जब बच्चे घर पर थे अखबार और पत्रिकाएँ आतीं थी । फिल्मी पत्रिकाएँ भी आतीं थीं । जब बच्चे घर पर थे अखबार और पत्रिकाएँ आतीं थी । फिल्मी पत्रिकाएँ भी आतीं थीं ।
सपनों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती सपनों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती
सावन की हरियाली के बीच हरे रंग की मिसेज़ खन्ना आकर्षण का केंद्र थी । सावन की हरियाली के बीच हरे रंग की मिसेज़ खन्ना आकर्षण का केंद्र थी ।
शालिनी के सामने उसका दो साल का मासूम बेटा भी था, जिसकी जिम्मेदारी अब उसे अकेले उठानी थी शालिनी के सामने उसका दो साल का मासूम बेटा भी था, जिसकी जिम्मेदारी अब उसे अकेले उ...