शराईघाट पुल
शराईघाट पुल
कहानी तब की हैं जब मैं गुवाहाटी विश्व-विद्यालय में अपना ग्रेजुएशन कर रहा था,इसी बीच एक दिन मैं दोस्त के घर पार्टी करने गया हुआ था,दोस्तों के साथ बात करते करते इतना रात हो गई समय का पता ही नहीं चला ।घडी देखा तो पता चला रात के 12.43 बज रहे थे,ये देख कर मैं अपने दोस्तों से अलविदा लिया और अपने घर के लिए निकल गया ।मुझे अपने घर जाने का लिए शराईघाट पुल पार होना था ।मैं बाईक से जा रहा था और पिया हुआ भी था ।शराईघाट पुल बोहत ही लम्बा है और रात के टाइम मैं सिर्फ ट्रक ही चलती हैं जादातर ।मैं आधा शराईघाट पुल पार हो चूका था तभी एक लड़की मुझे लिफ्ट मांगते हुए दिखती है,मैंने बाईक रोक दी ।लड़की ने बोला “क्या आप मुझे पुल के अंत तक छोड़ देंगे” मैं नशे मैं था बोहत मैंने लड़की से बोला “बेठिये छोड़ देता हूँ।" ।ये बोलते ही लड़की मेरे पीछे बैठ गयी ।मैंने बाईक स्टार्ट की और आगे चलने लगा ।इतने मैं एक ट्रक मेरे सामने से पार हुआ,ट्रक का ड्राइवर मुझे बोहत आकस्मिक होकर देखने लगा ।मैंने ये गोर किया,उसकी बाद और भी 5-6 ट्रक मेरे सामने से पार हुए,उन ड्राईवओ का भी बर्ताब ऐसा था ।इतने मैं एक ट्रक आया जिसमे एक सरदार जी बेठे थे,सरदार जी ने मुझे देखते ही हात मैं एक डंडा ले लि
या और जोर से बोला “ये रुक अभी तुझे बताता हूँ"’ ये सुनते ही मैं डर गया मैंने अपना बाईक का रफ़्तार बढाया पर नशे में होने से बाईक मैं कंट्रोल न रहा और मैं गिर् गया ।सरदार जी मेरी ओर दौड़ते हुए आये और मुझे पूछा “क्या तुम ठीक हो’’ मेरे कांधे से बोहत ज्यादा खून निकल रहा था,मैं कुछ बोलने के हालत मैं नहीं था मैं बेहोश हो गया ।होश आया तो मैं हॉस्पिटल मैं था और मेरे सामने मेरे सारे दोस्त खरे थे ।मैंने अपने दोस्तों से पूछा मेरे साथ क्या हुआ ।तभी मेरे एक दोस्त ने बोला “कल तुझे यहाँ एक सरदार जी ले आये और तेरे फ़ोन से हम सबको फ़ोन किया,पर उन्होंने जो कहा वो सुनकर मैं हेरान रह गया ।सरदार जी ने बोला वो जब पुल से जा रहे थे तब उन्होंने देखा तेरे पीछे बेठी हुयी लड़की तेरी कांधे को खा रही है और तुझे कुछ पता ही नहीं था,सरदार जी ने जब दंडा लेकर बोला रुक तुझे बताता हु वो लड़की सरदार जी की और मुड़ी लड़की के आँख नहीं थे और उसका मुंह तेरी खून से लत पत था फिर वो बाईक से कूद कर हवा मैं गायब हो गयी |” ये सुनते ही मेरे होश उड़ गए मैं कुछ समझ ने के हालत मैं न रहा,अगर सरदार जी नहीं होते तो शायद मैं आज जिन्दा न होता और ये कहानी लिख नहीं पता,वो मेरे लिए मसीहा बन कर आये थे |