कहानी तब की हैं जब मैं गुवाहाटी विश्व-विद्यालय में अपना ग्रेजुएशन कर रहा था। कहानी तब की हैं जब मैं गुवाहाटी विश्व-विद्यालय में अपना ग्रेजुएशन कर रहा था।
अगली सुबह मंगता की भू (बहू) के चबूतरे पर चींटियां चावल खाती दिखीं। अगली सुबह मंगता की भू (बहू) के चबूतरे पर चींटियां चावल खाती दिखीं।