मेरी प्यारी इंदु
मेरी प्यारी इंदु


मेरी प्यारी इंदु,
आज बहुत दिन बाद तुम्हें चिट्ठी लिख रहा हूँ । समय ही नहीं मिल पाता,मा को लिखता हूँ चिट्ठी मुझे पाता है मा जब मेरी चिट्ठी पढ़ती होगी तुम भी सात मैं होती होगी । आज बहुत दिन बाद दोनों को एक सात चिट्ठी लिखने का मौका मिला है । मा-बाबा को भी लिखा चूका हूँ ये चिट्ठी तुम्हारे लिए । मैं जब घर लोटता हूँ तुम दौड़ती हुई चली आती मुझे देखने,दूर दरवाजे से देखती मेरे सामने नहीं आती । शर्माती बहुत हो तुम पर तुम्हारी आंख हमेशा बहुत कुछ कह जाती मुझे । हमारा रिश्ता भी तो बचपन का है जब हम सात मैं खेलते थे,मेरी मा ने तो बचपन से ही तुम्हें बहूँ मान लिया था । कहती थी इंदु ही मेरी घर की बहूँ बनेगी । पर ये अब सच न हो पायेगा । गोली लगी है मुझे सीने मैं,मेरे हर साँस के साथ ये और भी मेरे दिल के करीब जा रहा है । डॉक्टर ने कहा 2 दिन बच पाउँगा,अब तो तिरंगे लिपट कर ही घर आऊंगा । तुम रोना मत और मेरी मा को भी रोने मत देना,एक सैनिक की ज़िन्दगी एसी ही होती है उनका जन्म भी देश के लिए होता और समय आने पर अपने देश के लिए बलिदान भी देना पड़ता है । मुझे पता है शादी के बाद भी तुम मुझे मेरी कर्त्यब्य से दूर नहीं करती,एक सैनिक के पत्नी का भी धर्म तुम पूर्णता से निभाती,मैं बहुत खुश था जो मुझे तुम जेसी साथी मिली है । कभी बोला नहीं लेकिन प्यार में भी बहुत करता था तुमसे,कुछ बातें हमेशा
बोलनी नहीं पड़ती । आज बचपन के वो दिन भी बहुत याद आ रहे है जब में तुमको पैर से आम तोड़ के दिया करता था तुम्हारे साथ बचपन भी मेरी बहुत अच्छी गुजरी,शायद बहुत कम ही हो जो इतनी छोटी ज़िन्दगी मैं इतना कुछ पाया हो जो मैंने पाया है । तुम शादी जरुर करना इंदु,सिर्फ बिच बिच मैं आके मेरी मा को देख लेना । आज दर्द बहुत है सिने मैं पर खुश हूँ की मा और तुम्हे चिट्टी लिख पाया । रोना मत अभी मैं आंसू नहीं देखना चाहूँगा तुम्हेरे चेहरे पे ।
‘तुम्हारा सागर’