क्या हम सच में आज़ाद हैं
क्या हम सच में आज़ाद हैं
15,अगस्त 1947 मैं भारत अंग्रेजो से आज़ाद हुआ,इस साल हम आज़ादी की 74 वा वर्षगाठ मानाने जा रहे हैं,पर क्या हम सच मैं आज़ाद हैं ?
मैं जब घर से निकलता हूँ बाहर कुछ बच्चे प्लास्टिक की बोटल जमा करते दीखते हैं जहा एक श्रेणी के बच्चे स्कूल मैं पढाई कर रहे हैं अपने आगे की ज़िन्दगी को लेकर भी सोच चुके है वही एक श्रेणी अपनी एक दिन की भूक मिटाने के लिए जुज रहे हैंक्या ये बड़े होकर गुलाम नहीं बनेंगे ? क्या ये उड़ना नहीं चाहते पढ़ना नहीं चाहते ? अंग्रेज़ो से तो हम आज़ाद हो गए पर क्या हम आज भी आजाद हैं ?
अंग्रज़ी मीडियम ने ऐसे जकरा खुदकी मातृभासा लिखना नहीं जानते,भारत ने विश्व को पहला विश्व-विद्यालय 'तक्षशिला' दिया पर उसी देश के बच्चे दूसरे देशो में पढ़ना चाहते हैंकुछ अपने देश मैं लौट आते है कुछ अपनी संस्कृति को ही भूल जाते हैंकुछ बच्चे सड़क के मोर मैं खड़े होकर भारत को अन्य देशो से तुलना करते हैं दुर्नाम करते हैं अंग्रेज़ी न जान ना उनके लिए तुछ विषय है | अंग्रेज़ो से तो हम आज़ाद हो गए पर क्या हम सच मैं आज़ाद हैं ?
बेटिओ का शोषण आज भी होता है प्रपोज़ल मैं ना मिलने पर तेजाब आज भी फैके जाते हैं दहेज़ आज भी लिए जाते हैं लड़कियों को डायन कह कर आज भी मारा जाता है लडकियों को आज भी बेचा जाता है किसी के डर से वो आज भी अपना जिस्म बेचती है जिसे हम वैश्या का दर्जा देते हैं समाज से किन्नरों को दूर आज भी किया जाता है वो आज भी पढ़ नहीं पते जब कर नहीं पाते,रास्तो से बच्चे आज भी अखवा किया जाता है भीख मंगवाया जाता है गुलाम बनाया जाता है अंग्रज़ो की गुलामी स
े तो आज़ादी मिल गयी हमें पर क्या हम सच मैं आज़ाद हैं ?
गाँधी जी के एक आवाज पर पुरे देश ने विदेशी सामग्रीओ का बर्जन करते हुए स्वदेशी सामग्रिया अपनाया था पर आज उसी देश के बाजार में बाहर की कम्पनीओ का राज है जो अच्छी कम्पनी उठ भी जाती है उनको जनता का साथ नहीं मिलता | विदेशी कम्पनीओ ने भारत के बाजार को पूरी तरह से जकर रखा हैंआज घर घर मैं विदेशी सामग्री मिलती हैं लोग भी विदेशी सामग्री पर ज्यादा विश्वास रखते हैं जिसकी वजह से भारत का पैसा बहार के देशो को मिलता हैं अंग्रेज़ो की इस्ट इंडिया कम्पनी से तो हमें आज़दी मिल गयी पर क्या हम आज भी आजाद हैं ?
जाती,वर्ण,गोत्र को आज भी माना जाता हैंछुवाछूत की बीमारी आज भी किया जाता है छोटी जात वाले आज भी गुलाम बने हुवे हैं मंदिर मैं उनको आज भी घुसने नहीं दिया जाता है सुईपर का बेटा सुई पर ही बनेगा ऐसी सोच आज भी बची हुई है खुद को गोरा और हमें कला कहने वाले अंग्रेज़ो से तो हम आज़ाद हो गए पर क्या हम सच मैं आज़ाद है ?
जिस दिन अंग्रेज़ी से ज्यादा हिंदी के प्रति प्यार बढ़ेगा,शिक्षा हर बच्चे का जन्मसिध्य अधिकार बनेगा,देश की बेटिओ का देश का हर कोई रक्षा कवज बनेगा,विदेश मैं पढ़ायी करने के बाद भी अपने संस्कृति को भूल न पाएगा,भारत के तिरंगे रास्तों मैं पड़े नहीं होंगे,राष्ट्र गान पर हर कोई 52 सेकेंड्स पूरा खड़ा रहेगा,देश मैं स्वदेशी कम्पनिया विदेशी कम्पनीओ से आगे रह पाए गा,रास्तो मैं बच्चे बिना किसी डर से खेल पाएंगे ,देश का हर कोई आत्मनिर्भर बन जायेगा,तभी भारत आज़ाद बन पाएगा,आज़ादी से किसे प्यार नहीं है |