sunanda aswal

Abstract Children

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एक दोस्त याद आया

एक दोस्त याद आया

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दोस्ती की मिसाल कभी मिलती है .. एक दोस्ती याद आती है तो हल्की सी आंखों में नमी ले आती है।

दोनों की आंखों में प्यार ..! जज्बात ..! ना मेरे पास मनी ना बेलेंस था ना उसके पास ही ...।

गिफ्ट में कभी सेब ,कभी संतरा ,कभी कोई मिठाई बांट लेते थे।

कभी एक दूसरे से कोई खास गिफ्ट नहीं मांगा था...बस ..उस दिन वह मुझे जाते हुए मिल गई थी , मुझे याद नहीं मैंने उसे क्या दिया था ? पर उसने मुझे, उस समय एक डिब्बा और एक चम्मच दी थी ...नाम कुछ धुंधला सा याद आया ..ह..ह्हां "नीलम "...!

याद आया वह पल जब :

मां ने कहा था मुझे ,"---ये चम्मच भी रख दूं ,सामान के साथ और ये डिब्बा ..?"

मैंने कहा ,"---क्यों नहीं .. जरुर।"

वो पहले ही उस शहर से दूर चली गई थी ...और उसकी निशानी अभी भी रखी थी ...।

इतने साल हुए मां ने अभी भी किचन में कप के अंदर सम्भाल कर रखी है .. बचपन की अटूट दोस्ती की प्यारी निशानी ...और डिब्बे में जंग लग गया है।

जाने नीलम कहां है ? आपको पता हो तो बता देना मुझे।


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