एक सपना
एक सपना


रोहन,जय,राहुल,शान चार दोस्त एक ही ऑफिस मैं काम करते हैं। उनका बहुत दिन से घूमने जाने का मन हैं। कल रविबार भी है ऑफिस बंद होगा। ऑफिस ख़तम होने के बाद चार दोस्त आपस में बात करते हैं।
राहुल-"चलो कल घुमने चलते हैं"
रोहन-"कहां ?"
राहुल-"मयंग चलते हैं"
जय-"वो कालाजदु वाला गाँव"
राहुल-"ये सब अफ्वाह हैं भाई"
शान-"मैंने सुना हैं वोहा के जंगल मैं अभी भी काला जादू होता हैं"
राहुल-कभी भी कुछ प्लान बनाओ तुमलोग मना कर देते हो,हमलोगों को जंगल मैं थोड़ी रहना हैं हम तो गाँव घुमने जा रहे हैं वैसे भी इन् शहर की हवा में अब दम घुटता है"
रोहन-"मुझे नहीं जाना भाई मैं कल आराम से देर तक सोऊंगा"
राहुल-"डर गया क्या इनकी बात सुनके फट गयी ?"
रोहन-"एसी बात नहीं हैं भाई"
राहुल-"तो कैसी बात हैं एक दिन की तो बात हैं हम भी हैं साथ मैं चल घूम लेते हैं,मोज करेंगे सोमबार को भी बंद हैं ऑफिस। सुबहे नो बजे सबको घर से पिकअप करूँगा मैं।"
राहुल के बात पर सबने हामी भर कर चारो दोस्त अपने अपने घर चले गए।दूसरा दिन सुबह फ़ोन की रिंग से रोहन का निंद टूट ता हैं। फ़ोन मैं देखा तो जय का फ़ोन था,रोहन ने निंद मैं ही फ़ोन उठाया।
रोहन-"हां बोल"
जय"-अबे तू अभी तक उठा नहीं, नो बजे निकलना हैं हमें। जल्दी से तयार हो जा राहुल गाड़ी लेके आता होगा।"
इतना बोल के जय ने फ़ोन काट दियारोहन उठ के फ्रेश होने लगता है तभी बाहर से कार की होर्ने बझ्ती हैं। रोहन खिड़की से झाक कर देखा तो बाहर राहुल कार लेके खड़ा था। जल्दी से तयार होकर रोहन बाहर निकलता हैं। कार की ग्लास पर नोक करते ही राहुल दरवाजा खोल देता हैं।
रोहन-"कहा जाना हैं"
राहुल-"कल ही तो बोला था भूल गया"
रोहन-"देरी हो गया इतना पहुँचते पहुँचते रात हो जायगी,क्या इतना रात को सुन सान रास्तें मैं जाना ठीक होगा ?"
राहुल-"कुछ नहीं होगा चिंता मत कर"
ये बोलकर राहुल ने कार स्टार्ट की आगे जाकर जय और शान को भी पिकअप कर लिया।कार मैं गाना लगाकर चारो दोस्त मयंग चलने लगे। चलते चलते सूरज भी ढलने लगा था। तभी राहुल एक जंगल के रास्ते मै कार को घुमा देता है।
रोहन-"मयंग का रास्ता तो सीधा था तो तूने गाड़ी इधर क्यू घुमाया।"
राहुल- "अगर सीधा रास्तें से चलते हो तो रात हो जायगी पोहचते पोहचते मैं एक शॉर्टकट जनता हु वोही से जा रहे हैं।"
शाम का समय सूरज ढल चूका था। रोहन राहुल को पूछता हैं।
रोहन-"और कितना दूर हैं ?"
राहुल-"और पांच किलोमीटर फिर हम मयंग मैं होंगे।"
थोड़ी दूर जाने के बाद जय बोलता हैं
जय-"भाई रुक मुझे जोर से लगी हैं........"
शान-"थोडा देर रुक जा पोहुचने वाले हैं"
जय-"नहीं भाई बोहत जोर से लगी हैं आगे लगा दे गाड़ी।"
रहुल सामने ही गाड़ी लगा देता हैं। जय जंगल में चला जाता हैं हल्का होने।तीनो कार मैं जय का वेट कर रहे होते हैं तभी रोहन को एक सफ़ेद साड़ी में ओरत दिखती हैं रोहन के पलके झपकाने साथ वो ओरत गायब हो जाती है। वोह डर जाता हैं। रोहन राहुल को बोलता हैं..
