एडजस्टमेंट
एडजस्टमेंट
पति पत्नी के बीच समयानुसार समायोजन (एडजस्टमेंट) होते रहना चाहिए। रमेश और मिसेज रमेश का लोग उदाहरण देते थे । जोड़ी हो तो ऐसी । वे कभी नहीं झगड़ते थे। रमेश नौकरी में थे मिसेज रमेश गृहणी थीं।ऐसा तब तक आराम से चला जब तक वे सर्विस में थे। अब वे रिटायर हो गए थे । पहले पत्नी कम से कम दफ्तर जाने के समय नहीं पूछती थी "कहाँ जा रहे हो? " ऑफिस से वापस देर से आने पर ही पूछती थी -"आज देर से क्यों आये?"
अब पत्नी ने हिदायत दे दी थी,"जब भी घर से बाहर जाओ मुझे बता के जाया करो।“
सवालों के साथ मिसेज की घूरने की आदत उन्हें बिलकुल पसंद न थी । किन्तु वे चुपचाप उत्तर देकर बात को खत्म करना अधिक पसंद करते थे ।बच्चे सब बड़े हो चुके थे और दूसरे शहरों में नौकरियाँ करते थे । अतः मिस्टर एवं मिसेज रमेश इस शहर के इस मकान में सिर्फ एक दूजे के साथ रहते थे।
रिटायरमेन्ट के बाद की जिंदगी की उन्होंने कोई योजना नहीं बनायीं थी। दोनों की अपनी अपनी कल्पनाएं व् अपेक्षाएं थीं ।रिटायरमेंट के बाद रमेश ने कुछ दिन घर पर ही बिताये। अनेक लोग मिलने आये। मिसेज रमेश अतिथियों के सत्कार में व्यस्त रहीं।थोड़े दिन बाद लोगों का आना बंद हो गया।
इसके बाद भी कुछ दिन रमेश ने घर पर ही बिताये। चाय ,अखबार और टी वी के साथ। मिसेज काम में मशगूल रहतीं।
रमेश को कभी समझ में नहीं आया कि मिसेज के पास इतना काम कहाँ से आता है।एक बार पूछ लिया था । उसके बाद फिर कभी हिम्मत नहीं पड़ी।
धीरे धीरे उनका बाहर आना जाना शुरू हो गया। रमेश बहुत चाहते कि पत्नी का काम में हाथ बटाएं लेकिन जब कोशिश करते पत्नी कभी चिढ़कर और कभी दया बस रोक देती थी। गृहकार्य में दक्षता की वो खुद से भी उम्मीद नहीं करते थे किन्तु जो काम वो अपनी समझ में अच्छा भी करते तो भी मिसेज को बाहियात क्यूँ लगता। यह उनके लिए एक प्रश्न था ।
दोनों का एक बड़े संवेदन शील मुद्दे पर मनमुटाव था। रमेश फिल्मों के शौकीन थे। मिसेज फिल्मों से चिढ़तीं थीं । उन्हें पता था वे हेमामालिनी के बड़े फैन थे । वे ये भी समझतीं थी फिल्मी हीरोइन का फैन उसे कभी कभी कल्पना में अपनी हेरोइन की जगह भी देख सकता है । इस बात का खयाल भी उन्हें पसंद नहीं था ।
जब बच्चे घर पर थे अखबार और पत्रिकाएँ आतीं थी । फिल्मी पत्रिकाएँ भी आतीं थीं । किन्तु एक बार दिवाली की सफाई में रमेश की मेज की ड्राअर से एक दर्जन फिल्मी मैगजीन मिलीं जिनके कवर पे हेमा की तस्वीर थी।शायद बच्चों का खयाल करके चुप रही लेकिन तीन दिनों तक चुप रहीं ।रमेश को कोफ्त होती थी । उन्हे मिसेज का व्यवहार ज्यादा ही असहिष्णुता पूर्ण लगता ।फिर घर में फिल्मी पत्रिकाये आना बंद हो गयी। किन्तु ऑफिस की लाइब्रेरी में उन्हे एक दो पत्रिकाये मिल जातीं थीं ।अब ऑफिस जाना बंद हो गया था । आस पास कोई लाइब्रेरी थी नहीं ।कभी दिल नहीं मानता कोई फिल्मी मैगजीन खरीद लाते तो समस्या होती कब पढ़ें?और फिर कहाँ रखें। मकान का कोई कोना,अलमारी,बक्सा ऐसा नहीं था जिस में मिसेज का दखल न हो । उनकी खुद की अलमारी में भी मिसेज का सामान भरा हुआ था। उनको लगता उन्होने झगड़ा टालने की मंशा से मिसेज को जरूरत से ज्यादा छूट देदी और और उन्होंने उनके लिए निजता का एक कोना भी नहीं छोड़ा। उन्हें स्वयं पर क्रोध आया।
उन्होंने अपनी अलमारी में से सारा सामान बाहर निकाल दिया । फिर अपना सामान उसमें रखकर एक ताला लगा दिया । वह उस दिन झगड़े के लिए तैयार थे ,किन्तु मिसेज ने आकर इतना कहा, ''अलमारी चाहिए थी तो मुझसे कह देते मैं अपना समान हटाकर ठीक से सफाई भी कर देती । "कुछ देर बाद मिसेज ने आकर मिस्टर रमेशको एक फिल्मी मैगजीन दी जो एक बक्से की तह में मिली थी । एडजस्टमेंट हो गया था।