Kiran Bala

Inspirational

5.0  

Kiran Bala

Inspirational

जब जागो तभी सवेरा

जब जागो तभी सवेरा

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मिसेज इंडिया प्रतियोगिता की हमारी आज की विजेता हैं, श्रीमती सुधा टन्डन..... मैं टेलिविजन पर टकटकी लगाए शायद इसी क्षण की प्रतीक्षा कर रही थी |

सुधा मेरे साथ ही स्कूल में पढाती है, उम्र सैंतालीस वर्ष.. यदि कोई उसे पहली बार देखे तो पैन्तीस वर्ष से अधिक सोच ही नहीं सकता | अधेड़ उम्र में जहाँ चर्बी शरीर पर कब्जा कर लेती है, वहीं उसके शरीर पर चर्बी का नामोनिशान तक नहीं ! इस उम्र में स्वयं को फिट रखना हर किसी के बस की बात नहीं |

सामने वाले की सफलता तो हर किसी को दिख जाती है किंतु उसके पीछे के परिश्रम को केवल वही देख पाता है जो करीब से उस व्यक्ति को जानता हो | सुधा के लिए भी यह सब आसान न था | पति दो छोटी बच्चियों को छोड़ स्वर्ग सिधार चुके थे | अपने दुख को छिपाती समाज की प्रताड़ना को सहती हुई पूरी जवानी बच्चियों के भरण-पोषण में निकल गई | उसकी महत्वाकांक्षा,सपने सब इसी में दब कर रह गए | वक्त के थपेड़ों ने उसे इतना मजबूत बना दिया कि लोग भी उससे बात करते हुए घबराते हैं | है किसी की मजाल उसके और उसकी बेटियों के बारे में कोई कुछ कह जाए ?

पर उसने एक चीज कभी नहीं छोड़ी, रोजाना की दौड़, मीलों तक साईकिल चलाना और उस पर कसरत | पंचकूला से कसौली तक इस उम्र में साईकिल चलाना हर किसी के बस की बात नहीं | प्रत्येक रविवार किसी न किसी जगह घण्टों साईकिल चलाकर जाना उसकी दिनचर्या में शामिल हैं |

अब दोनों बेटियों के पूना चले जाने के बाद उसने फैसला लिया कि वह अपने सपनों को एक नई उड़ान देगी | अक्सर सामने तो लोग उसकी तारीफ करते हैं किंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका काम सिर्फ मजाक उड़ाना ही होता है | किसी की मेहनत और सफलता को देख खुश होने वाले लोग दुनिया में कम ही होते हैं |

लोग तो कुछ न कुछ कहते ही हैं, किसी के कटाक्ष से प्रभावित होकर अपने लक्ष्य को मझधार में ही छोड़ देना जिन्दादिलों का काम नहीं है| कहा भी तो गया है .....'मन के हारे हार है,मन के जीते जीत' | सपनों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती | सही भी है...क्योंकि

"जब जागो तभी सवेरा " |



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