Ravi Ranjan Goswami

Children Stories Drama

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Ravi Ranjan Goswami

Children Stories Drama

चोर बने सांता

चोर बने सांता

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एक शहर में जॉन और जोश दो चोर रहते थे। वे रात में सड़कों पर घूमते थे और बेखबर पीड़ितों से चोरी करने के किसी भी अवसर की तलाश में रहते थे। दोनो ने हमेशा अपराध का जीवन जीया था। उन्होने कभी भी पलट के उन लोगों की ओर नहीं देखा जिन्हें उन्होने चोट पहुँचाई थी या जिन लोगों को उन्होने बर्बाद किया था। वे पुलिस से बचने के लिए अपने चोरी करने और रहने के ठिकाने बदलते रहते थे। त्योहारों के समय वे बाज़ारों की भीड़ भाड़ का फायदा उठाकर उठाई गीरी और जेबकतरी भी करने से नहीं चूकते थे। 

लेकिन एक क्रिसमस के पर्व के पहिले की सर्दियों की एक ठंडी रात में जब वे सड़कों पर घूम रहे था, उनकी नज़र एक छोटे, जर्जर घर पर पड़ी। खिड़कियाँ अख़बार से ढकी हुई थीं और छत को मरम्मत की सख्त ज़रूरत थी। घर में कोई नहीं था और दरवाजे पर एक छोटा सा ताला लगा था। जॉन का दिल नहीं कर रहा था उस घर से चोरी करने का। 

उसने जोश से पूछा, "मौका तो अच्छा है लेकिन मुझे नहीं लगता यहाँ कुछ मिलेगा। "

जोश ने कहा, " अच्छा मौका है। घर में कोई नहीं है। अड़ोस पड़ोस के सभी घरों में अंधेरा है। लोग सो रहे होंगे।,अंदर चल कर देखते है। "

 जॉन को जीवन में पहली बार एक अजीब तरह की झिझक महसूस हो रही थी। लेकिन जोश के कहने पर वह ताला तोड़ने वाला था, उसकी नजर दरवाजे पर लगे एक छोटे हस्तलिखित नोट पर पड़ी। इसमें लिखा था, 'प्रिय सांता।' 'हम जानते हैं कि समय कठिन है और हम ज्यादा उम्मीद नहीं करते हैं, लेकिन अगर आप हमारे लिए कुछ भोजन और गर्म कपड़ों की व्यवस्था कर सकें , तो यह हमारे लिए बहुत मायने रखेगा। मेरी क्रिसमस।'नोट पढ़ते ही जॉन का दिल पिघल गया। उसने जोश से उस नोट को पढ़ने के लिये कहा। जोश का भी दिल पसीज गया। उन्हें एहसास हुआ कि यह परिवार न केवल गरीब था, बल्कि वे बर्फीली सर्दी के मौसम में गुजारा करने के लिए भी संघर्ष कर रहे थे। 

दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा और दोनों बिना समय गंवाये, निकटतम बाजार की ओर चल दिये। उन्होने अपनी गाड़ी में भोजन, गर्म कंबल और बच्चों के लिए कुछ छोटे खिलौने भर लिए। अपने जीवन में पहली बार, वह किसी और के लिए कुछ अच्छा कर रहे थे। उन्हें बहुत खुशी का एहसास हो रहा था।उपहारों से भरे एक बड़े बैग के साथ, जॉन और जोश उस छोटे से घर वापस गए। उन्होने उपहारों को दरवाजे के नजदीक रख दिया और एक नोट छोड़ दिया जिसमें बस इतना लिखा था 'फ्रॉम सांता।' जैसे ही वे मुड़कर थोड़ी दूर चले थे, उन्होने अपने पीछे हल्की सी आवाजें सुनी। उन्होने देखा कुछ लोग जो शायद उस घर के रहने वाले थे लौट आये थे। वे उन उपहारों को पाकर बहुत खुश थे और सांता को उनके अप्रत्याशित क्रिसमस उपहारों के लिए धन्यवाद दे रहे थे। इस अनुभव ने उनका जीवन हमेशा के लिए बदल दिया। उस दिन से, उन्होंने चोरी करना छोड़ दिया और अपनी मेहनत से जीविका चलाते हुए व गरीबों के हित में काम करते हुए जीवन यापन करने लगे।


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