आप मेरी बेटी से बात करके तो देखिए आपको खुद पता चल जाएगा कि वह कितनी साधारण है और साधारण जिंदगी ही जीना चाहती है मुझे उसके लिए आपसे अच्छा घर कोई नहीं मिलेगा प्लीज़----।

पाठक गण अंत तो सुखद ही है ।अमित और प्रिया की शादी हो गई और वह सुख से जीवन बिता रहे हैं। प्रिया की केंद्रीय विद्यालय में भी नियुक्ति हो गई है। उन लोगों ने अब एक फ्लैट भी खरीद लिया है। शादी दो दिलों का संबंध है, 2 विचारों का संबंध है, इसकी नींव दिखावे पर ना रखिए। 


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