Ravi Ranjan Goswami

Others

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Ravi Ranjan Goswami

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अगर

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वे इसी साल साठ के होकर सरकारी नौकरी से रिटायर हुए थे । उनका विचार था सरकार सरकारी नौकरों से चलती है और सरकारी नौकर अगर वैसे हों जैसा कि उनको बहुत से लोग कहते हैं आलसी और लापरवाह तो उनको नानी याद आ जाये । जन्म प्रमाण पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र तक सरकारी कर्मचारी साथ देता है। सरकार की सारी जनहित की योजनायेँ । कानून व्यवस्था और न जाने कितने काम सरकारी कर्मचारी ही तो करते हैं । उन्होंने अपनी नौकरी श्रद्धा और गर्व के साथ की थी । 

अभी रिटायर हुए अधिक समय नहीं हुआ था । उनका अपने विभाग से पूरा जुड़ाव बना हुआ था । 

अपने सेवाकाल में एक समय उन्होंने ऐसा देखा था जब सरकारी नौकरी को कमतर समझा गया था और मेधावी नवयुवक, युवतियाँ निजी कंपनियों की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे थे । कुछ समय के लिए उनका आत्म गौरव क्षीण हुआ था । शीघ्र ही पुनः वह सामान्य हो गया था । 

इस रविवार को उनके बेटे गुड्डू की किसी नौकरी के लिए लिखित परीक्षा थी । वे खाली थे । यूं ही वे गुड्डू के साथ हो लिये । रास्ते में गुड्डू से पूछने पर ज्ञात हुआ सरकारी नौकरी की प्रतियोगी परीक्षा थी । परीक्षा केंद्र पर पहुंचे तो युवा लड़के लड़कियों की भीड़ थी। उन्होने दो चार अभ्यर्थियों से बात की तो वे उच्च शिक्षा प्राप्त मेधावी छात्र निकले । उनका मस्तक गर्व से ऊंचा और सीना चौंडा हो गया । अपने सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी होने पर उन्हें गर्व हो आया । 

कुछ सुंदर और स्मार्ट नव युवतियों को परीक्षार्थी के रूप में देखकर एक क्षणिक विचार उनके मन में आया कि अगर वे अब नौकरी शुरू करते तो ? वे अपने विचार की शरारत पर मुस्करा दिये। परीक्षा का समय हो गया था । गुड्डू को शुभकामनायें देकर वे वापस चल दिये। उनकी चाल में तेजी थी । वे खुद को थोड़ा कम उम्र महसूस कर रहे थे । 


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