रोहन-"क्या तूने उस ओरत को देखा"
राहुल-"कौन सी ओरत"
रोहन-"वो पैरों के सामने अभी वोहा थी पता नहीं कहा गायब हो गयी"
राहुल-"हमने तो अभी तक नशा क
िया भी नहीं तुझे कैसे नशा हो गया"
रोहन-"भाई सच मैं वोहा एक ओरत थी"
राहुल-"अबे पागल हो गया तू इतना घना जंगल वाले रास्तें मैं एक ओरत और वो भी एकली"
रोहन वहम समझ कर आगे कुछ नहीं बोलता। तभी जय आ जाता हैं। राहुल फिर से गाड़ी को स्टार्ट करता हैं और चलने लगते हैं। कुछ दूर जाने के बाद अचानक गाड़ी मैं धुवा भर जाता हैं। राहुल को कुछ नहीं दीखता वो तुरंत गाड़ी रोक देता हैं। सब खासने लगते हैं किसी को कुछ नहीं दीखता। तभी शान को एहसास होता हैं जय कार मैं नहीं हैं। शान बोलता हैं....
शान-"भाई जय कार मैं नहीं हैं"
राहुल-"यही होगा आच्छे से देख"
शान-"भाई सच मैं वो कार मैं नहीं हैं।"
अचानक कर की सीशी मैं कुछ बड़ी सी चीज़ गिरता हैं। तीनो उतरकर उसे देखते है तो उनका दिल जैसे एक वक़्त के लिए बंद हो गया हो वोहा जय की लाश मृत अबस्ता मैं थी चाडो तरफ खून ही खून थे।
रोहन बोलता हैं-"जल्दी से गाड़ी मैं घुस,राहुल गाड़ी भगा"तीनो हाफते हुए गाड़ी मैं उठते हैं। राहुल जल्दी से गाड़ी भागता हैं।
रोहन-"हमने गलती कर दिया यार इस रास्ते मैं आके,कुछ तो हैं बोहत बड़ा यहाँ और वो इंसान तो नहीं हैं"
राहुल-"सब मेरी गलती थी,आज जय हमारे साथ होता"
अचानक गाड़ी रुक जाती हैं।
राहुल-"लगता हैं कुछ प्रॉब्लम आ गया तुमलोग गाड़ी मैं रुको मैं चेक करता हु। राहुल कार के बहार निकलता हैं और देखने लगता हैं। बोहत वक़्त राहुल न लोटने पर शान और रोहन डरते हुए कार से निकलते हैं पर बाहर कोई नहीं था। दोनों राहुल ढूँढनेने लगते हैं वो जंगल मैं घुसते हैं। दोनों घने जंगल मैं राहुल राहुल पुकारते हैं तभी शान थम सा जाता हैं वो रोहन को बुलता है और ऊपर देखने बोलता है,रोहन जब ऊपर की और देखता है– राहुल का शारीर एक पैर मैं लटका था उस पैर के टहनियां राहुल के सीने के आर पार थी। दोनों डर जाते हैं और कार की और दौड़ते हैं। दौड़ते हुए शान अचानक नीचे गिरता है और एक पैर की जड़ उसे खींच के ले जाती है। रोहन दोडता जा रहा था,तभी और एक पैर का जड़ रोहन को गिरा देता है वो कोशिश करता है उसे छूटने की पर पैर का जड़ और भी जोर से रोहन को मिट्टी मैं खीचने लगता है उसका पैर मिट्टे मैं धच चुके है वो चीख रहा हैं,जब गला तक मिट्टी मैं धच चूका है तब उसे वो सफ़ेद साडी वाली ओरत दिखती है जो घूंघट के निचे से हलके मुस्कराहट के सात खड़ी थी। वो बोलता हैं मुझे छोड़ दो हमने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा.....पर उस ओरत ने कुछ नहीं बोला। रोहन पूरा धंस चूका हैं मिट्टी में उसकी आंख भी मिट्टी मैं धंस जाती हैं काला अँधेरा इसी अंधरे के साथ अचानक रोहन की नींद टूटी..वो डर गया वो सदमे मैं था क्या ये सपना था। सामने टेबल पर रखे पानी की बोटल से वो पानी पीता हैं। तभी रोहन का फ़ोन बजता हैं,रोहन ने देखा तो अनजान नंबर था। रोहन ने फ़ोन उठा या।
रोहन-"हल्लो ! कोन बोल रहा है ?"
दूसरी तरफ जे आवाज आती है-"रोहन मैं गोहपुर पुलिस स्टेशन से बोल रहा हु आप जल्दी से यहाँ आ जाइये,आप के तीन दोस्त को की लाश हमें मयंग के जंगल से मिली हैं और वो भी बोहत रहस्यमई हालत मैं। आप से भी पूछताच करनी हैं।
रोहन का फ़ोन हाथ से गिर जाता है वो सोच में पड जाता है एक दिन जो वो अपने सपने मैं जी चुका था वोह हकीकत में उसके दोस्तों के साथ तो नहीं हुआ।