Shishpal Chiniya

Romance Classics Others

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Shishpal Chiniya

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हेल्लो कौन

हेल्लो कौन

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मैं तो टूटे हुए रिश्तों और रिश्तों के भरम का सबसे बड़ा कारण मानता हूँ, वो है मोबाइल फोन, चाहे मैं खुद ही क्यों न हूँ।

अगर कोई इंसान अपनी जिंदगी में कोई दिल से जुड़ा रिश्ता देखे तो शायद माँ- बाप के अलावा कोई भी रिश्ता नहीं होगा जो एकदम बिना शक के चल रहा हो।

देखो मैं बात कर रहा हूँ रिश्तों की, वो रिश्तें जो टूटते जा रहे है। क्योंकि किसी को किसी से कोई मतलब ही नहीं रहा है।

आप यकीन मानिये एक व्यक्ति दिन में अपने परिवार, अपने समाज और और अपने दोस्तों से, और हर उस रिश्तें से ज्यादा जो उसके दिल के करीब है, से ज्यादा समय अपने मोबाइल फोन को देता है।

अब रात - दिन जब हम वही सब कुछ देखेंगे जो हमें अच्छा लगता है, न कि हम उससे कुछ सीख रहे हैं।

पहले एक टेलीफोन होता था, मैंने तो नहीं देखा है क्योंकि मैं तो उस दौर के बाद पैदा हुआ था।

लेकिन जब भी कोई गाँव का बुजुर्ग आदमी जिक्र करता है तो यही कहता है कि "हमारे जमाने में जब भी किसी का फोन आता था तो उसके रिश्तेदार बड़े चाव से बात करते है।"

और उस टेलीफोन पर बात करने के तीन - चार दिन तक तो उस बात का जिक्र करके उसे मिठास से भरपूर बनाया जाता था। ताकि जब भी उस सदस्य की याद आये तो हम उस बात से ही खुश हो जाये।

हमारा मोबाइल फोन हमसे अपनी जिंदगी छीन रहा है। हमारे पास लाख रुपये का मोबाइल है। लेकिन ये मैं दावे के साथ कह सकता हूँ, कि हमारें माता - पिता की सबसे कम फ़ोटो है।

जब भी हम बात करते हो, ये मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अपने पापा से तो आप बात कर ही नहीं सकते है, और मम्मी से लास्ट 5 मिनट बात कर पाते है। क्योंकि हम तुरंत कह सकते है माँ में बाद में कॉल करता हूँ अभी व्यस्त हुँ।

यकीन मानिए हम ये नहीं जानते है कि हम व्यस्त नहीं, अस्त - व्यस्त है।

कम से कम खुद की जिंदगी पर तो हुकूमत करों। गुलामी की तो आदत पड़ चुकी है।

व्यस्त रहो, मस्त रहो लेकिन अस्त-व्यस्त मत रहों।


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